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मध्यप्रदेश: कमलनाथ सरकार को गिराने की कवायद, राज्यपाल को लिखे खत पर भाजपा में मतभेद

मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष के पत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी दो गुट में बंटी नजर आ रही है. पूछा इतनी जल्दी की वजह क्या है.

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वर्तमान मुख्यमंत्री कमलनाथ.

भोपाल: लोकसभा चुनाव के नतीज़े आने में अभी दो दिन बाकी है, वहीं रविवार को आए एग्जि़ट पोल में एक बार फिर मोदी सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है. इसी बीच मध्यप्रदेश के नेता प्रतिपक्ष के पत्र को लेकर भारतीय जनता पार्टी दो गुट में बंटी नजर आ रही है. विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल को लिखे नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के खत को लेकर भाजपा में ही घमासान मच गया है.

बताया जा रहा है कि भार्गव ने बीजेपी के राज्य के बड़े नेता और संगठन को भी पत्र लिखने से पहले विश्वास में नहीं लिया है. यही नहीं अब यह भी पूछा जा रहा है कि आखिर भार्गव को पत्र लिखने की इतनी जल्दी क्या थी. बता दें कि गोपाल भार्गव ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग के साथ राज्यपाल को विशेष पत्र लिखा है.

वहीं मध्यप्रदेश भाजपा में अध्यक्ष राकेश सिंह ने भी कहा, ‘ उनकी सरकार अल्पमत में है और उन्हें जाना होगा. एमपी सरकार बैशाखी पर खड़ी है और वो हमारे विरोध से नहीं बल्कि अपने आतंरिक झगड़ों की वजह से ही टूट जाएगी.

सिंह ने आगे कहा कि अभी हमारा फोकस पूरी तरह से परिणाम और केंद्र में सरकार बनाने पर है. आज हम यह बिल्कुल बात नहीं कर रहे हैं कि मध्यप्रदेश में किसकी सरकार हैं.


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बता दें, इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी कहा था कि लोकसभा चुनाव के बाद वे 20 से 22 दिन तक भी मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है. उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान कहा था कि सूबे में सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर अगर किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ तो वह मुख्यमंत्री बदल देंगे. राहुल तो कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद से भले ही न हटा पाए हों लेकिन पार्टी के विधायक जरूर ऐसा करने की जुगत में लग गए हैं. लोन माफी को लेकर प्रदेश के किसान नाराज हैं और विधायकों को गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा है.

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विजयवर्गीय ने आगे कहा- इंदौर में कभी भी कांटे का मुकाबला नहीं रहा. हम पिछली बार से ज्यादा वोटों से ये सीट जीतेंगे. प्रदेश में भाजपा की पिछले चुनाव में जितनी सीटें थी, उससे एक या दो सीट और बढ़ेंगी.

कैलाश के इस बयान पर कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा है कि कमलनाथ तो पूरे पांच साल मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहेंगे. विजयवर्गीय अपनी चिंता जरूर करें, क्योंकि आगामी 23 मई के परिणाम के बाद उनका पश्चिम बंगाल के प्रभारी का पद जरूर खतरे में आ जाएगा.

बता दें कि सीएम कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में 20 से 22 सीटें जीतने का दावा किया था जिसके बाद कैलाश विजयवर्गीय ने उनपर पलटवार किया है.

उल्लेखनीय है कि राज्य की विधानसभा में 230 विधायक हैं जिसमें कांग्रेस के 114 विधायक हैं. सूबे में कांग्रेस सरकार बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से चल रही है जबकि भारतीय जनता पार्टी के 109 विधायक हैं.

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