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कटिहार: मोदी-महागठबंधन में बंटी ‘सन ऑफ मल्लाह’ की रैली में हेलिकॉप्टर देखने आई आधी से ज़्यादा भीड़

दो महीने पहले बनी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की रैलियों में ठीक ठाक भीड़ आ रही है. वहीं, इसके सुप्रीमो मुकेश साहनी के लिए प्रचार करने वाले भी सारे ही बिहार की राजनीति के ‘वीआईपी’ हैं.

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एक सभा के दौरान मुकेश साहनी. (फोटो: फेसबुक)

कटिहार: महज़ डेढ़ से दो महीने पहले बनी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) की रैलियों में ठीक ठाक भीड़ आ रही है. वहीं, इसके सुप्रीमो मुकेश साहनी के लिए प्रचार करने वाले भी सारे ही बिहार की राजनीति के ‘वीआईपी’ हैं. खगड़िया लोकसभा सीट से लड़ रहे साहनी ख़ुद को ‘सन ऑफ़ मल्लाह’ बताते हैं. इनकी रैली में तेजस्वी यादव से लेकर उपेंद्र कुशवाहा जैसे बिहार की राजनीति के ‘वीआईपी’ हेलिकॉप्टर से लैंड करते हैं, अपना जलवा बिखेरते हैं और जीत की माला पहनाकर ‘उड़’ जाते हैं. साहनी से जब मेरी बात हुई तो उनका कहना था, ‘लोगों के बीच उनका ख़ासा जनाधार है.’ लेकिन खगड़िया के आलौली विधानसभा की रैली में हेलिकॉप्टर, कुशवाहा और साहनी को देखने जुटी भीड़ की जनधार को लेकर बेहद मिली-जुली प्रतिक्रिया रही.

कुशवाहा अपने समय से तीन-चार घंटे लेट इस रैली में पहुंचे. उनके आने के बाद भीड़ के एक बड़े हिस्से ने उन्हें छोड़कर उनके हेलिकॉप्टर को घेर लिया. इस भीड़ में शशि नाम के एक शख़्स से दिप्रिंट की बात हुई. शशि कहते हैं कि उनके क्षेत्र में कुशवाहा की ये दूसरी रैली है और उनके और मीडिया के यहां आने का वो शुक्रिया अदा करते हैं. जब उनसे पूछा गया कि उनके नेताओं से उनकी क्या मांग हैं तो वो कहते हैं, ‘एक हॉस्पिटल है जिसकी हालत मेरे जन्म से यानी लगभग पिछले 20 साल से ख़राब है लेकिन जितने सांसद गए वो आज तक उसे देखने नहीं आए.’ अपने सांसद महबूब अली कैसर पर शशि का आरोप है कि उन्होंने भी इस मामले में कुछ नहीं किया. शशि ये आरोप भी लगाते हैं कि कैसर जीतने के बाद कभी उनके क्षेत्र में नहीं आए. हालांकि, बातचीत में वो ये बताते हैं कि सड़क और स्कूल का हाल ठीक-ठाक है.

सन ऑफ मल्लाह के रैली के दौरान भीड़

हेलिकॉप्टर को घेरे भीड़ के बीच 10-15 साल के करीब का पिंटू भी खड़ा था. ख़ुद को इस ज़िले के लदौरा गांव का बताने वाले पिंटू शशि की बात को ख़ारिज करते हुए कहते हैं, ‘मेरे गांव में आज तक एक भी टीचर की बहाली नहीं हुई.’ इस बीच भीड़ में मौजूद चुनचुन झा हॉस्पिटल की खस्ता हालत की बात को पुरज़ोर तरीके से दोहराते हैं. झा कहते हैं कि ग़रीब के लिए भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है. फिर वो बताते हैं कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के सुप्रीमो रामविलास पासवान अलौली के ही हैं. लेकिन कोई सुध लेने नहीं आता है और सिस्टम ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट है. इस बीच जब झा से सवाल होता है कि वो किसे वोट देंगे तो साहनी और कुशवाहा की रैली में आए झा के मुंह से फट से निकलता है, ‘सरकार तो मोदी की बनेगी क्योंकि वो सिस्टम को तो ठीक कर ही रहे हैं.’

जब झा से पूछा गया कि वो लोग साहनी और कुशवाहा की रैली में आए हैं और मोदी को वोट देने की बात कर रहे हैं तो शशि फिर से बातचीत में कूदते हुए कहते हैं, ‘सरकार तो ‘मोदिए’ का बनेगा!’ इसी सवाल के जवाब में झा कहते हैं कि रैली किसी की हो हम सबका मान-सम्मान करते हैं. भीड़ में मौजूद विकास केसरी कहते हैं, ‘हम अपनी गांव की अतिथि देवो भव: की संस्कृति में विश्वास रखते हैं. जो भी यहां आता है उसका सत्कार करते हैं. लोकतंत्र के महापर्व में सबको अपना उम्मीदवार चुनने का हक़ है. जो नेता आए हैं उनका स्वागत है. लेकिन मेरी पसंद मोदी जी हैं.’ उन पर जब ये सवाल दागा गया कि अगर वो नरेंद्र मोदी को चुन भी लेते हैं तो उनके क्षेत्र में वो ख़ुद तो आएंगे नहीं, बल्कि क्षेत्र का सांसद आएगा तो शशि कहते हैं, ‘आएं या मत आएं लेकिन ओनली फॉर देस के लिए मोदी चाहिए हम लोगों को!’

तभी हेलिकॉप्टर वाले घेरे के भीतर खड़े एक व्यक्ति बिना किसी सवाल के कहते हैं, ‘सबसे ‘घटिया’ आदमी हैं महबूब अली कैसर.’ फिर वही व्यक्ति कहते हैं कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार होनी चाहिए. थोड़ी देर पार्टियों के पक्ष में नारों का हंगामा होता है और फिर भीड़ में भगवा पहनकर खड़े अलौली के अशोक यादव कहते हैं कि राहुल (गांधी) की सरकार आनी चाहिए और बातचीत में वो अपने क्षेत्र से किसी कॉलेज के कहीं और ले जाए जाने का आरोप लगाते हैं. वो इस कॉलेज की अलौली में वापसी को अपना मुद्दा बताते हैं. यादव इस कॉलेज की वापसी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर अपना भरोसा जताते हैं. फिर भीड़ में कैसर को सबसे ‘घटिया’ आदमी बताने वाले व्यक्ति बीच में कूदकर कहते हैं कि जुमलाबाज़ी की सरकार नहीं चलेगी. जब उनपर पहले से साहनी समर्थक होने का आरोप लगाकर पूछा जाता है कि क्या राहुल गांधी जुमलेबाज़ी नहीं करते तो वो कहते हैं, ‘नहीं, बिल्कुल नहीं! कहां पर है मुद्दा (उनकी) जुमलेबाज़ी का आप ही बता दीजिए!’ भीड़ में मौजूद मोदी समर्थकों को ये व्यक्ति बीजेपी का प्रतिनिधि बताकर ख़ारिज कर देते हैं.

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भीड़ में ही मौजूद गुलशन कुमार दिप्रिंट का माइक अपनी ओर खींचकर कहते हैं, ‘हरिपुर का हॉस्पिटल काफी दिनों से बंद पड़ा है. यहां नाले की कोई व्यवस्था नहीं है.’ जब उनसे पूछा जाता है कि इसे कौन हल करेगा तो गुलशन कहते हैं, ‘हम मोदी को वोट करना चाहते हैं.’ भीड़ में मौजूद लोगों के बटे होने का ये आलम तब था जब साहनी ने दिप्रिंट से बातचीत में ये बताया कि उन्हें जो तीन सीटें मिली हैं वो उनके पास मौजूद वोट बैंक की वजह से मिली हैं. वो बताते हैं कि पूरे बिहार में उनके समुदाय के मल्लाहों की आबादी 15 प्रतिशत से ऊपर है और समुदाय के लोग उनके साथ हैं. आपको बता दें कि मैप्स ऑफ इंडिया डॉट कॉम की जानकारी के मुताबिक 2014 के आम चुनाव में इस सीट से नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) के उम्मीदवार महबूब अली कैसर को पिछले चुनाव में 313806 वोट मिले थे. वहीं, दूसरे नंबर पर लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की कृष्णा कुमारी यादव को 237803 वोट मिले थे.

हालांकि, जैसा कि बताया जाता है पिछली बार नरेंद्र मोदी की लहर थी जिसके इस बार घटने के आसार हैं. वहीं, अन्य सीटों की तरह इस सीट पर भी राज्य की कई अन्य बड़ी पार्टियां महागठबंधन के बैनर तले एक साथ आ गई हैं. इसके अलावा साहनी ने सांसद के तौर पर उन्हें मिलने वाले वेतन को भी लोगों के काम के लिए दे देने जैसे वादे किए हैं. इसी सीट पर आज वोटिंग हो रही है और आम चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि सीटिंग एमपी कैसर इस सीट पर अपनी नाव पार लगा पाते हैं या नाव छाप निशान वाली पार्टी वीआईपी के साहनी का बेड़ा पार लगता है.

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