होम डिफेंस मैरीटाइम थिएटर कमांड तटरक्षक पोतों को अपने नियंत्रण में ले सकती है

मैरीटाइम थिएटर कमांड तटरक्षक पोतों को अपने नियंत्रण में ले सकती है

सरकार अभी यह तय करेगी कि एमटीसी किस प्राधिकरण को रिपोर्ट करेगी, लेकिन बहुत संभव है कि इसका जिम्मा सीडीएस के नेतृत्व वाली ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के पास ही रहेगा.

प्रतीकात्मक तस्वीर/भारतीय नौसेना के जहाज/ कॉमंस

नई दिल्ली: दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक भारत की मैरीटाइम थिएटर कमांड (एमटीसी) योजना, जिसमें पूर्वी और पश्चिमी नौसेना कमान के विलय के अलावा सेना और वायुसेना की भी भागीदारी होगी, के तहत भारतीय तटरक्षक बल की संपत्तियों को इसके संचालन संबंधी नियंत्रण में लाया जा सकता है.

इसका मतलब यह है कि यद्यपि तटरक्षक बल रक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट करता रखेगा, लेकिन उसकी संपत्ति यानी पोतों का संचालन एमटीसी द्वारा किया जाएगा. यह कमांड 2022 तक काम करने लगेगी.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों के अनुसार यह एमटीसी के संगठनात्मक ढांचे को लेकर नौसेना द्वारा किए गए एक अध्ययन के आधार पर तैयार योजना का हिस्सा है. अध्ययन का उद्देश्य मंजूरी की तिथि से नौ महीने के अंदर एमटीसी को ऑपरेशनल करना है.

सरकार की तरफ से मंजूरी मिलने से पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) इस अध्ययन को बारीकी से देखेंगे.

सूत्रों ने कहा कि एमटीसी का मुख्यालय कारवाड़ में आईएनएस कदंबा में होने की संभावना है. यह सरकार तय करेगी कि एमटीसी किस प्राधिकरण को रिपोर्ट करेगी, लेकिन इसका जिम्मा सीडीएस की अध्यक्षता वाली ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी को मिल सकता है.

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देश में तीनों सेनाओं की एकमात्र कमान—अंडमान और निकोबार कमान (एनएनसी)—के एमटीसी के अंतर्गत ही आने की संभावना है और यह एक अन्य चौकी की तरह काम करेगी.

मूल योजना में एएनसी की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाना था और इसे नए थिएटर कमांड सिद्धांत से बाहर ही रखा जाना था, जिसका उद्देश्य बेहतर सामंजस्य के लिए तीनों सेवाओं-सेना, नौसेना और वायु सेना- की विशिष्ट इकाइयों और उपकरणों को एक ही लीडर के नेतृत्व लाना था.

अमेरिका और चीन दोनों एक थिएटर कमांड सिद्धांत का पालन करते हैं.

तटरक्षक संपत्ति

एक सूत्र ने कहा, ‘एएनसी के अलावा तटरक्षक बल की संपत्ति भी एमटीसी के ऑपरेशनल कंट्रोल में आ जाएगी. हां, तटरक्षक बल के महानिदेशक बने रहेंगे और वे बल को मजबूत करने, प्रशिक्षित करने और रखरखाव की पूरी प्रक्रिया का जिम्मा संभालेंगे.’

इसका मतलब है कि तटरक्षक महानिदेशक रक्षा मंत्रालय को रिपोर्ट करना जारी रखेंगे और प्रशिक्षण और विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे, लेकिन बल की संपत्ति एमटीसी के नियंत्रण में आ जाएगी.

सूत्रों ने कहा कि इसका मतलब यह भी है कि यदि जरूरत पड़े हो तो तटरक्षक जहाजों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में गश्त के लिए किया जा सकता है.

सूत्र ने कहा कि केरल और पोर्ट ब्लेयर स्थित सेना की दो एम्फीबिएस ब्रिगेड एमटीसी के तहत आएंगी. इसके अलावा वायुसेना की समुद्री हमले में इस्तेमाल होने वाली संपत्तियां—गुजरात में जामनगर(जगुआर) और तमिलनाडु में तंजावुर (सुखोई30 एमकेआई)–भी एमटीसी के तहत आएंगी.

इस साल फरवरी में सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने पश्चिमी और पूर्वी कमान के विलय के पीछे के अपने उद्देश्य को रेखांकित किया था. उस समय इसे ‘पेनिन्सुलर कमांड’ कहा गया था, लेकिन बाद में नाम बदलकर मैरीटाइम थिएटर कमांड कर दिया गया.


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