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बिहार: तेजस्वी के ट्वीट से साफ- महागठबंधन के लिए ‘अभी कठिन है डगर पनघट की’

तेजस्वी ने ट्वीट में लिखा है, 'संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है. अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चुक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता?' 

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव | ट्विवटर

नई दिल्ली: बिहार की राजनीति में उठा-पटक का दौर जारी है. राज्य के विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के एक ट्वीट से साफ है कि महागठबंधन में सब ठीक नहीं चल रहा है. अपने इस ट्वीट में तेजस्वी ने सहयोगी पार्टी (कांग्रेस) से अहंकार त्यागने की अपील की है.

तेजस्वी ने कांग्रेस से कहा- जनता माफ नहीं करेगी

तेजस्वी ने ट्वीट में लिखा है, ‘संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है. अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चूक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता?’ दरअसल, कांग्रेस ने 11 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी है.

https://twitter.com/yadavtejashwi/status/1106781516091265025

तेजस्वी ने ये भी लिखा है कि अगर अपनी चंद सीटें बढ़ाने और सहयोगियों की सीटें घटाने के लिए सहयोगी पार्टी (कांग्रेस) ने अहंकार नहीं छोड़ा तो संविधान में आस्था रखने वाले न्यायप्रिय देशवासी माफ़ नहीं करेंगे. उनके इस ट्वीट से एक बात तो साफ है कि वो अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

सीटों को लेकर फंसा पेंच

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार तेजस्वी की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर खींचतान चल रही है. एक तरफ जहां आरजेडी 8-10 सीटों से ज़्यादा कांग्रेस को देने को तैयार नहीं है, वहीं कांग्रेस ने कल बिहार में 11 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी.

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अभी दोनों पार्टियों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई आम सहमति नहीं बनी है. बावजूद इसके कांग्रेस के 11 सीटों पर लड़ने की घोषणा और उसके जवाब में तेजस्वी का ‘सहयोगी’ को सयंम बरतने की सलाह देता ट्वीट एक बात तो साफ करता है कि महागठबंधन के लिए ‘बड़ी कठिन है डगर पनघट की’.

दरअसल, महागठबंधन के नेताओं ने सीटों के बंटवारे से जुड़े एलान की तारीख़ 17 मार्च तय की थी. लेकिन दबाव की राजनीति के तहत कांग्रेस ने पहले ही सीटों की संख्या से जुड़ी घोषणा कर दी. ज़ाहिर सी बात है कि ये बात तेजस्वी को बिल्कुल भी रास नहीं आई है.

नीतीश-मोदी अभी तेजस्वी-राहुल से आगे

2015 के विधानसभा चुनाव में लालू यादव की पार्टी ने कांग्रेस और नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड के साथ मिलकर महागठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़ा था. 2016 में लालू के परिवार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और एनडीए के अपने पुराने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पास चले गए.

एक तरफ जहां एनडीए में सीटों का साफ बंटवारा हो गया है और बीजेपी-जेडीयू दोनों ही 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. अब जबकि आम चुनाव के पहले चरण की वोटिंग में दो महीने का भी वक्त नहीं बचा तो ऐसे में ये तो कह ही सकते हैं कि सीट बंटवारे और इससे जुड़ी अन्य तैयारियों के मामले में नीतीश-मोदी की जोड़ी राज्य में तेजस्वी-राहुल की जोड़ी से आगे चल रही है.

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