होम 2019 लोकसभा चुनाव अस्तित्व ढूंढ़ रहे वामदल, बिहार में बनेंगे ‘तीसरा मोर्चा’

अस्तित्व ढूंढ़ रहे वामदल, बिहार में बनेंगे ‘तीसरा मोर्चा’

वामदल देश की मेनस्ट्रीम राजनीति से बिलकुल दरकिनार हो गए हैं. दिल्ली में हुई महागठबंधन की बैठक में वामपंथी दलों को न बुलाया जाना यह इशारा कर रहा है कि उनका अस्तित्व खतरे में है.

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लेफ्ट पार्टी/सोशल मीडिया

नई दिल्ली: इस लोकसभा चुनाव में वामदलों की कोई सुगबुगाहट ही सुनाई नहीं दे रही है. पिछले कुछ महीनों से वामदल देश की मेनस्ट्रीम राजनीति से बिलकुल दरकिनार हो गए हैं. पिछले दिनों दिल्ली में हुई महागठबंधन की बैठक में वामपंथी दलों को न बुलाया जाना यह इशारा कर रहा है कि उनका अस्तित्व खतरे में है. लेकिन खबर अब बिहार से आ रही है कि महागठबंधन में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलने पर वामपंथी दल यहां तीसरे मोर्चे की भूमिका में नजर आ सकते हैं. वामपंथी दलों ने एक सीट के राजद के प्रस्ताव को नकार दिया है.

राजद नेता तेजस्वी यादव के आवास पर सीट बंटवारे को लेकर आठ जनवरी को हुई महागठबंधन की बैठक में भी वामपंथी दलों को आमंत्रित नहीं किया गया था. सूत्रों का कहना है कि राजद ने महागठबंधन की ओर से वामपंथी दलों को एकमात्र आरा लोकसभा सीट की पेशकश की है, जिसे वाम दलों ने खारिज कर दिया है.

जानकार भी कहते हैं कि लोकसभा चुनाव में बिहार में वाम दल भले ही अपनी जमीन तलाश रहे हैं, लेकिन यह भी हकीकत है कि बिहार में करीब सात-आठ सीटों पर उनका जनाधार बरकरार है और नतीजे पर वे असर डालते हैं. बिहार की राजनीति को नजदीक से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेल्लारी कहते हैं, ‘बिहार में वामपंथी दलों का कुछ खास प्रभाव नहीं है, परंतु कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां वामदल चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं.’

उन्होंने यह भी कहा, ‘बिहार में जन अधिकार पार्टी जैसे कुछ ऐसे दल भी हैं, जिनसे सीट बंटवारे को लेकर अब तक महागठबंधन के लोगों ने बात नहीं की है. ऐसे में वे दल और वामपंथी तीसरे मोर्चे के रूप में सामने आ सकते हैं.’ पिछले लोकसभा चुनाव में वाम दलों में एकता नहीं बनी थी, परंतु इस चुनाव में वाम दल साथ हैं, और ऐसे में उनकी ताकत में इजाफा को भी नकारा नहीं जा सकता है.


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पिछले लोकसभा चुनाव में भाकपा (माले) ने जहां 23 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, वहीं माकपा छह और भाकपा ने दो सीटों पर अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे. बिहार की आरा, सीवान, बेगूसराय, पाटलीपुत्र, काराकाट, उजियारपुर, मधुबनी सीटों पर वाम दलों का प्रभाव माना जाता है.

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भाकपा (माले) के राज्य सचिव कुणाल कहते हैं, ‘कई दौर की बातचीत के बाद महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बनी है, मगर बातचीत जारी है. राजद आरा की सीट देने को तैयार है, परंतु इस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया गया है.’

उन्होंने कहा, ‘कोई भी वामपंथी दल महागठबंधन का हिस्सा नहीं है. लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर करार नहीं हुआ, तो वाम दल एकजुटता के साथ चुनाव लड़ेंगे, जिसकी तैयारी भी है.’ भाकपा के राज्य सचिव सत्यनारायण कहते हैं, ‘दिल्ली में महागठबंधन की हो रही बैठक की वाम दलों को कोई सूचना नहीं दी गई है. हालांकि उम्मीद है कि महागठबंधन में वामपंथी दलों को शामिल किया जाएगा.’

सत्यनाराण सीट बंटवारे में सम्मानजनक समझौते की बात करते हैं, ‘बेगूसराय से कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है. इसमें कोई फेरबदल नहीं हो सकता. सभी जानते हैं कि वामपंथी दलों के बिना भाजपा को हराना मुशिकल है. ऐसे में सम्मानजनक समझौता होना चाहिए.’


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वहीं, माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने स्पष्ट किया कि महागठबंधन में माकपा को दरकिनार करके सीट बंटवारा हो ही नहीं सकता. वे कहते हैं, ‘पार्टी छह सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. उजियारपुर सीट पर चुनावी तैयारी जोरों पर है. अभी ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी है, परंतु इतना तय है कि सीट बंटवारे को लेकर सम्मानजनक समझौता नहीं हुआ तो वामपंथी दल एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरेंगे.’

राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा, ‘अभी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है. महागठबंधन में बात तय होने के बाद वामपंथी दलों से भी बात की जाएगी.’ उन्होंने कहा, ‘वामपंथी दलों को नजरअंदाज करने का सवाल ही नहीं है, क्योंकि हमरा लक्ष्य एक ही है.’

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