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सेटेलाइट ने पूर्वी हिंद महासागर में चीनी सर्वेक्षण जहाज़ को समुद्र तल की मैपिंग करते हुए दिखाया है

चीनी सरकार का सर्वेक्षण जहाज़ जिसपर आरोप है, कि पिछले सप्ताह अपनी स्थिति से सूचित किए बिना, वो संदिग्ध रूप से डेटा एकत्र कर रहा था, जिसका इस्तेमाल नागरिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.

फोटो कर्ट्सी: इंटेल लैब और एच आई सटन

नई दिल्ली: चीन सरकार का एक सर्वेक्षण जहाज़, शियांग यांग हॉन्ग 03, फिलहाल हिंद महासागर में काम कर रहा है, और सुमात्रा के पश्चिम में एक सर्च पैटर्न को अंजाम दे रहा है. ये ख़ुलासा हाल ही में सेटेलाइट एवं ओपन सोर्स इंटेलिजेंस (ओएसआईएनटी) से हुआ है.

पिछले हफ्ते भी इसी जहाज़ पर, ‘रनिंग डार्क’ का आरोप लगाया गया था, यानी वो अपनी स्थिति का प्रसारण किए बिना, इंडोनेशिया की समुद्री सीमा के अंदर काम कर रहा था.

चीन के शियांग यांग हॉन्ग सर्वेक्षण जहाज़ों पर संदेह है, कि समुद्र तल को मैप करने के लिए, वो हिंद महासागर में पानी के अंदर ग्लाइडर्स चला रहे हैं.

रक्षा एवं ओएसआईएनटी विश्लेषक, एचआई सटन ने दिप्रिंट से कहा, ‘शक ये है कि नागरिक अनुसंधान के अलावा, ये जहाज़ नौसैनिक योजनाकर्ताओं के लिए भी जानकारी जुटा रहे हैं- लहरें, जल की गहराई, पानी का खारापन- जो सब पनडुब्बी युद्ध के लिए प्रासंगिक होते हैं’. उन्होंने आगे कहा कि हाइड्रोग्राफिक डेटा, नागरिक-रक्षा अज्ञेय होता है, जिसका मतलब है कि इसे नागरिक और सैन्य, दोनों उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

सटन ने कहा, ‘पूर्वी हिंद महासाहर में चीनी नौसेना की ख़ास दिलचस्पी हो सकती है, चूंकि वो अपनी पनडुब्बी क्षमता का विस्तार कर रही है. इन सर्वेक्षणों से मिले डेटा से, पनडुब्बियों को नेविगेट करने और अपने गुप्त बने रहने में, मदद मिल सकती है’.

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क्या हो सकती है चीन की मंशा

नेवलन्यूज़ पर छपे अपने एक लेख में, सटन ने लिखा कि इंडोनेशिया और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह के नज़दीक चल रहीं, कुछ सर्वेक्षण गतिविधियों का ताल्लुक़, अमेरिकी नौसेना के प्रतिष्ठित ‘फिश हुक’ सेंसर नेटवर्क्स का, पता लगाने से हो सकता है.

उन्होंने कहा, ‘इन्हें हिंद महासागर में दाख़िल होने वाली, चीनी पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. स्वाभाविक है, कि इसकी पुष्टि नहीं की जा सकती’.

दिप्रिंट ने नवंबर 2020 में ख़बर दी थी, कि श्रीलंका के पानी में चीन के दो अनुसंधान एवं सर्वेक्षण जहाज़ों ने, भारतीय नौसेना का ध्यान अपनी ओर खींचा था, जो उन्हें संभावित रूप से डेटा एकत्र करने की, एक बड़ी चाल के हिस्से रूप में देखती है.

उस समय रक्षा प्रतिष्ठान की ओर से तैयार, एक नोट में कहा गया था, कि सर्वेक्षण और अनुसंधान जहाज़ बुनियादी रूप से, नौसैनिक, ख़ासकर पनडुब्बियों के संचालनों लिए अहम डेटा एकत्र करते हैं.

नोट में कहा गया था, ‘श्रीलंका के पानी में ऐसी भार-रहित और संदिग्ध गतिविधि, निश्चित रूप से क्षेत्र के दूसरे देशों को भड़काने का काम करेगी, और ये संभावित रूप से आईओआर में, नाज़ुक समुद्री संतुलन को बिगाड़ सकती है’.

सटन ने कहा कि शियांग यांग हॉन्ग (लाल सूरज के सामने) के चार अनुसंधान जहाज़, पिछले दो सालों में विशेष रूप से सक्रिय रहे हैं- शियांग यांग हॉन्ग 01, 03, 06, और 19.

उन्होंने कहा, ‘इन जहाज़ों का संचालन राज्य महासागरीय प्रशासन (ओसओए) द्वारा किया जाता है. दिसंबर 2019 में, शियांग यांग हॉन्ग 06 ने हिंद महासागर में, पानी के अंदर कम से कम 12 ग्लाइडर तैनात किए हुए थे. लंबे समय तक पानी के अंदर रहने वाले, ये अनस्क्रूड अडरवॉटर वेहिकल्स (यूयूवीज़), लहरों और पानी की विशेषताओं पर डेटा एकत्र करते हैं. इनका डेटा नागरिक-रक्षा अज्ञेय भी होता है, और पनडुब्बी युद्ध के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक होता है’.

संयोग से, तैनात किए गए ग्लाइडर्स सी विंग (हाईई) टाइप के थे. ये वही मॉडल है जो इंडोनेशिया के समुद्र में पाया गया था.

सटन ने कहा, ‘इससे इस संभावना को बल मिलता है, कि शियांग यांग हॉन्ग 06 की तरह, दूसरे चीनी जहाज़ भी ग्लाइडर्स तैनात कर रहे होंगे. इंडोनेशिया के पानी में मिले ग्लाइडर्स का नॉन्च प्वॉइंट तय करना, एक मुश्किल काम हो सकता है. लेकिन ये सुझाना कोई बड़ी बात नहीं होगी, कि चीन ने पूर्वी हिंद महासागर में और भी ग्लाइडर्स तैनात किए हुए हैं’.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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