जनवरी से अप्रैल के बीच एसबीआई का चुनावी बांड 542% बढ़ा है, जो कि चुनाव का चरम काल था. भारत जब वोट कर रहा है उसे नहीं पता की इस तथाकथित लोकतंत्र के पर्व में किसका धन लगा है और आगे चल कर किस के प्रभाव में शासन व्यवस्था चलेगी. यह एक परिपक्व लोकतंत्र की निशानी नहीं है.
एसबीआई इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री में 542% की वृद्धि, चुनाव की फंडिग को लेकर मतदाता हैं भ्रमित
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