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कांग्रेस दंगों और आतंकवाद की रिपोर्टिंग पर लगाम चाहती है, इसका विरोध होना चाहिए

दिप्रिंट का महत्वपूर्ण मामले पर सबसे तेज़ नज़रिया

50 Words
दिप्रिंट का 50 शब्दों में सबसे तेज़ नज़रिया

कांग्रेस ये तय नहीं कर पा रही कि वो बोलने की आज़ादी के पक्ष में है या नहीं. इसलिए ये गफलत उसके घोषणा पत्र में भी दिख रही है – वो देशद्रोह कानून को हटाने का वादा करता है, मानहानि को अपराध नहीं मानना चाहता पर साथ ही वो राष्ट्रीय आपदा, दंगों, आतंकवाद और युद्ध की रिपोर्टिंग में ‘एक आचार संहिता’ लागू करना चाहता है. ये मीडिया पर सेंसरशिप की कोशिश है और इसका एकमत से विरोध होना चाहिए.

आरबीआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैंक अपने उधारकर्त्ताओं को लाभ प्रदान करें

दूसरी बार 25 बेसिस प्वाइंट रेट कट के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि कर्ज लेने वालों को बैंक फायदा पहुंचाये. आरबीआई को बैंको को कहना चाहिए कि वो उसके फ्लोटिंग ऋण के दरों के मापदंडों से जोड़ने के प्रस्ताव को बिना देरी के माने.

कांग्रेस को मध्यवर्ग पर अपनी ‘कर नीति’ स्पष्ट करना चाहिए

भारतीय मूल के अमरीकी अर्थशास्त्री, अभिजीत बनर्जी, जिनके लिए माना जाता है कि उन्होंने कांग्रेस को उसकी न्याय योजना में सलाह दी थी, और पार्टी के प्रचार प्रमुख सैम पित्रोदा ने मध्य वर्ग को अधिक कर देने के लिए तैयार रहने को कहा है. क्या पार्टी 1991 में आर्थिक सुधार की अपनी राय से पीछे हट रही है जिसमें उसने ‘कम और उम्मीद जितना कर’ का वादा किया था? उसे अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

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