होम 2019 लोकसभा चुनाव मध्यप्रदेश में भाजपा खोज रही है, कांग्रेस के असंतुष्ट उम्मीदवार

मध्यप्रदेश में भाजपा खोज रही है, कांग्रेस के असंतुष्ट उम्मीदवार

भाजपा का फोकस अधिक सीटों पर जीत हासिल करना है.पार्टी संभावित नामों के साथ कांग्रेस के असंतुष्टों और पाला बदलने के लिए बैठे लोगों पर नजर गड़ाए हैं.

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भाजपा कांग्रेस के झंडे | दिप्रिंट

नई दिल्लीः आखिरी समय में खेल बदलने में माहिर मानी जानी वाली भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस को झटका देने की तैयारी में है. पिछले लोकसभा चुनाव की तर्ज पर कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार को भाजपा में शामिल करने की जुगत में लगी हुई है. पार्टी ऐसी रणनीति अपना कर कांग्रेस को चुनाव पूर्व ही शिकस्त देने की तैयार कर रही है.

मध्यप्रदेश में चौथे चरण, पांचवे चरण, छठे चरण और सातवें चरण में वोटिंग होगी. भाजपा की तरफ से अब तक 18 और कांग्रेस की ओर से 9 उम्मीदवारों की घोषणा हो चुकी है. दोनों ही दलों ने चौथे और पांचवे चरण के उम्मीदवारों के घोषणा तो कर चुकी है, लेकिन इंदौर, भोपाल सहित मालवा-निमाड़ क्षेत्रों की कई सीटें अभी भी दोनों दलों ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए है.

कांग्रेस के असंतुष्टों पर भाजपा की नजर

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी का पहला फोकस ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल करने का है. इसके चलते भाजपा ने अब तक जिन सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, उनके लिए पार्टी के संभावित नामों के साथ कांग्रेस के असंतुष्टों और पाला बदलने के लिए बैठे लोगों पर नजर गड़ाए हैं.

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2014 में ऐसा ही खेल किया था. उस दौरान भिंड संसदीय क्षेत्र से भागीरथ प्रसाद को कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित किया था. मगर भागीरथ प्रसाद के नामांकन भरने के एक दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद प्रसाद चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंच थे. इसके अलावा कांग्रेस के सांसद राव उदय प्रताप सिंह ने भी 2014 में चुनाव से पूर्व ही कांग्रेस को छोड़ दिया था.

भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. वहीं इस तरह भाजपा ने कांग्रेस को 2013 में विधानसभा चुनावों में भाजपा ने कांग्रेस को झटका दिया था. विधानसभा में कांग्रेस की ओर से शिवराज सिंह चौहान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था, और तत्कालीन उप नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह ने विधानसभा में ही अविश्वास प्रस्ताव पर सवाल उठाकर भाजपा को कवच प्रदान किया था. कांग्रेस विधायक के रवैए के कारण ही अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो पाई थी. बाद में राकेश सिंह भाजपा में शामिल हो गए. इससे कांग्रेस की जमकर किरकिरी हुई थी.

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एक दशक में कई लोगों ने भाजपा का दामन थामा है. संजय पाठक, नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस छोड़ी और बाद में भाजपा के विधायक बने. इससे पहले भागीरथ प्रसाद व उदय प्रताप सिंह भाजपा से सांसद बने. अब कांग्रेस के कई नेता भाजपा के संपर्क में है, वहीं भाजपा के नेता भी कांग्रेस में जाने को तैयार हैं. दल बदल कराने में कांग्रेस से भाजपा ज्यादा माहिर है.

भाजपा के सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव से पहले भिंड का घटनाक्रम दोहराया जा सकता है. भाजपा की नजर उन लोगों पर है जो कांग्रेस से नाखुश है और जिनका जनाधार अच्छा है. राज्य में लोकसभा की 29 सीटें है, जिनमें से 26 पर भाजपा का कब्जा है. तीन सीटें कांग्रेस के पास हैं. छिंदवाड़ा से कमलनाथ, गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया और रतलाम से कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के सांसद हैं.

(आईएएनएस के इनपुट्स के साथ)

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