होम 2019 लोकसभा चुनाव सावधान! ममता बनर्जी के खिलाफ जाना, मतलब ख़तरे को बुलाना

सावधान! ममता बनर्जी के खिलाफ जाना, मतलब ख़तरे को बुलाना

ये पहली बार नहीं कि ममता बनर्जी ने अभिव्यक्ति की आज़ादी को दरकिनार कर अपने खिलाफ लिखने, बोलने वालों को सज़ा न दिलवाई हो. आइए जानें, कब कब ममता का गुस्सा फूटा.

बायें से दायें- गिरफ्तार की गईं भाजमुयो कार्यकर्ता प्रियंका शर्मा, प्रियंका द्वारा शेयर की गई ममता की मॉर्फ्ड तस्वीर, ममता बनर्जी

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की फायर ब्रांड मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की संयोजक प्रियंका शर्मा को इस बात के लिए गिरफ्तार करवा दिया कि उन्होंने बनर्जी की एक मॉर्फ तस्वीर लगा दी. अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के मेट गाला के लुक के लिए सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया गया था. उसी लुक में ममता को सोशल मीडिया पर पेश करने के लिए भाजपा की प्रियंका शर्मा को गिरफ्तार ही नहीं कराया बल्कि आईपीसी की घारा 500 (मानहानी), धारा 66ए (आपत्तिजनक सामग्री) और 67ए (सेक्स संबंधी मुखर चीज़ों का वितरण) की कठोर धाराएं भी लगाई हैं. प्रियंका ने गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है जिसकी सुनवाई आज (मंगलवार) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

पर ये पहली बार नहीं है कि ममता बनर्जी को गुस्सा आया हो और उन्होंने अभिव्यक्ति की आज़ादी को दरकिनार कर अपने खिलाफ लिखने, बोलने वालों को सज़ा दिलवाई हो. लेकिन बड़ा सवाल ये उठता है कि ममता को आखिर इतना गुस्सा क्यों आता है? आइए जानें, कब कब ममता का गुस्सा फूटा.

अंबिकेश महापात्रा कार्टून मामला

लेफ्ट के 34 साल के राज को समाप्त कर 2011 में ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनीं. ऐसे में इस नई सरकार से राज्य समेत देश भर को कई उम्मीदें थीं. लेकिन बोलने की आज़ादी की कमर सरकार शुरु से ही तोड़ने लगी. 2012 में जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा का मामला बेहद विवादास्पद रहा. दरअसल, महापात्रा ने बनर्जी के अलोचना में एक कार्टून बनाया था. कार्टून में ये दिखाया गया था कि ममता बनर्जी और तब उनकी पार्टी के नेता रहे मुकुल रॉय इस पर चर्चा कर रहे हैं कि वो अपनी पार्टी के सासंद दिनेश त्रिवेदी से कैसे छुटकारा पा सकते हैं. इस कार्टून को महापात्रा ने सिर्फ मेल पर लोगों को भेजा था. इतना करने के लिए त्रिणमूल कार्यकर्ताओं ने महापात्रा पर हमले किए और बाद में उन्हें अलग-अलग धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना के बाद ममता सरकार को गंभीर आलोचना का सामना करना पड़ा था.


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डिबेट शो में सवाल पूछने वाले को बताया नक्सली

2012 में ही एक और अजीब घटना हुई. ममता बनर्जी नेटवर्क18 के एक टॉक शो में हिस्सा ले रही थी. तभी महिला सुरक्षा से जुड़ी घटनाओं पर उनसे जब एक छात्रा ने पूछा कि क्या ममता की पार्टी के नेताओं को ज़्यादा ज़िम्मेदारी से पेश आना चाहिए, तो ममता ने पहले तो छात्रा को विपक्षी पार्टी लेफ्ट का कैडर बता दिया. इसके बाद उन्होंने शो में आए आधे लोगों को लेफ्ट का बता दिया. अति तब हो गई जब उन्होंने अपनी विपक्षी पार्टी लेफ्ट और माओवादियों पर साथ काम करने का आरोप लगाया और फिर ये तक कह दिया की शो में उनसे सवाल पूछ रहे लोग माओवादी हैं. ऐसे आरोप लगाते हुए वो इस कार्यक्रम के बीच से उठकर चली गईं.

भविष्योत्तर भूत नाम की फिल्म पर बैन

इसी साल 15 फरवरी को रिलीज़ हुई फिल्म ‘भविष्योत्तर भूत’ अचानाक से थियेटरों से ग़ायब हो गई. दरअसल, फिल्म में बंगाल की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाली ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, लेफ्ट और भाजपा जैसी पार्टियों की आलोचना की गई है. ममता सरकार पर इसके ऊपर ‘आभासी प्रतिबंध’ लगाने का आरोप है. इन्हीं आरोपों की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल महीने में बंगाल सरकार को फिल्म के निर्माता को 20 लाख़ रुपए देने को कहा है, साथ ही एक लाख़ रुपए का हर्ज़ाना भी देने को कहा है.

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पत्रकारों को भी घेरती रही हैं ममता

आम चुनाव जब शुरू हुए तो ममता ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस दौरान वो तमाम पत्रकारों से सवाल कर रही थीं. इसी दौरान जब उनसे आनंद बाज़ार पत्रिका (एबीपी) के एक पत्रकार ने जब सवाल किया तो मामता ने जवाब देने के बजाए बात को मोदी सरकार की तरफ घुमा दिया. ममता ने कहा कि उन्हें पता है कि मोदी सरकार ने एबीपी के पत्रकारों के साथ क्या किया है. ऐसा करने में ममता असली सवालों से साफ बच निकलीं.


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वहीं, हाल ही में उनके एक रोड शो के दौरान जब इंडिया टूडे ग्रुप के पत्रकार राजदीप सरदेसाई उनसे भाजपा द्वारा जय श्री राम जैसे नारों के इस्तेमाल पर सवाल किया तो उन्होंने पूरे मीडिया को भाजपा का बता दिया. उन्होंने इन सवालों को ‘नरेंद्र मोदी सवाल’ करार दे दिया. मुख्यमंत्री ने माफी मांगते हुए मीडिया को नरेंद्र मोदी का दलाल तक बुला दिया.

बंगाल में एक चुनावी रैली में पीएम मोदी के खिलाफ रैली को संबोधित करते हुए गुस्से में उन्होंने लोकतंत्र के चेहरे पर तमाचा मारने तक की बात कह दी थी..वहीं प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों गैर राजनीतिक इंटरव्यू में ममता दीदी उन्हें कुर्ता और रसगुल्ला भेजे जाने की बात बताई तो दीदी ने गुस्से में कहा कि अब वह कंकड़ पत्थर भेजेंगी जिससे उनके सारे दांत टूट जाएं.

ऐसे में सवाल उठता है कि जब सोशल मीडिया पर तस्वीर शेयर करने वाली राजनीतिक विरोध से लेकर पत्रकार तक गिरफ्तारी और अपमान की तलवार लटकी हो तो कोई सवाल करे तो करे कैसे?

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