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भारत के ‘रोमियो’ की अमेरिका में परीक्षण उड़ान जारी, जुलाई में एंटी-सबमरीन चॉपर्स के आने की संभावना

एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर भारत के आसपास जल क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच पनडुब्बी-रोधी अभियान संबंधी नौसेना की तात्कालिक आवश्यकताएं पूरी करने के लिए बना है.

एमएच-60 'रोमियो' एंटी-सबमरीन हेलिकॉप्टर्स | फोटो: विशेष प्रबंध

नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के लिए निर्मित हो रहे 24 एमएच-60 ‘रोमियो’ पनडुब्बी-रोधी हेलीकॉप्टरों में से एक ने न्यूयॉर्क के आसमान में परीक्षण उड़ान भरी है और इनकी पहली खेप जुलाई अंत तक भारत पहुंचने की संभावना है.

यह विमान नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से पिछले साल अमेरिका के साथ 24 हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए किए गए 2.4 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे का हिस्सा है.

ये हेलीकॉप्टर नौसेना की तत्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए हैं जो भारत के आसपास जल क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए अपने पी-81 विमान पर निर्भर है.

जानकार सूत्रों ने बताया कि भारत के लिए निर्मित पहला हेलिकॉप्टर न्यूयॉर्क के ओवेगो में उड़ान भर चुका है. भारतीय नौसेना की एक टीम की तरफ से अंतिम मंजूरी से पहले विमान कई परीक्षण उड़ानों से गुजरेगा.

अमेरिकी सेना के नेवल एयर सिस्टम्स कमांड ने भी भारतीय रोमियो की उड़ान भरते हुए एक तस्वीर जारी की है.

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दिप्रिंट की तरफ से संपर्क किए जाने पर हेलीकॉप्टर निर्माता कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने कहा कि ‘भारतीय नौसेना के लिए एमएच-60आर हेलीकॉप्टरों के पहले बैच की अपूर्ति इस वर्ष के मध्य तक शुरू हो जाएगी.’

भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने भी दिप्रिंट को बताया कि विमान की आपूर्ति तय समय पर होगी और पहले तीन हेलीकॉप्टर इस साल के मध्य तक भारत पहुंच जाएंगे.

समयसीमा के बारे में कुछ स्पष्ट जानकारी मांगे जाने पर सूत्रों ने कहा कि ये हेलीकॉप्टर जुलाई अंत तक आ जाने चाहिए.

अगस्त 2018 में इन हेलॉकॉप्टरों के लिए सौदे को तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से मंजूरी दी गई थी. बिक्री को अप्रैल 2019 में मंजूरी मिली थी और अंतिम करार पर दस्तखत पिछले साल ही हुए थे.


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नौसेना को अंतत: पनडुब्बी-रोधी हेलीकॉप्टर मिलेंगे

नौसेना इस समय काफी पुराने हो चुके ब्रिटेन निर्मित सी किंग बेड़े के साथ अपना काम चला रही है, जिसका इस्तेमाल अब उसकी वास्तविक भूमिका— दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के बजाये परिवहन के लिए किया जाता है.

फिलहाल, भूमि से संचालित होने वाले बोइंग पी8आई विमान का उपयोग दुश्मन की पनडुब्बियों पर नजर रखने और टोही मिशन के लिए किया जा रहा है.

बल की तरफ से ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत 123 नौसेना मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों (एनएमआरएच) के लिए एक अलग कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाया गया है. हालांकि, यह कार्यक्रम अभी बहुत गति नहीं पकड़ पाया है.


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रोमियो के लिए हर काम आसान

अमेरिका नौसेना खुले समुद्री क्षेत्रों और तटवर्ती इलाकों में अपने प्राथमिक पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान और एंटी सरफेस वेपन सिस्टम के तौर पर रोमियो की ही तैनाती करता है.

‘सबमरीन हंटर्स’ के नाम से भी जाने जाने वाले ये हेलीकॉप्टर एंटी-सरफेस वारफेयर की क्षमताओं से भी लैस हैं, जिसका मतलब है कि पानी की सतह के ऊपर खतरों का पता लगाने और दुश्मन के जहाजों को निशाना बनाने में सक्षम होंगे.

रोमियो हेलीकॉप्टरों का भारतीय संस्करण हवा से सतह पर मार करने वाली हेलफायर मिसाइलों और मार्क 54 एंटी-सबमरीन टॉरपीडो से लैस होगा.

हेलीकॉप्टर नौसेना से जुड़े अन्य विभिन्न अभियानों जैसे राहत एवं बचाव, रसद आपूर्ति, सैन्यकर्मियों की आवाजाही, चिकित्सा सहायता और निगरानी आदि में भी कारगर है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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