फेसबुक विवाद भारत के लोकतंत्र से संबंधित है और एक निष्पक्ष और द्विदलीय संसदीय जांच के योग्य है. दोष को पर्सनलाइज करने के बजाय सवाल यह है कि क्या यह मेगा कॉरपोरेशन केवल लाभ से प्रेरित है या योजना में निष्पक्षता और इसकी स्कीम ऑफ़ थिंग में जिम्मेदार व्यवहार की विशेषता है,जैसा कि इसका सार्वजनिक बहस का वर्चस्व है.
फेसबुक विवाद को पर्सनलाइज नहीं करना चाहिए, संसदीय जांच होनी चाहिए
दिप्रिंट का महत्वपूर्ण मामलों पर सबसे तेज नज़रिया.