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पश्चिम से प्रभावित है नॉर्थईस्ट का म्यूजिक, पापोन बोले-कोरिया की तरह कल्चरल रेवोल्यूशन की जरूरत है

अंगराग 'पैपोन' महंत का कहना है कि यहां का संगीत अपनी पहचान की तलाश के लिए संघर्ष कर रहा है. नॉर्थईस्ट के अधिकांश गीतों में न तो वहां का कोई सार बचा है और न ही आत्मा.

एक कार्यक्रम में परफॉर्म करते हुए पापोन/फोटो: @paponmusic | ट्विटर

संगीत एक सम्मान है, जो पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने का काम करती है. अंतरराष्ट्रीय बैंड और कलाकारों की पसंदीदा जगह होने के साथ साथ कई संगीत समारोहों का जनक भी है. इसलिए पूर्वोत्तर राज्यों को अपनी विरासत और इतिहास पर गर्व भी है.

लेकिन अंगराग ‘पापोन’ महंत कहते हैं, पूर्वोत्तर की आवाज़ अभी भी अपनी एक पहचान की तलाश मे हैं और संघर्ष कर रही है क्योंकि यहां के अधिकांश संगीतकार और गायक वेस्टर्न म्यूजिक से प्रभावित हैं और जिसकी वजह से वो रॉक एंड ब्लूज़ पर अटके हुए हैं.

वह कहते हैं, ‘पूर्वोत्तर का अधिकांश संगीत असमिया या खासी या नागा में गाए गए रॉक गीतों की तरह लगता है. अगर आप इसमें से भाषा को अलग कर दें तो वहां की न तो कोई ध्वनि है और न ही म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट.

बॉलीवुड के लिए कई पॉपुलर गीत गा चुके पापोन कहते हैं कि यदि कोई इंसान देसी गीत बजा रहा है तो वह केवल उसका अनुवाद ही कर हा है क्योंकि इस गाने में न तो पूर्वोत्तर का कोई एशेंस मिलता है न ही इसकी आत्मा ही सुनाई देती है.

वह आगे कहते हैं, ‘ हमें अपनी पारंपरिक जड़ों और धुनों को खोजने की जरूरत है इसे संरक्षित करते हुए हमें इसपर काम करना पड़ेगा. देखिए कोरिया क्या कर रहा है, यह एक कल्चरल रेवोल्यूशन है. उन्होंने पहचाने जाने के साथ-साथ दुनिया को अपने कब्जे में ले लिया है.’

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‘डिजिटल स्पेस की समस्या’

गीतकार गुलजार के 88वें जन्मदिन पर उनके द्वारा लिखे गए गीत कहानी कोई को रिलीज़ करने के एक हफ्ते बाद, जब पापोन दिप्रिंट के साथ एक इंटरव्यू के लिए बैठे, वहां दीवार पर दो गिटार लगे हुए थे. वह कहते हैं कि ‘गुलजार के साथ काम करना सपने जैसा है. हमलोग उनके संगीत को सुनते हुए बड़े हुए हैं. ‘

पापोन के अनुसार, इस प्रकार के गाने, जो लंबे होते हैं और एक कहानी सुनाते हुए होते हैं, संगीत के प्रारूप और एकरूपता में बदलाव के कारण डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर डालना मुश्किल है.

पापोन कहते हैं, ‘जबकि डिजिटल स्पेस में बहुत सारी समस्या है, अधिकांश संगीत एक जैसा ही है. या तो बॉलीवुड या बॉलीवुड जैसा, और थोड़ा इंडी. सभी प्रकार के संगीत को आसानी से सुलभ बनाने की जरूरत है.’


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‘असमिया संगीत मेरे दिल में हैं’

पैपोन जिन्होंने अभी तक बॉलीवुड को कई यादगार गाने दिए हैं, वह काफी लोकप्रिय भी हैं वे उन कुछ लोगों में से हैं, जिन्होंने पूर्वोत्तर के लोक संगीत को केंद्र में ला दिया है.

एमटीवी कोक स्टूडियो पर उनके अधिकांश शुरुआती गीतों में असम का स्वाद था – पक पक (बिहू गीतों की खूबसूरत), दिने दिने (गोलपारा का लोक गीत), तोकारी (असमीय वाद्य डुकरी से उत्पन्न पारंपरिक लोक संगीत), झुमूर (की यात्रा) चाय बागान).

वह कहते हैं, ‘ असम का लोकसंगीत मेरे दिल में बसता है यही मेरा रूट है इसकी वजह से ही मैं हूं. ‘ यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि जब उनसे उनके पसंदीदा वाद्य यंत्र के बारे में पूछा गया तो उनकी आंखें चमक उठीं.

पापोन कहते हैं, ‘मुझे असमिया में ‘खुल’ बजाना पसंद है, जिसे बंगाली में ‘खोल’ भी कहते हैं, लेकिन इन दोनों का आकार, ध्वनि और संरचना बहुत अलग है.’ पापोन इन दिनों नॉर्थईस्ट के भूले-बिसरे वाद्य यंत्रों को वापस लाने के मिशन पर भी काम कर रहे हैं.

‘कई उपकरण खो गए हैं और भुला दिए गए हैं क्योंकि अतीत में उनका कोई दस्तावेज ही मौजूद नहीं था. वह कहते हैं कि बहुत सारे दिलचस्प उपकरण हैं, विभिन्न ध्वनियां हैं, अगर हमें कुछ पुरानी पांडुलिपियां या डिज़ाइन मिल जाएं, तो हम इसे फिर से बनाने के लिए कारीगरों को दे सकते हैं.’

असम और उसके संगीत को केंद्र में रखते हुए, पापोन दो फिल्मों – ‘द मिस्टिकल ब्रह्मपुत्र’ और ‘लैंड ऑफ सेक्रेड बीट्स’ को भी प्रोड्यू कर रहे हैं. पापोन कहते हैं, ‘यह विभिन्न जनजातियों और जातीय समूहों के गीतों को खोजने और खोजने की यात्रा पर बनाई जा रही फिल्म है.’ वह दिप्रिंट के साथ अपना इंटरव्यू बिहू गीत को गाकर खत्म करते हैं.

(इस फीचर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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