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प्रणब मुखर्जी- सभी ‘वाद’ से ऊपर उठा हुआ राजनेता जिसके लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि था

दिप्रिंट का महत्वपूर्ण मामलों पर सबसे तेज नज़रिया.

दिप्रिंट का 50 शब्दों में मत.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मृत्यु राष्ट्र के लिए क्षति है. भारत के विकास के सफर में उनकी अहम भूमिका रही है और वो एक प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व रहे हैं. मुखर्जी को एक ऐसे राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा जो राष्ट्र हित को सभी ‘वाद’ से ऊपर मानते थे. भारतीय सार्वजनिक दायरे में उनके जाने से एक बड़ी शून्यता पैदा हो गई है.

जीडीपी के आंकड़े दिखाते हैं कि मोदी सरकार को डिमांड बढ़ाने पर ज़ोर देना होगा

अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी में निजी खपत और निश्चित पूंजी निर्माण में भारी गिरावट, मांग और निवेश को बढ़ाने में मोदी सरकार के सामने चुनौती को दिखाता है. जब उपभोक्ताओं का विश्वास काफी कम है उस समय खपत और निवेश को बढ़ाने के लिए पर्याप्त मांग प्रोत्साहन सरकार को देना होगा.

अवमानना के पूरे कंसेप्ट का दोबारा मूल्यांकन करने के लिए प्रशांत भूषण के मामले को ध्यान में रखना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट बनाम प्रशांत भूषण का अवमानना का मामला ‘ड्रा’ हो गया जिसमें दोनों पक्षों ने सेफ फेस मैनेज कर लिया. अवमानना ​​की पूरी अवधारणा का दोबारा मूल्यांकन करने के लिए इस साहसी अनुभव का इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगली बार भारत की सर्वोच्च न्यायपालिका को इस पर इतना समय और ऊर्जा खर्च नहीं करनी चाहिए.

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