संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया में बहुप्रचारित खालिस्तान समर्थक रैलियों में कम भीड़ ने फिर से स्पष्ट कर दिया है कि सिख अलगाववाद की एकमात्र मातृभूमि सोशल मीडिया है. हिंसक अलगाववादियों की धमकी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए. लेकिन भारत के राजनीतिक नेतृत्व को घबराई हुई बहस से इस कमज़ोर आंदोलन में जान नहीं डालनी चाहिए.
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया में सिख अलगाववादियों के समर्थक बहुत कम, इसपर ध्यान देने की जरूरत नहीं
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