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राहुल गांधी की टिप्पणी से बेवजह खफा न हों. व्यक्तिगत विचार भारत की वैश्विक स्थिति को ठेस नहीं पहुंचाते

दिप्रिंट का 50 शब्दों में सबसे तेज़ नज़रिया.

दिप्रिंट का 50 शब्दों में मत.

लंदन में राहुल गांधी की लोकतंत्र को खतरे में डालने वाली टिप्पणी को लेकर संसद में इतना हंगामा जरूरी नहीं है. अलार्मवाद के लिए उनकी आलोचना करें, लेकिन वह विदेशी धरती पर घरेलू चिंताओं को उठाने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं. इंदिरा, मोरारजी और मोदी ने भी ऐसा किया है. व्यक्तिगत विचार भारत की वैश्विक स्थिति को न तो बनाते हैं और न ही बिगाड़ते हैं. एक गौरवान्वित राष्ट्र आत्मविश्वासी राजनेताओं का हकदार है.

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