होम देश बजट दस्तावेज बताते हैं- ‘टीके की जरूरत कम’ होने से मेडिकल और...

बजट दस्तावेज बताते हैं- ‘टीके की जरूरत कम’ होने से मेडिकल और सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च में कटौती हुई 

दस्तावेजों के अनुसार, स्लैश कोविड टीकाकरण की आवश्यकता को कम करने के लिए है, यहां तक ​​​​कि दूसरी खुराक 15-18 वर्ष की आयु के लिए प्रतीक्षित है और बच्चों के लिए टीकाकरण अभी तक शुरू नहीं हुआ है.

एक नाबालिग लड़की नई दिल्ली में वैक्सीन लेती हुई, प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो- मनीषा मोंडल, दिप्रिंट.

नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण में मंगलवार को जहां डिजिटल और मानसिक स्वास्थ्य पर केंद्रित था, वहीं बजट दस्तावेजों से पता चलता है कि बड़ी कटौती से चिकित्सा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आवंटन प्रभावित हुआ है.

हालांकि, इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट में आवंटन शामिल नहीं है, जो कि 2022-23 वित्तीय वर्ष के लिए 86,200 करोड़ रुपये है.

स्टेटमेंट ऑफ मेजर एक्सपेंडीचर बिटवीन बीई 2021-22 और 2022 शीर्षक के अध्याय में एक्सपेंडीचर प्रोफाइल डॉक्युमेंट में कहा गया है कि चिकित्सा तथा जन स्वास्थ्य के लिए आवंटन, वित्त वर्ष 2021-22 में 74,820 करोड़ से घटकर, 2022-23 वित्त वर्ष में 41,011 करोड़ रह गया है, जो 33,089 करोड़ की कमी है. डॉक्युमेंट में समझाया गया है कि इसका कारण कोविड टीकों की ज़रूरत में कमी आना है.


यह भी पढ़ें: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने मानसिक स्वास्थ्य और डिजिटल हेल्थ पर दिया जोर, Budget को 16% बढ़ाया


मंगलवार सुबह तक, भारत ने कोविड टीकों की 166.68 करोड़ (1,66,68,48,204) खुराक दी गई, जिसमें 75 प्रतिशत पात्र वयस्क आबादी को देश में पूरी तरह से टीका लगाया गया था (वैक्सीन की दो खुराक के साथ). कुल वयस्क आबादी जिसे पूरी तरह से टीका लगाने की आवश्यकता है, वह 94 करोड़ है.

इसके अलावा, वर्तमान टीकाकरण दिशानिर्देशों के तहत स्वास्थ्य देखभाल, फ्रंटलाइन वर्कर्स और कमजोर वरिष्ठ नागरिकों को एहतियाती खुराक दी जानी है. सरकारी अनुमानों के मुताबिक, आने वाले दिनों में 1.05 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों, 1.9 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स और 2.75 करोड़ कोमोर्बिड लोगों को वैक्सीन की तीसरी खुराक के तौर पर दी जानी है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

15-18 वर्ष की आयु के पात्र नाबालिग आबादी में से लगभग 46 प्रतिशत ने पहली खुराक ले ली है. भारत ने अभी तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई कार्यक्रम शुरू नहीं किया है.

पिछले साल टीकों के लिए 35 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे

वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में, जिसे स्वास्थ्य बजट के तौर पर प्रचारित किया गया, जिसमें सीतारमण ने कोविड के टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये अलग से रखे थे. सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत एक सवाल के सरकारी जवाब के अनुसार, 2021 में सरकार ने कोविड के टीकों की खरीद पर लगभग 20,000 करोड़ रुपये खर्च किए थे. कुछ आंतरिक सरकारी अनुमानों ने पिछले साल की शुरुआत में कोविड के टीकों पर कुल खर्च 50,000 करोड़ रुपये आंका था.

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कम खर्च पर टिप्पणी करते हुए कहा: ‘कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा करने में कोई वित्तीय बाधा नहीं होगी.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

Exit mobile version