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गंगा के लिए दो और संतों ने शुरू किया उपवास, गोपालदास के अनशन का 126वां दिन

गंगा के लिए 126 दिनों से अनशन पर बैठे स्वामी गोपालदास, जिन्हें प्रशासन ने शुक्रवार को अस्पताल में भर्ती कराया है. (फोटो: रामेश्वर गौड़ )

मातृसदन के स्वामी शिवानंद ने कहा, सरकार संतों का खून चाह रही है, मां गंगा के लिए जो भी बलिदान देना पड़ेगा, हम देते रहेंगे.

नई दिल्ली: गंगा में खनन बंद कराने, बांध परियोजनाओं को नियंत्रित करने और गंगा को साफ करने के लिए संतों का आंदोलन जारी है. हरिद्वार स्थित मातृसदन के संत गोपालदास को अनशन करते हुए 126 दिन हो चुके हैं. प्रो. जीडी अग्रवाल की 112 दिन के अनशन से हुई मौत के बाद भी सरकार ने संतों से संवाद करना जरूरी नहीं समझा है.

अब इसी आश्रम के आत्मबोधानंद ने भी 24 अक्टूबर से अनशन शुरू कर दिया है. इसके अलावा पुण्यानंद ने भी अन्न का त्याग कर दिया है और वे 24 अक्टूबर से फलाहार पर रहेंगे.

गौरतलब है कि अविरल और निर्मल गंगा के लिए कदम उठाने की मांग करते हुए प्रो. जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की अनशन के दौरान ही 11 अक्टूबर को मौत हो गई थी. उन्होंने 112 दिन तक अनशन किया था. जीडी अग्रवाल से पहले स्वामी निगमानंद और गोकुलानंद भी गंगा के लिए अनशन करते हुए अपनी जान गवां चुके हैं.


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निगमानंद ने 114 दिन तक अनशन किया था और 13 जून, 2011 को देहरादून के जौलीग्रांट अस्पताल में उनका निधन हुआ था. निगमानंद के साथ ही स्वामी गोकुलानंद ने भी अनशन शुरू किया था. निगमानंद के देहांत के बाद गोकुलानंद ने अनशन जारी रखा. 2013 में वे एकांतवास पर चले गए, बाद में उनका शव बामनी में बरामद हुआ. इन दोनों संतों की मौत के मामले में आरोप लगा था कि उन्हें जहर दिया गया था, हालांकि, ये आरोप साबित नहीं हो सके.

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प्रो. जीडी अग्रवाल की मौत के बाद प्रशासन ने संत गोपालदास को उनके आश्रम से उठाकर ऋषिकेश स्थित एम्स में भर्ती कराया था, इसके बाद उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया था. वे फिलहाल वहीं पर हैं.

आत्मबोधानंद ने दिप्रिंट को बताया, ‘संत गोपालदास के अनशन को 126 दिन हो चुके हैं. उन्हें चंडीगढ़ पीजीआई में कस्टडी में रखा गया है. उनके हाथ पैर बांध, नाक से तरल भोजन दिया जाता है. सरकार की नीति है कि गंगा पर कोई कदम नहीं उठाएंगे, बस गंगा बचाने की मांग को लेकर अनशन कर रहे संतों को उठाकर अस्पताल ले जाएंगे और हत्या कर देंगे. सरकार ने प्रो. अग्रवाल की हत्या कर दी. अब वे गोपालदास की हत्या करना चाह रहे हैं.’

उन्होंने बताया, ‘मातृसदन में तपस्या का क्रम जारी रहेगा. मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद अनशन पर बैठने वाले थे, लेकिन बुजुर्ग ही बलिदान क्यों दें? हम युवा संत भी अपनी जान देंगे. मैं अनशन करूंगा, अगर मेरी जान चली गई तो पुण्यानंद फलाहार त्याग देंगे. मां गंगा की अविरल, निर्मल धारा के लिए हम अपना खून बहाएंगे.’


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क्या सरकार ने आपसे संवाद करने की कोई कोशिश नहीं की, इस सवाल पर मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रशासन संतों को उठाकर मार रहा है. मोदी जी को हमने तीन पत्र लिखे लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. गडकरी जी सभ्यता और संस्कार को ताक पर रखकर बात करने वाले व्यक्ति हैं. ऐसे में क्या कहा जाए?’

गंगा के लिए आंदोलन में संतों के समर्थन पर उन्होंने कहा, ‘संत समाज हमारे साथ कैसे आएगा? अगर कोई संत होगा तब तो वह ऐसे मुद्दों पर साथ आएगा. जिसमें साधु का गुण है, वे मेरे साथ हैं. अधिकांश साधु सिर्फ साधु का वेष बनाकर घूम रहे हैं और धंधा कर रहे हैं.’

तो क्या यह सब ऐसे ही चलता रहेगा और एक के बाद एक संतों की जान जाती रहेगी, इस सवाल पर स्वामी शिवानंद ने कहा, ‘बहुत से लोग खून के प्यासे होते हैं. ये लोग अभी खून के प्यासे हैं. और हम कहना चाहते हैं कि जब तक आपकी प्यास नहीं बुझेगी, हम अपना खून देकर आपकी प्यास बुझाते रहेंगे. पहले आपने निगमानंद को लिया, सानंद को लिया और यह क्रम जारी है. मां गंगा के लिए जितना भी जो भी बलिदान देना पड़ेगा, हम देते रहेंगे.’

उन्होंने कहा कि मोदी जी तक हमारी पहुंच नहीं है. हमने पत्र लिखकर समय मांगा, लेकिन वे कुछ जवाब ही नहीं देते तो हम क्या कर सकते हैं.’


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आत्मबोधानंद का आरोप है कि ‘स्वामी सानंद के देहावसान के बाद भी सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. सरकार की कोशिश है कि कैसे इस आंदोलन को दबा दिया जाए. वे अफवाह उड़ा रहे हैं कि स्वामी सानंद की 80 प्रतिशत मांग मान ली गई है. लेकिन इन लोगों ने कोई मांग नहीं मानी. उमा भारती आई थीं लेकिन इसलिए नहीं कि मांग मान ली गई है. बल्कि वे इसलिए आई थीं कि अनशन तोड़ दिया जाए.’

स्वामी सानंद की मौत के बाद पीटीआई के हवाले से मीडिया में खबर छपी थी कि केंद्र सरकार ने उनकी ज़्यादातर मांगें मान ली थीं, लेकिन मातृसदन के अध्यक्ष स्वामी शिवानंद और उनके शिष्य आत्मबोधानंद दोनों इसका इसका खंडन करते हैं.

वे आरोप लगाते हैं, ‘स्वामी सानंद के पास तीन अगस्त को नितिन गडकरी जी का फोन आया था. फोन पर हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि अनशन तोड़ दीजिए. इस पर स्वामी जी ने कहा कि हमारी मांग मानी नहीं गई है इसलिए हम अनशन नहीं तोड़ेंगे. इस पर गडकरी ने कहा कि आपको जो करना है कीजिए. और फोन काट दिया.’

11 अक्टूबर को ही स्वामी सानंद की मौत के बाद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गंगा सफाई अभियान को लेकर तीन ट्वीट किए. लेकिन स्वामी सानंद की मौत पर कुछ नहीं कहा. हमने उनसे फोन पर बात करने की कोशिश की लेकिन बात नहीं हो सकी. हमने उन्हें ईमेल भी भेजा है, अगर सरकार की ओर से कोई पक्ष आता है तो उसे इस रिपोर्ट में शामिल कर लिया जाएगा.

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