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रायबरेली-अमेठी के अलावा एक और सीट जहां गांधी परिवार लगा रहा है दम, गठबंधन बना चुनौती

रायबरेली-अमेठी को हमेशा से ही गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन ऐसी ही एक सीट सुलतानपुर की है जहां से मेनका गांधी इस बार चुनाव लड़ रही हैं.

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बायें से बीजेपी नेता वरुण गांधी, मां मेनका गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी | दिप्रिंट

सुलतानपुर: रायबरेली-अमेठी को हमेशा से ही गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन ऐसी ही एक सीट और है जहां पूरा गांधी परिवार दम लगा रहा है. ये सीट है सुलतानपुर की जहां से मेनका गांधी इस बार चुनाव लड़ रही हैं. 2014 में यहां से वरुण गांधी सांसद बने थे लेकिन इस बार बीजेपी ने मां-बेटे की सीट आपस में बदल दी है.

कांग्रेस ने यहां से अमेठी के राज परिवार से संबंध रखने वाले पूर्व सांसद संजय सिंह को उतारा है. वह यहां से पहले भी सांसद रह चुके हैं. लेकिन दोनों दलों के लिए यहां असल चुनौती महागठबंधन बन गया है. महागठबंधन के उम्मीदवार सोनू सिंह की छवि माफिया डाॅन जैसी है. उनके भाई मोनू भी दबंग छवि के हैं. जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बीएसपी ने उन्हें टिकट दिया है. वह बीजेपी और कांग्रेस के लिए कठिन चुनौती बनते दिख रहे हैं.


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मां को जिताने के लिए वरुण लगा रहे हैं दम

मेनका गांधी इस बार सुलतानपुर से चुनाव लड़ रही हैं. पीलीभीत का चुनाव खत्म हो गया है इसलिए वरुण गांधी भी अपनी मां के लिए सुलतानपुर में चुनाव प्रचार में जुटे हैं. वह अपनी जनसभाओं में देश हित में वोट डालने की अपील कर रहे हैं और प्रधानमंत्री मोदी को सबसे ईमानदार नेता बता रहे हैं. वहीं मेनका गांधी अपनी कैंपेनिंग में पति संजय गांधी का भी जिक्र कर रही हैं. संजय गांधी के प्रति लोगों में सहानुभूति भी मानी जाती है.

प्रियंका करेंगी संजय सिंह के लिए रोड शो

कांग्रेस ने यहां अमेठी के राजा संजय सिंह को टिकट दिया है. किसी जमाने में उन्हें संजय गांधी के करीबी लोगों में गिना जाता था. आज वह उन्हीं की पत्नी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. वह अपनी जनसभाओं में गांधी परिवार के विकास कार्यों को गिना रहे हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यहां जनसभा कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी उनके लिए रोड शो करेंगी.

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वरुण के खिलाफ कांग्रेस ने नहीं दिया था प्रत्याशी

पीलीभीत में वरुण गांधी के खिलाफ कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था. वह सीट गठबंधन में अपना दल (कृष्णा पटेल) को दे दी थी. लेकिन सुलतानपुर में कांग्रेस ने संजय सिंह को उतारा है. बीजेपी ने आखिरी समय में वरुण और मेनका की सीट आपस में बदल दी.

दलित-मुस्लिम निर्णायक भूमिका में

सुलतानपुर मे कुल मतदाता 17,03,698 हैं. इनमें अनुसूचित जाति के मतदाता 20 प्रतिशत से ज्यादा हैं. सवर्ण और मुस्लिम 18-18 प्रतिशत हैं. प्रमुख पार्टियों से कोई मुस्लिम प्रत्याशी न होने के कारण मुस्लिम वोटर यहां बड़ी भूमिका निभा सकता है. यही कारण है जो बीजेपी की टेंशन की वजह है. वहीं कुल आबादी में से 93.75 फीसदी ग्रामीण औैर 6.25 शहरी हैं.

सुलतानपुर सीट पर रहा है ये दिलचस्प समीकरण

सुलतानपुर लोकसभा सीट का अभी तक का ये समीकरण रहा है कि यहां बीजेपी के विश्वनाथ शास्त्री को छोड़ दें तो दूसरा कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो इस सीट पर दूसरी बार सांसद बनने में कामयाब रहा हो. यही वजह रही है कि इस सीट पर किसी एक नेता का कभी दबदबा नहीं रहा है. आजादी के बाद कांग्रेस यहां 8 बार जीती, लेकिन हर बार चेहरे अलग रहे. इसी तरह से बसपा दो बार और दोनों बार अलग-अलग चेहरे थे. जबकि बीजेपी चार बार जीती, जिसमें तीन चार चेहरे शामिल रहे.


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मोदी फैक्टर या सोशल इंजीनियरिंग ही तय करेगी हार-जीत

यहां लोगों से बातचीत में निकलकर आया कि मुकाबला कांटे का है. खासतौर से बीजेपी और गठबंधन में बराबरी की टक्कर है. मोदी फैक्टर बरकरार है लेकिन गठबंधन प्रत्याशी के साथ जातिगत समीकरण है. ऐसे में कौन किस पर भारी है ये कहना है जल्दबाजी होगी. यहां के कई वोटर्स का ये भी कहना है कि कांग्रेस प्रत्याशी संजय सिंह जिसके वोट काटेंगे उसका नुकसान होगा. नतीजे चाहे जो भी आए लेकिन गांधी परिवार इस पर पूरा दम लगाता दिख रहा है.

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