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भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन के थर्ड फेज ट्रायल को मंजूरी, मिल सकती है बूस्टर डोज के तौर पर मान्यता

भारत बायोटेक अब अपनी इस नई कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का बूस्टर डोज के तौर स्टडी करेगी. इसके बाद वैक्सीन के परिणाम पता चलने के बाद इसे मंजूरी दी जाएगी.

प्रतीकात्मक तस्वीर/ ANI फोटो

नई दिल्ली: ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की एक्सपर्ट कमेटी ने एक बैठक के दौरान भारत बायोटेक कंपनी की नाक से दी जाने वाली वैक्सीन को बूस्टर डोज और तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी दे दी है.

भारत बायोटेक अब अपनी इस नई कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का बूस्टर डोज के तौर स्टडी करेगी. इसके बाद वैक्सीन के परिणाम पता चलने के बाद इसे मंजूरी दी जाएगी.

इससे पहले गुरुवार को भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने घोषणा की कि बीबीवी152 (कोवैक्सीन) टीका बच्चों के मामले में चरण दो और चरण तीन के अध्ययन में सुरक्षित और अच्छी प्रतिरक्षा उपलब्ध कराने वाला साबित हुआ है.

टीका निर्माता ने अपने बयान में कहा कि भारत बायोटेक ने 2-18 वर्ष की आयु के स्वस्थ बच्चों और किशोरों में कोवैक्सीन संबंधी सुरक्षा, प्रतिक्रिया और प्रतिरक्षण क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए चरण दो और तीन का बहुकेंद्रीय अध्ययन किया था.

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कृष्णा एला ने कहा, ‘बच्चों में कोवैक्सीन का चिकित्सीय ​​​​परीक्षण डेटा बहुत उत्साहजनक है. बच्चों के लिए टीके से संबंधित सुरक्षा महत्वपूर्ण है और हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कोवैक्सीन अब बच्चों में सुरक्षा एवं प्रतिरक्षण क्षमता के लिहाज से बेहतर साबित हुआ है. हमने अब वयस्कों और बच्चों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी कोविड-19 टीका विकसित करने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है.’

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इस साल जून-सितंबर के बीच बच्चों पर किए गए टीके के चिकित्सीय ​​​​परीक्षणों में मजबूत सुरक्षा और प्रतिरक्षा दिखी है. अक्टूबर 2021 के दौरान इसका डेटा केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को सौंपा गया था और हाल ही में भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने 12-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए कोवैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति प्रदान कर दी थी.

विज्ञप्ति में कहा गया कि अध्ययन में किसी गंभीर प्रतिकूल घटना की सूचना नहीं मिली.

बता दें इससे पहले कोविड के लिए मोलनपिरविर को मंजूरी दी कई है. लेकिन डॉक्टर इस दवा को लेकर फूंक फूंक कर कदम रख रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है मोलनुपिरविर भले ही लोगों को अस्पतालों में भर्ती होने से बचने में मदद कर सकता है, लेकिन इसके द्वारा वायरस में म्यूटेशन की क्षमता के साथ-साथ इसकी निर्धारित खुराक के बारे में भी उनकी कई सारी चिंताएं हैं.

बता दें कि मोलनपिरविर प्रोटोकॉल के अनुसार रोगियों को पांच दिनों की तक हर 12 घंटे में 200 मिलीग्राम के चार कैप्सूल प्रिसक्राइब किए जाते हैं, जिससे इसकी पूरी खुराक 40 गोलियों की बन जाती है. इस दवा के पूरे कोर्स (खुराक) की कीमत लगभग 3,000 रुपये है.

अमेरिका, ब्रिटेन, फिलीपींस, डेनमार्क आदि देशों में इस दवा के उपयोग को मंजूरी दे दी गई है, जबकि कई अन्य देशों ने इसके प्रति अपनी रुचि व्यक्त की है.


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