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चीन से बातचीत में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के खिलाफ है भारत, किसी भी हालात से निपटने लिए सेना सतर्क

अप्रैल 2020 के बाद से ही दोनों पक्षों के बीच भड़के तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच 14वें दौर की सैन्य वार्ता 12 जनवरी को होनी है.

लद्दाख में भारतीय सैनिक | फाइल फोटो: प्रतीकात्मक तस्वीर | विशेष व्यवस्था से

नई दिल्ली: तमाम अटकलों के विपरीत, भारत, चीन के साथ शांति वार्ता में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता –  राजनयिक अथवा राजनीतिक दोनों ही स्तरों पर- की मांग नहीं कर रहा है. इस बारे में बात करते हुए भारत सरकार के सूत्रों ने शनिवार को कहा कि वह पूरी तरह से इस तरह के किसी भी कदम के खिलाफ है.

एक सरकारी सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने सभी संबंधित पक्षों को स्पष्ट कर दिया है कि हम किसी तीसरे पक्ष के द्वारा किसी भी तरह के हस्तक्षेप के पक्ष में नहीं हैं. इस बारे में हमारा रुख हमेशा एक जैसा रहा है.’

इन सूत्रों ने आगे बताया कि चीन के साथ पहले से ही बातचीत चल रही है, फिर भी दोनों पक्षों में ‘विश्वास की कमी’ है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए भारतीय सेना को सक्रिय रूप से तैनात रखा गया है.

अप्रैल 2020 के बाद से ही दोनों पक्षों के बीच भड़के तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच 14वें दौर की सैन्य वार्ता 12 जनवरी को होनी है.

इसके बाद से, हालांकि पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर डिसेन्गेजमेंट हुआ है, फिर भी दोनों ही पक्षों ने बड़ी संख्या में सैनिकों और उपकरणों का जमावड़ा करना जारी रखा है.

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भारत और चीन के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता अभी निर्धारित नहीं

इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर दोनों ने 2020 में रूस में अपने चीनी समकक्षों के साथ मुलाकात की थी.

संयोगवश, राजनाथ सिंह ने सितंबर 2020 में उसी होटल में चीनी रक्षामंत्री की मेजबानी की थी, जहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल ठहरा हुआ था.

विदित हो कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले महीने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान उनकी भारत यात्रा का उल्लेख किया था.

सूत्रों ने कहा कि भारत को चीनी पक्ष से बात करने में कोई गुरेज नहीं है, हालांकि अभी किसी प्रकार की कोई भी द्विपक्षीय वार्ता की योजना नहीं है.

किसी भी परिस्थिति के लिए’ तैयार है भारतीय फौज

इस बात को रेखांकित करते हुए कि दोनों पक्षों में अभी भी ‘विश्वास की कमी’ है, सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत चीनियों द्वारा किए गए किसी भी वादे अथवा उसकी बातों के झांसे में नहीं आ रहा है.

यह उम्मीद जताते हुए कि एलएसी पर बना तनाव बातचीत के माध्यम से ही समाप्त हो जाएगा, सूत्रों ने आगे कहा कि वहां किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सैनिक और उपकरण मौजूद हैं.

पिछले महीने ही, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज के अनिश्चित वातावरण में, जब किसी भी तरह के संघर्ष की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है, सीमावर्ती क्षेत्रों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया था.

पिछले महीने अपने रूसी समकक्ष के साथ उनके भारत आगमन पर बातचीत करते हुए, सिंह ने इस बात को रेखांकित किया था कि भारत की रक्षा संबंधी चुनौतियां ‘वैध, वास्तविक और तात्कालिक’ जरूरतों वाली हैं और इसलिए भारत ऐसे भागीदारों की तलाश में है जो ‘इसकी उम्मीदों और आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी’ हों.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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