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होटल में टिप देने में भारतीय पहले से ही अच्छे नहीं है, इसे रेग्युलेट करना बाजार के खिलाफ

दिप्रिंट का 50 शब्दों में सबसे तेज़ नज़रिया.

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50 शब्दों में मत.

टिप देने में भारतीय अच्छे नहीं हैं. इसलिए महंगे रेस्तरां, होटल कम वेतन वाले वेटर्स के लिए सर्विस चार्ज लेते हैं. लेकिन अब सरकार अच्छे खासे उपभोक्ताओं को सर्विस चार्ज से बचा रही है? फिर रहस्यमयी कन्वीनिएंस फी आखिर क्या है? लोग अपनी पंसद से बाहर जाकर खाते हैं. इस बिजनेस को रेग्युलेट करना बाजार के खिलाफ है.

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