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2002 के बाद 400 से ज्याद स्वदेशी ध्रुव, इसके कई तरह के हेलीकॉप्टर बने, इनमें से 23 दुर्घटनाग्रस्त हुए

भारतीय थल सेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार को हुए हादसे से पहले एयर ट्रैफिक कंट्रोल को 'मे डे' कॉल प्राप्त हुआ था जिसमें उसे बताया गया था कि हेलिकॉप्टर में तकनीकी या यांत्रिक खराबी आ गई है.

शुक्रवार अरुणाचल प्रदेश में हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद उसमें से निकलता धुआं, फाइल फोटो.

नई दिल्ली: अरूणाचल प्रदेश में शुक्रवार को हथियारों से लैस एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) की दुखद दुर्घटना, जिसमें कम-से- कम चार लोग मारे गए थे, ने एक बार फिर से स्वदेशी हेलीकॉप्टर – जो फ़िलहाल भारतीय सेना की विमानन इकाई की रीढ़ की हड्डी है- के साथ जुडी दुर्घटनाओं की श्रृंखला पर सबका ध्यान केंद्रित कर दिया है.

अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में स्थित तुतिंग इलाके के पास शुक्रवार सुबह करीब 10:43 बजे हुई दुर्घटना – जिसमें इस हेलीकॉप्टर में सवार पांच कर्मियों में से कम-से-कम चार की मौत हो गई थी – के संदर्भ में सेना ने एक ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ (किसी सैन्य मामले की जांच के लिए नियुक्त एक न्यायाधिकरण) का गठन किया है.

शनिवार को जारी एक बयान में, सेना ने कहा कि दुर्घटना के समय का मौसम अच्छा था और दोनों पायलटों के पास कुल मिलकर ‘रुद्र’ हेलीकॉप्टर की संयुक्त उड़ान के 600 से अधिक घंटे और सभी तरह की उड़ानों के 1,800 से अधिक उड़ान घंटे का नुभव था

इसमें कहा गया है कि ‘दुर्घटना से पहले, एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को साल 2015 में शामिल किये गए इस हेलीकॉप्टर में किसी तरह की तकनीकी या यांत्रिक विफलता का इशारा करते हुए एक ‘मे डे’ (आपात स्थिति में बचाव के लिए किये जाने वाला कॉल) वाला कॉल प्राप्त हुआ था.’ सेना ने कहा है कि यही तथ्य ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ की जांच का मुख्य बिंदु बनेगा.


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इस दुर्घटना ने साल 2019 में हुई एक और एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर की घातक दुर्घटना की तरफ ध्यान खींचा है, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह – जो उस समय उत्तरी सेना के कमांडर थे – चमत्कारी रूप से बच गए थे, जब उन्हें और उनके अन्य सात साथियों को ले जा रहा यह विमान जम्मू कश्मीर के पुंछ क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

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हालांकि, उस दुर्घटना में ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ द्वारा प्राप्त निष्कर्ष सार्वजनिक नहीं किये गए हैं, रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने कहा कि दुर्घटना ‘कलेक्टिव’, जो हेलीकॉप्टर के रोटर्स और पिछले हिस्से की शक्ति को नियंत्रित करता है, टूट गया था.

सूत्रों ने कहा, यह एक विनिर्माण संबधी दोष (मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट) था.

थल सेना और वायुसेना लगभग 90 रुद्र हेलिकॉप्टर्स का संचलन करती है

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर, 5.5-टन भार वर्ग में एक जुड़वा इंजन, कई भूमिकाओं में काम करने वाला और कई सारे मिशनों को अंजाम देने वाला नई पीढ़ी का हेलीकॉप्टर’ है और इसे भारतीय थल सेना के सबसे कारगर विमान के रूप में देखा जाता है.

पहली बार 2002 में शामिल किये गए इस हेलीकॉप्टर – जिसका नवीनतम संस्करण एमके- III है – के 400 से अधिक विमान द्वारा निर्मित किये गए हैं. इन्हीं में इसका हथियार युक्त संस्करण – जिसे एएलएच रुद्र के रूप में जाना जाता है – भी शामिल हैं.

एचएएल के अनुसार, इस साल जनवरी तक, 335 से अधिक ध्रुव हेलिकॉप्टर्स का उत्पादन किया गया है, जो लगभग 3,40,000 घंटों तक की उड़ान दर्ज कर चुके हैं. भारतीय थल सेना और वायु सेना कुल मिलाकर लगभग 90 रुद्र हेलिकॉप्टर्स संचालित करते हैं, जिन्हें पहली बार साल 2013 में शामिल किया गया था.

हालांकि, इनमें से कम-से-कम 23 ध्रुव/रुद्र हेलिकॉप्टर्स दुर्घटनाओं का शिकार हो चुके हैं, जिसमें कई सारे सैन्यकर्मियों की जान भी चली गयी है, इसके अलावा आपातकालीन लैंडिंग के भी कई मामले सामने आये हैं.

चिंता की बात यह है कि ये सभी दुर्घटनाएं शांति काल में हुई हैं न कि किसी वास्तविक युद्ध वाले परिदृश्य में.

अरुणाचल प्रदेश वाली दुर्घटना के बारे में पूछे जाने पर, एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ‘मे डे’ की कॉल और सेना द्वारा जारी बयान इस ओर इशारा करता है कि ‘हेलीकॉप्टर के साथ कोई न कोई अनर्थकारी घटना हुई है.’

उन्होंने कहा, ‘पहले भी कुछ मामले सामने आए हैं जहां एएलएच ध्रुव दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे. यह जरूरी है कि एचएएल और सेना मुख्यालय किसी भी तकनीकी/विनिर्माण विसंगतियों – जो इनमें हो सकता है- को दूर करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाएं.’

2002 के बाद से हो चुकी है एएलएच ध्रुव की 16 दुर्घटनाएं

हालांकि रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने इस बात से सहमति व्यक्त की कि इस हेलीकॉप्टर के साथ कई सर्विसिंग (देखरेख और मरम्मत) संबधी चुनौतियां हैं, मगर उन्होंने एएलएच को ‘भरोसेमंद’ हेलीकॉप्टर करार दिया.

साल 2016 में, सरकार ने कहा था कि 2002 के बाद से ध्रुव हेलीकॉप्टर के साथ 16 दुर्घटनाएं हुई हैं. इन दुर्घटनाओं में से दो नागरिक वाले हेलिकॉप्टर्स में हुई थीं और पांच दुर्घटनाएं इक्वाडोर में हुई थीं, जिसने इसमें से सात हेलिकॉप्टर्स की खरीद की थी.

तत्कालीन रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने राज्यसभा को दिए गए एक लिखित उत्तर में कहा था कि इन ‘16 दुर्घटनाओं में से 12 इंसानी भूल और पर्यावरणीय/ मौसम संबंधी कारकों के कारण हुई और शेष चार तकनीकी कारणों से हुईं थीं.’

पिछले साल दिसंबर में, सरकार ने कहा था कि मार्च 2017 से अब तक 15 सैन्य हेलिकॉप्टर दुर्घटनाएं हुई हैं, जिसमें चार ध्रुव और दो रुद्र हेलिकॉप्टर्स शामिल थे.

इन हेलीकॉप्टर की कई आपातकालीन लैंडिंग हुई हैं, जिसमें पिछले साल गुजरात के खेड़ा जिले में दो 3-सितारा अधिकारियों के साथ हुई एक लैंडिंग भी शामिल है.

सैन्य उपयोगिता संस्करण वाले ध्रुव का प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) साल 2002 में और नागरिक सेवा वाले संस्करण का प्रमाणन साल 2004 में पूरा हुआ था.

भारत सरकार के स्वामित्व वाली प्रमुख एयरोस्पेस कंपनी एचएएल अब एएलएच ध्रुव के आधार पर ही बनाये गए लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) लेकर आई है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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