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VC का JNU के इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 500 करोड़ का लक्ष्य- कारोबारियों, पूर्व छात्रों से चाह रहीं मदद

वीसी शांतिश्री पंडित, जिन्हें 130 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा विरासत में मिला था, ने जेएनयू के खजाने को बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए हैं, जिसमें कई भाषा केंद्र खोलना भी शामिल है.

जेएनयू की नई वीसी शांतिश्री धुलूपुड़ी पंडित, फाइल फोटो | यूट्यूब

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक वित्तीय कोष बनाने की दिशा में काम कर रहा है, कुलपति शांतिश्री पंडित ने सोमवार को कहा, उन्होंने कहा कि उन्हें 130 करोड़ रुपये का घाटा विरासत में मिला है, लेकिन संस्थान के खातों में 500 करोड़ रुपये छोड़ना चाहेंगी.

राजस्व बढ़ाने के लिए, विश्वविद्यालय कई विकल्पों पर विचार कर रहा है – निजी मददगारों को आमंत्रित करने से लेकर भाषा केंद्र खोलने तक.

तमिल अध्ययन केंद्र के तौर पर इसकी शुरुआत पहले ही हो चुकी है.

पंडित ने कहा: ‘जेएनयू देश की सांस्कृतिक विविधता को सेलिब्रेट करने के लिए जाना जाता है और इस तरह के स्कूल को शुरू करने के लिए दिखता रहा है और ब्रांड वैल्यू रही है. उत्तर भारत के छात्र महसूस करेंगे कि पूर्व, पश्चिम और दक्षिण भारत की भाषाओं में कितनी विविधता है. इससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि यह छात्रों को संवेदनशील बनाएगा.’

यह घोषणा जेएनयू में चल रहे तमिल विरासत सप्ताह और भारतीय भाषाओं के सप्ताह के दौरान की गई है, जो देशभर में भारतीय भाषाओं के इतिहास और विरासत को संरक्षित करने के लिए मनाया जा रहा है.

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्र स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय को 10 करोड़ रुपये दिए हैं. पंडित ने कहा, ‘हम ऐसे और केंद्रों के लिए ओडिशा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, असम और पुडुचेरी के साथ बातचीत कर रहे हैं. इससे हमारे फंड में करीब 50 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी होगी.’

महाराष्ट्र और असम के शिक्षामंत्री अपनी राज्य भाषाओं के प्रचार को लेकर इसी तरह के केंद्र स्थापित करने के लिए 15 दिसंबर को परिसर का दौरा करेंगे. यूनिवर्सिटी इन भाषाओं में शॉर्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू कर रही है.


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निजी सहायता

जेएनयू को न केवल अपनी संरचनाओं के पुनर्निर्माण के लिए बल्कि कई मौजूदा पाठ्यक्रमों के लिए नई इमारतों की स्थापना के लिए फंड की जरूरत है.

इसके लिए, कुलपति निजी कारोबारियों और पूर्व छात्रों से बुनियादी ढांचा तैयार कर विश्वविद्यालय को देने में मदद मांग रही हैं. उन्होंने कहा कि निजी मदद नौकरशाही प्रक्रियाओं में लगने वाले समय को भी कम करेगा.

संस्थान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ एक खाता स्थापित करने के लिए भी बातचीत कर रहा है जहां दानकर्ता सीधे धन हस्तांतरित कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘कई पूर्व छात्रों ने दान करने में रुचि दिखाई है और हम उन्हें एक लिंक प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय की वेबसाइट को अपडेट करेंगे जो उन्हें कर लाभ भी देगा. इससे जवाबदेही बढ़ेगी क्योंकि फंड सीधे कॉर्पस अकाउंट में जाएगा.’

लोन और आईओई टैग

विश्वविद्यालय अपने परिसर के पुनर्निर्माण के लिए निजी मददगारों के साथ जब बातचीत कर रहा है, इसी दौरान इसने उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए) और शिक्षा मंत्रालय से इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस (आईओई) टैग के लिए भी आवेदन किया है.

वीसी ने कहा, ‘हम एचईएफए से 550 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं और आईओई टैग के लिए भी आवेदन किया है. जेएनयू देश का शीर्ष सांस्कृतिक संस्थान है और इससे कम रैंकिंग वाले संस्थानों को टैग दिया गया है.’

आईओई का दर्जा इस श्रेणी में चुने गए प्रत्येक संस्थान के लिए 1,000 करोड़ रुपये का वित्त पोषण लाता है.

परिसर और परिसर की इमारतों के आसपास की दीवार के पुनर्निर्माण के लिए एचईएफए ऋण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को भेजा जाएगा.

अब तक, चार विज्ञान प्रयोगशालाओं का उन्नयन किया गया है और एक बार और धन आने पर अन्य में सुधार किया जाएगा.

पंडित ने कहा: ‘हमने संयुक्त सहयोग के लिए कई विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए हैं और इससे होने वाली आय का लगभग 5-10 प्रतिशत छात्रों की फील्ड यात्राओं के आर्थिक मदद के लिए जाएगा.’

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