यूएपीए के तहत “गिल्ट बाए एसोसिएशन” सिद्धांत को पुनर्जीवित करने वाला सुप्रीम कोर्ट का फैसला पहले से ही कठोर कानून पर व्यक्तिगत अधिकारों को और प्रतिबंधित करता है. यह ‘सदस्य’ शब्द पर बिना किसी स्पष्टता के प्रतिबंधित संगठनों के सक्रिय और निष्क्रिय सदस्यों के बीच के अंतर को दूर नहीं करता. अति उत्साही जांच एजेंसियां नागरिक अधिकारों को खतरे में डालने के लिए इसका दुरुपयोग करेंगी.
UAPA पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नागरिक अधिकारों पर और कसेगी नकेल
दिप्रिंट का 50 शब्दों में सबसे तेज़ नज़रिया.