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‘मेरी खूबसूरती का राज़…’ बाथ-टब में लेटे हुए शाहरूख़ का वह विज्ञापन जिसने लक्स को एक ‘बोल्ड एंड ब्यूटीफुल’ ब्रांड बनाया

2005 के इस विज्ञापन ने सौंदर्य उत्पादों के विज्ञापन के लिए महिलाओं के उपयोग वाले खेल को एकदम उलट कर रख दिया था, क्योंकि इसने दर्शकों की निगाहों को महिलाओं के प्रति यौनआकर्षण के बजाय एक पुरुष पर केंद्रित कर दिया था.

रमनदीप कौर द्वारा ग्राफिक | दिप्रिंट

नई दिल्ली: गुलाब की पंखुड़ियों से भरे बाथटब में आराम से लेटे हुए एक अर्ध-नग्न शाहरुख खान अपनी अच्छे दिखने वाली सूरत के राज को उजागर करने का वादा करते हुए कहते हैं, ‘आज मैं आप को बताने वाला हूं, ‘मेरी खूबसुरती का राज’ और उनके इर्द-गिर्द बॉलीवुड की चार सुपर स्टार अभिनेत्रियां – हेमा मालिनी, जूही चावला, करीना कपूर और श्री देवी- भी खड़ी दिखती हैं.

कुछ इसी तरह किंग खान ने साल 2005 में एक ‘लक्स गर्ल’ के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी. महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पहली बार हो रहा था कि किसी पुरुष फिल्मी सितारे ने भारत में महिलाओं के किसी सौंदर्य उत्पाद का विज्ञापन किया था.

बाद में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गये एक साक्षात्कार में किंग ख़ान ने बताया, ‘वास्तव में, मैं खुद टब में उतरना चाहता था न कि किसी महिला को उस मे लेटे हुए या कुछ और करते हुए देखने के. मुझे लगता है कि ऐसा करना इस पुरुष-प्रधान धारणा के अनुरूप होता कि इस तरह के विज्ञापन को कैसे फिल्माया जाना चाहिए था. मैं तो वह करना चाहता था जो बाकाई में उचित तरीका है.’

उस साल, यूनिलीवर के स्वामित्व वाला लक्स ब्रांड, इस कंपनी की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर साबुनों का एक नया कलेक्शन लॉन्च कर रहा था. ‘हर स्टार लकी स्टार’ नाम के इस अभियान में हर साबुन के आवरण (रैपर) में एक उपहार देने का वादा किया गया था और शाहरुख़ को इस अभियान के चेहरे के रूप में चुना गया था.

इस विज्ञापन ने कई विवाद भी पैदा कर दिए थे…

कई लोगों ने शाहरुख द्वारा इस साबुन के अनुमोदन को तर्क से परे बताया, जबकि कुछ को इस तथ्य के साथ समस्या थी कि यह इस ब्रांड द्वारा दर्शकों के व्यापक समूह तक इस साबुन को फिर से पेश करने के प्रयास के तहत अपनाया गया मेट्रोसेक्सुअल अपील का एक तरीका मात्र था.

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कुछ विशेषज्ञों का कहना था कि यह एक ‘अतिवादी निर्णय’ था और उस समय के बाजार में लक्स की बिक्री में आती गिरावट को थामने के लिए अपनाई गई एक ‘व्याकुल रणनीति’ थी.

कई अन्य का कहना था कि यह कंपनी के द्वारा उठाया गया एक साहसिक कदम था.

आईआईएम कोझिकोड के शोध छात्र (रिसर्च फेलो) सतीश पई का कहना है, ‘बाथटब में शाहरुख को दिखाने वाला यह आकर्षक विज्ञापन लक्स के इससे पहले के सभी विज्ञापन अभियानों, जो महिला फिल्मी सितारों के इर्द-गिर्द हीं केंद्रित थे – से काफ़ी हटकर था और स्पष्ट रूप से यह ज़्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से किया गया था.’

वे कहते हैं, ‘वास्तव में ऐसा कोई और सितारा नहीं है जिसके बारे में मैं यह सोच सकता हूं कि वह शाहरुख की तुलना में इस विज्ञापन को बेहतर ढंग से कर सकता था. उस वक्त वह विज्ञापन उद्योग में हर किसी के पसंदीदा शख़्श थे.’

आगे चलकर शाहरुख ने लक्स के कई अन्य विज्ञापनों में भी काम किया.

उनमें से एक में एस.आर.के. को लक्स साबुन की ‘जादुई’ खुश्बू के कारण उसी विज्ञापन में उनके साथ अभिनय करने वाली कैटरीना कैफ पर ‘बेकाबू’ (मुग्ध) होते हुए दिखाया गया था. इस खुश्बू को विश्व-प्रसिद्ध इत्र निर्माता डाइडर गैफेट द्वारा विकसित किया गया था. ये वही फ्रांसीसी शख़्शियात हैं जिन्होंने एवन, अमोर टोटल और ले सीक्रेट डू लक्स ब्रोकार्ड जैसी महिलाओं के बीच लोकप्रिय खुश्बू वाले उत्पाद विकसित किए थे.

शाहरुख को श्री देवी, दीपिका पादुकोण, माधुरी दीक्षित और शर्मिला टैगोर जैसे महिला फिल्मी सितारों के साथ लक्स गोल्डन रोज़ अवार्ड्स के एक विज्ञापन में भी अभिनय करते हुए देखा गया था.

एसआरके द्वारा 2005 के लक्स के शुरुआती विज्ञापन के करीब चार साल बाद अभिषेक बच्चन भी इस कड़ी में शामिल हुए जब वह अपनी पत्नी ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ लक्स के एक विज्ञापन में दिखाई दिए. इसी के साथ वह 1995 में अमेरिकी अभिनेता पॉल न्यूमैन और एसआरके के बाद लक्स के विज्ञापन में शामिल होने वाले तीसरे पुरुष स्टार बन गए.

 

लालसा की वास्तु (ऑब्जेक्ट ऑफ डिज़ाइर)

साल 1929 में लीवर ब्रदर्स द्वारा भारत में लॉन्च किए गये लक्स ब्रांड का तब से लेकर अब तक लगभग सभी जानीमानी बॉलीवुड अभिनेत्रियों द्वारा विज्ञापन किया गया है. व्यापारिक विलय और अधिग्रहण की एक लंबी श्रृंखला के बाद यूके स्थित यह कंपनी अब यूनिलीवर के नाम से जानी जाती है, जो भारतीय मे इसकी सहायक कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड की मालिक है.

1942 में लक्स के भारत में दिए गये पहले प्रिंट विज्ञापन में लीला चिटनिस स्टार आकर्षण थी. बाद में, मधुबाला, परवीन बाबी जैसी अभिनेत्रियां इस ब्रांड का चेहरा बनी और उन्होने बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों को विज्ञापन में शामिल करने का इसका चलन जारी रखा. इस समय में, ऐश्वर्या राय बच्चन और आलिया भट्ट को इन ब्यूटी आइकॉन की लंबी सूची में जोड़ा गया है.

जानेमाने सितारों के साथ इस जुड़ाव की व्याख्या करते हुए, ब्रांड-रणनीति विशेषज्ञ हरीश बिजूर ने कहा कि इस उत्पाद को फिल्मी सितारों के सौंदर्य साबुन के रूप में देखा जाता है.

बिजूर, जिन्होने हरीश बिजूर कंसल्ट्स इंक की स्थापना की है, ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन दिनों भी बहुत सारे पुरुष लक्स का इस्तेमाल करते थे. हालांकि, जिस अपील ने इसके चलन को बढ़ावा दिया वह थी महिला सितारों की अपील. लक्स ने इसे बदलने की कोशिश की और बदले में में एक अहम सबक सीखा.’

हालांकि लक्स के अनुसार यह ब्रांड महिलाओं को अपनी स्वभाविक स्त्रीत्व को अपनाने और सुंदर महसूस करने के एक माध्यम के रूप में इस साबुन चुनने के लिए प्रेरित करने की उम्मीद करता है, वहीं गुड़गांव की एक ब्रांड रणनीतिकार श्वेता कौल ने कहा कि 2005 के इस विज्ञापन ने दर्शकों की निगाहों को एक आत्मविश्वास से भरे पुरुष सितारे पर केंद्रित करने में मदद की.

वे कहती हैं, ‘मैं कहूंगी कि लक्स ने महिला ब्रांड एंबेसेडर्स के हद से ज़्यादा यौनकरण (सेक्सुअलिजेशन), जो कि इस सेगमेंट में किसी भी अन्य सौंदर्य और स्वच्छता ब्रांड की तरह होता रहा है, वाली पटकथा को एकदम उलट दिया था और इसके बजाय उसने एक आत्मविश्वास से भरे पुरुष पर दर्शकों का ध्यान केंद्रित किया. अगर इस विज्ञापन को आज के समय में जारी किया गया होता, तो इसे अपेक्षाकृत अच्छी प्रतिक्रिया मिली होती. 21वीं सदी के 20 का दशक विभिन्न प्रकार की अभिव्यक्तियों के प्रति अधिक खुला हो गया है.’


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हालांकि, शाहरुख खान को इस विज्ञापन के लिए बाथटब में उतारने वाले अशोक वेंकटरमानी ने कहा कि उस समय इस विज्ञापन की रणनीति उपभोक्ताओं में बदलाव पर केंद्रित नहीं थी.

वेंकटरमानी, जो एचयूएल के उपाध्यक्ष और व्यापार प्रमुख थे, को 2019 में यह कहते हुए उद्धृत किया गया था कि ‘एसआरके के लक्स का अनुमोदन करने का मतलब यह नहीं है कि हम अपना ध्यान कहीं और केंद्रित कर रहे हैं. हम अब भी उपभोक्ताओं के महिला वाले भाग पर अपना ध्यान केंद्रित करना जारी रखेंगे. शाहरुख हमें अपने मुख्य रूप से लक्षित दर्शकों तक और भी अधिक सुगमता से पहुंचने और उनसे हमारे समर्थन की अपील करने में ज़्यादा मदद करेंगे.’

लक्स का अब तक का सफ़र

एक टॉयलेट मे इस्तेमाल होने वाले साबुन से लेकर ‘सबसे ग्लैमरस सितारों के साबुन’ तक, लक्स साबुन की मार्केटिंग संबंधी रणनीति बाजार की बदलती हुई परिस्थिति – जिसमें डव, पीयर्स, संतूर और डेटॉल जैसे प्रतिद्वंद्वियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा भी शामिल है – से मेल खाने के लिए बदल गई है.

लक्स, जिसे अंग्रेज़ी के लक्ज़री शब्द से लिया गया है, ने अपने उत्पादों की शृंखला का विस्तार करते हुए साबुन के बार के अलावा बॉडी वॉश, हैंड वॉश, परफ्यूम और लिक्विड जैल जैसे उत्पाद भी अपने ब्रांड में शामिल कर लिए हैं.

इसके पीछे का मूल विचार यह है कि प्रभावशाली वर्ग के लिए बने एक लक्जरी उत्पाद को मध्यवर्गीय भारतीयों के लिए सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराया जाए. वर्षों से फिल्मी सितारों के विज्ञापनों की बहुतायत – लगभग 50 बॉलीवुड सितारे अब तक इसका विज्ञापन कर चुके है – के साथ यह एक ऐसा संदेश है जिसे लक्स बार- बार दोहराना चाहता है.

पिछले साल फरवरी में, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड का लक्स साबुन देश में सबसे अधिक विज्ञापित ब्रांड था और एक सप्ताह में इसके विज्ञापन में 14.7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.

एचयूएल के कैटेगरी हेड, पर्सनल वॉश सुधीर सीतापति ने द इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘ इस विज्ञापन का मूल उद्देश्य यह है कि अगर कोई लक्स का इस्तेमाल करता है, तो वह किसी फिल्मी सितारे की तरह दिखेगा.’

हालांकि, 2005 के इस विज्ञापन ने बाजार में जितना शोर मचाया था, उसकी तुलना में इसने कंपनी को मिलने वाले लाभ को बढ़ाने में उतनी मदद नहीं की. कंपनी के साबुन और डिटर्जेंट वाले संभाग (सेगमेंट) के कारोबार में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई, साल 2004 में हुई 4,470. 74 करोड़ रुपये की बिक्री के मुकाबले में 4961.71 करोड़ रुपये की बिक्री (संबंधित सेवाओं से आय सहित) दर्ज की गई. एचयूएल के निदेशकों की वित्तीय वर्ष 2005 के लिए रिपोर्ट. के अनुसार, इस संभाग के लाभ में 2004 की तुलना में 11.8 प्रतिशत की गिरावट आई है.

हालांकि जो अब भी बरकरार है, वह है इस विज्ञापन का असर.

शिल्पा मदान, मार्केटिंग प्रोफेसर और लक्स के पूर्व ग्लोबल ब्रांड मैनेजर ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह लक्स के गौरवशाली 75 साल के इतिहास का जश्न मनाने के लिए किया गया एक शानदार काम था. यह वास्तव में अपने समय से काफ़ी आगे था – क्योंकि, पहली बार, किसी पुरुष को लालसा की वस्तु के रूप में दिखाया जा रहा था.’

वे कहती हैं, ‘एसआरके, जो गैर-परंपरागत भूमिकाएं निभाने और किसी भी तरह की चुनौती को कभी ना कहने के लिए जाने जाते हैं, इस विज्ञापन के लिए एक शानदार विकल्प थे और इस पूरे अभियान पर काम करने के लिए एक पूरी तरह से तत्पर शख़्श थे.‘

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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