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मुरली मनोहर जोशी को गुस्सा क्यों आया?

भाजपा के कानपुर से सांसद व वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर की जनता को खुला खत लिखकर कहा है कि पार्टी नहीं चाहती की वो यहां या कहीं और से चुनाव लड़ें.

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भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, फाइल फोटो | कॉमन्स

नई दिल्ली: भाजपा के कानपुर से सांसद और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कानपुर की जनता को खुला खत लिखकर कहा है कि पार्टी नहीं चाहती की वो कानपुर या कहीं और से चुनाव लड़े. उन्होंने कानपुर की जनता को लिखा है कि भाजपा के संगठन मंत्री रामलाल ने उन्हें सूचित किया है कि वो कानपुर या किसी भी अन्य स्थान से चुनाव नहीं लड़ने वाले.

इससे पहले भाजपा के मार्गदर्शक मंडल के एक अन्य वरिष्ठ नेता, लाल कृष्ण आडवाणी का गुजरात के गांधीनगर सीट से पत्ता काट दिया गया था. इस पर उनकी नाराज़गी की अफवाहें चल रही थीं पर उन्होंने स्वयं इस मामले में चुप्पी साधे रखी. हालांकि कुछ खेमों से ये खबर भी चल रही थी कि उन्होंने स्वयं चुनाव लड़ने से मना कर दिया है.

टिकट न पाने से नाराज मुरली मनोहर जोशी का कानपुर की जनता को लिखा गया खुला खत.

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इससे पहले 2014 में देवरिया से जीतकर आए और तीन बार राज्यसभा सांसद रह चुके कलराज मिश्र ने कहा था कि वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. माना जाता है कि उन्हें पहले ही संकेत मिल चुका था कि पार्टी 75 साल से ऊपर के वरिष्ठ नेताओं का टिकट काटने का मन बना चुकी है और उन्होंने पहले ही चुनाव लड़ने की अनिच्छा व्यक्त कर दी.

यहां तक कि भाजपा की उत्तर प्रदेश के लिए जो स्टार प्रचारकों की सूची आई है उसमें भी लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम नहीं था. यानि पार्टी अब उनको प्रचार करने में भी इस्तेमाल नहीं करना चाहती.

पर शांता कुमार, आडवाणी और कलराज मिश्र की तरह फिजिक्स के प्रोफेसर जोशी चुप नहीं रहे. इससे पहले भी वे संसद की एस्टीमेट्स कमेटी (प्राक्कलन समिति ) के अध्यक्ष थे और उस नाते वे मोदी सरकार से टकराते रहे. उनकी बैंक एनपीए, गंगा की सफाई और प्रतिरक्षा मामलों में तैयारी जैसे मामलों में रिपोर्टे सरकार के लिए शर्मसार करने वाली रही है.

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इन वरिष्ठ नेताओं को पिछले चुनावों में उनकी इच्छा के विरुद्ध मार्गदर्शक मंडल में भेजा गया था और टीकाकार कहते हैं कि असल में उनसे कभी मार्गदर्शन लिया ही नहीं गया. वाजपेयी के समकक्ष रहे आडवाणी-जोशी का युग पार्टी में समाप्त हो गया है और मोदी-शाह का पार्टी पर वर्चस्व पूर्णतया हो गया है.

इससे पहले पार्टी से सुषमा स्वराज और उमा भारती भी चुनावी रेस से बाहर हो चुकी हैं.

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