होम 2019 लोकसभा चुनाव इस राज्य में राहुल-मोदी नहीं, इन दो चेहरों में है असली मुकाबला

इस राज्य में राहुल-मोदी नहीं, इन दो चेहरों में है असली मुकाबला

राज्य के गठन से अब तक तीन आम चुनाव हुए हैं. सभी चुनावों में भाजपा 10 सीटें जीतती रहीं हैं. कांग्रेस को एक ही सीट पर संतोष करना पड़ा है.

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फोटो : दिप्रिंट

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों में जुबानी जंग तेज होती जा रही है. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पिछले पांच सालों में किए गए कामों को लेकर और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी वादों के साथ मैदान में उतरी हैं. इधर, छत्तीसगढ़ की राजनीति मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के ईद-गिर्द ही घूमती नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव में जिस तरह असली मुकाबला पार्टी के  इन दोनों चेहरों के बीच था वही हाल लोकसभा चुनाव में भी नजर आ रहा है. दोनों पर ही राज्य में ज्यादा से ज्यादा लोकसभा सीटें हासिल करने का दबाव हाईकमान से बना हुआ है.

रमन बनाम भूपेश का कार्यकाल

भारतीय जनता पार्टी के 15 सालों की सत्ता को हटाकर कांग्रेस अब राज्य में काबिज है. भाजपा के इस पूरे कार्यकाल के दौरान डॉ. रमन सिंह ही मुख्यमंत्री रहे. मोदी के साथ राज्यभर में उनके ही पोस्टर लगाए गए थे. भाजपा लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी की छवि उनके कामों के साथ वर्तमान कांग्रेस सरकार के साथ रमन सरकार के कामों की तुलना करती हुई दिखाई दे रही है. पार्टी के प्रचार से लेकर चुनाव की सभी रणनीति बनाने की जिम्मेदारी भी रमन सिंह ने खुद अपने हाथों में ले रखी है. वहीं सीएम बघेल अपनी सरकार के 60 दिन में किए गए कामों को लेकर जनता के बीच पहुंच रहे हैं. इसके लिए पार्टी ने 60 माह बनाम 60 दिन का नारा दिया है. कांग्रेस सीएम की छवि और तय समय पर किसान कर्ज माफी को भी भुना रही है.

अब तक चुनाव में कांग्रेस को मिली केवल एक सीट 

एक नवंबर 2000 में जबसे छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ है तब से अब तक तीन आम चुनाव हो चुके हैं. तीनों आम चुनावों में अब तक भाजपा 10 सीटें जीतती रही है. कांग्रेस को हर बार केवल एक ही लोकसभा सीट पर ही संतोष करना पड़ा है. 2014 के लोकसभा चुनाव में 11 सीटों में से भाजपा ने 10 जीती थीं. कांग्रेस को केवल एक दुर्ग लोकसभा सीट पर कामयाबी हासिल हुई थी. चार महीनें पहले हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ राज्य की सत्ता पर काबिज हुई. इनमें भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा. इन चुनावों में कांग्रेस को 68, भाजपा को 15, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) को 5 और बीएसपी को 2 सीटें हासिल हुई थीं. इन चुनावों में भाजपा को 33, कांग्रेस को 43, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का 7.6 और बीएसपी को 3.9 फीसदी वोट शेयर रहा.

भाजपा ने काटे सभी सांसदो के टिकट, कांग्रेस को बड़ी आस 

विधानसभा चुनावों में हुई हार से सबक लेते हुए भाजपा ने सभी वर्तमान लोकसभा सांसदों के टिकट काट दिए हैं. इससे पार्टी के भीतर अंसतोष की स्थिति भी बनी हुई है. लेकिन पार्टी ने नए उम्मीदवारों को जिताने का जिम्मा भी पुराने सांसदों को ही दिया है.

वहीं राज्य में कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की हर सीट पर प्रतिष्ठा दांव पर है. विधानसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ मिले जनादेश को देखते हुए कांग्रेस संगठन को इस बार राज्य से ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद है.

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अजीत जोगी का मायावती को सभी सीटों पर समर्थन 

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) इस लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला लिया है. पार्टी की कोर कमेटी और संसदीय बोर्ड की बैठक में बहुजन समाज पार्टी के सभी उम्मीदवारों का समर्थन का निर्णय लिया है.विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों ने गठबंधन किया था.

तीन चरणों में होंगे चुनाव 

राज्य में 11 लोकसभा की सीटें हैं. इन सीटों पर तीन चरणों में मतदान होंगे. 11 सीटों में से चार एसटी और एक एससी कोटे की है. राज्य में कुल 1 करोड़ 89 लाख 16 हजार 285 मतदाता है. इनमें पुरुष 94 लाख 77 हज़ार और 94 लाख 34 हजार महिलाएं हैं.

पहले चरण में 11 अप्रैल को नक्सल प्रभावित बस्तर सीट पर वोटिंग होगी. आदिवासी आरक्षित सीट पर राज्य बनने के बाद से ही भाजपा का कब्जा रहा है. भाजपा ने दिनेश कश्यप के बजाय बैदूराम कश्यप को उम्मीदवार बनाया है. बैदूराम दो बार विधायक भी रहे हैं. कांगेस ने दूसरी बार के विधायक और युवा चेहरे दीपक जैन को मैदान में उतारा है. दीपक 2008 के विधानसभा चुनावों में बैदूराम को हरा चुके हैं. इस संसदीय क्षेत्र में आठ में से सात सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है, ऐसे में कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है.


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दूसरे चरण में 18 अप्रैल को नक्सल प्रभावित तीन सीट कांकेर,राजनांदगांव और महासमुंद में वोटिंग होगी. आदिवासी सीट कांकेर पर हमेशा से भाजपा का कब्जा रहा है. भाजपा ने मोहन मंडावी को टिकट दिया है. मंडावी शिक्षक संघ शाखा के उपाध्यक्ष, तुलसी मानस प्रतिष्ठान के प्रांताध्यक्ष और लोकसेवा आयोग के सदस्य है. इनके खिलाफ कांग्रेस ने आदिवासियों की हक की लड़ाई लड़ने वाले बीरेश ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है. ठाकुर पूर्व जनपद अध्यक्ष भी रह चुके है.

राजनांदगांव सीट पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह का क्षेत्र होने के कारण हमेशा से चर्चा का विषय रहती है. कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक भोलाराम साहू को टिकट दिया है. साहू 2013 में खुज्जी सीट से विधायक चुने गए थे. साहू के मुकाबले भाजपा ने नए चेहरे संतोष पांडेय पर दांव लगाया है. पांडेय एक बार पंडरिया क्षेत्र से विधानसभा चुनाव हार चुके हैं.

महासमुंद सीट से कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता और दूसरी बार अभनपुर से विधायक धनेंद्र साहू को टिकट दिया है. साहू पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ राज्य की पहली सरकार तक में मंत्री रह चुके हैं. इस बार कांग्रेस की तरफ से मंंत्री नहीं बनाए से नाराज भी चल रहे थे. वहीं भाजपा ने साहू के खिलाफ चुन्नीलाल साहू को उम्मीदवार बनाया है. साहू पूर्व में विधायक रह चुके है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, टीएस सिंह देव, ताम्रध्वज साहू और चरण दास महंत साथ में । फोटो साभार : भूपेश बघेल फेसबुक पेज

तीसरे चरण में 22 अप्रैल को 7 सीट रायपुर, बिलासपुर, राजगढ़, कोरबा, जांजगीर-चांपा, दुर्ग और सरगुजा में वोटिंग होगी. रायपुर सीट पर भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यहां से पार्टी ने छह बार के सांसद रहे रमेश बैस का टिकट काटकर सुनील सोनी को मैदान में उतारा है. सोनी रायपुर के महापौर रह चुके है.पार्टी में उन्हें संगठन का नेता माना जाता है. कांग्रेस ने सोनी के खिलाफ महापौर प्रमोद दुबे को टिकट दिया है. छात्र राजनीति से सियासत में कदम रखने वाले दुबे दो बार पार्षद चुने जा चुके है.

बिलासपुर राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक है. इस सीटों पर लगातार भाजपा का कब्जा रहा है. पार्टी ने यहां अपने नए उम्मीदवार अरुण साव को मैदान में उतारा है. साव संघ से जुड़े हैं. कांग्रेस ने अटल श्रीवास्तव को टिकट दिया है. वे रियल स्टेट कारोबार से जुड़े हैं. यह उनका पहला चुनाव है.

आदिवासी सीट रायगढ़ पर हमेशा से भाजपा का कब्जा रहा है. कांग्रेस ने धरमजयगढ़ से दो बार के विधायक लालजीत सिंह राठिया को प्रत्याशी बनाया है.राठिया हाल ही में गठित मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष है. भाजपा ने उनके मुकाबला गोमती साय को उतारा है.गोमती जशपुर जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं.

 

कोरबा सीट 2009 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई है. 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. कांग्रेस ने 2009 में यहां से सांसद चुने गए डॉ.चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत को टिकट दिया है. महंत अभी छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष है. वे केंद्रीय मंत्री रह चुके है. भाजपा ने यहां से नए चेहरे ज्योतिनंदन दुबे पर दांव लगाया है.

जांजगीर-चांपा राज्य की एकमात्र अनुसूचित जाति जनजाति सीट है. यहां से लगातार भाजपा जीत रही है.कांग्रेस ने यहां से अपने दिग्गज नेता परसराम भारद्वाज के पुत्र रवि भारद्वाज को मैदान में उतारा है. वे सतनामी समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं. वहीं भाजपा ने इस सीट पर सारंगढ़ सीट से सांसद रह चुके गुहराम अजगले को टिकट दिया है.अजगले भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य हैं.

दुर्ग लोकसभा सीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत राज्य के तीन मंत्री रविंद्र चौबे, ताम्रध्वज साहू और गुरु रुद्र कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. ताम्रध्वज साहू कांग्रेस से निर्वतमान सांसद है. कांग्रेस ने यहां से प्रतिमा चंद्राकर को टिकट दिया है. चंद्राकर पूर्व कांग्रेस नेता वासुदेव चंदाकर की बेटी है. इनके मुकाबले भाजपा ने सीएम भूपेश बघेल के रिश्तेदार विजय बघेल को टिकट दिया है.

सरगुजा सीट आदिवासी आरक्षित सीट है. इस सीट पर हमेशा से भाजपा का कब्जा रहा है. यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस के खेलसाय सिंह और भाजपा की रेणुका सिंह के बीच है. खेलसाय प्रेमनगर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधायक हैं. वे दो बार सांसद भी रह चुके हैं. वहीं भाजपा की रेणुका भी दो बार प्रेमनगर से विधायक रही हैं.

नए प्रत्याशी से होगा कुछ सीटों का नुकसान

छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने दिप्रिंट हिंदी से कहा, ‘भाजपा ने राज्य की लोकसभा सीटों में जो नए प्रत्याशी उतारे हैं. कुछ सीटों पर उसका फायदा मिलेगा वहीं, कुछ सीटों पर हमें नुकसान भी सहना पड़ सकता है.’

‘पार्टी के कार्यकर्ता इस फैसले से खुश हैं.पार्टी अगर विधानसभा चुनावों में यही प्रयोग करती तो शायद हम सरकार में लौट आते. जहां तक राज्य में चेहरे की बात का सवाल है तो अभी भी राज्य में चेहरा रमन सिंह ही हैं.’ अभी भी वह जनता के बीच लोकप्रिय हैं. हालांकि मोदी जी का क्रेज भी बना हुआ है. कांग्रेस आकर्षक चुनावी वादों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनावों में  किसान ऋण माफ करना सहित कई वादों पर जनता ने उन्हें वोट दिए हैं. लेकिन आज राज्य सरकार कर्ज लेकर अपना काम चला रही है.

राहुल वादा करते हैं-भूपेश निभाते हैं

छत्तीसगढ़ कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता विकास तिवारी ने दिप्रिंट हिंदी से बात करते हुए कहा, ‘पार्टी इस बार मैदान में दोगुनी ताकत के साथ उतर रही है. हमारे प्रत्याशी न्याय योजना को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. इसका सबसे ज्यादा फायदा छत्तीसगढ़ राज्य को मिलेगा. विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो वादा किया था वह सीएम भूपेश बघेल ने तय समय में पूरा किया है.

हमारी सरकार ने 16 लाख 46 हजार किसानों का 11 हजार करोड़ कर्जा माफ किया है. जहां तक लोकप्रियता का सवाल है तो भूपेश बघेल पार्टी के अध्यक्ष और सीएम दोनों हैं तो वह जनता के बीच चर्चित हैं.रमन सिंह के चेहरे के कारण ही भाजपा को हार मिली. अभी भी उनके परिवार के करीबी लोगों पर घोटाले पर आरोप लग रहे हैं.

नई दिल्ली में नीति आयोग की बैठक के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी से मिलते हुए तत्कालीन छत्तीसगढ़ के सीएम डॉ.रमन सिंह. फोटो साभार— रमन सिंह फेसबुक पेज

भूपेश को सीट बढ़ाने, तो रमन को इतिहास दोहराने की चुनौती 

छत्तीसगढ़ नई दुनिया अखबार के स्थानीय संपादक अरुण उपाध्याय ने दिप्रिंट हिंदी से बातचीत में कहा, ‘कांग्रेस सरकार ने जो किसानों की कर्ज माफी की है और धन का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. पार्टी उसे लेकर ही किसानों के बीच जा रही है.’

‘आज भी उनका मुख्य फोकस किसान वोट बैंक ही है. इन निर्णयों से किसानों का कांग्रेस के प्रति जुड़ाव अभी भी बना हुआ है. कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद सभी वर्गों के बिजली बिल आधे कर दिए हैं. इस निर्णय से वह सभी वर्गों पर निशाना साध रहे हैं.’

‘भारतीय जनता पार्टी अभी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना को लेकर मैदान में उतरी है. वहीं रमन सरकार के समय किए कामों को जनता को याद दिला रही है. पार्टी कांग्रेस की न्याय योजना का मुद्दा बनाकर मध्यमवर्गीय जनता को बता रही है कि इस योजना के तहत दिए जाने वाला पैसा आपकी ही जेब से दिया जाएगा.’

वहीं उपाध्याय ने कहा, ‘दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले को भाजपा पूरी तरह इस चुनाव में भुनाने में जुट गई है.’

राज्य में अभी भी असली लड़ाई सीएम भूपेश बघेल और पूर्व सीएम रमन सिंह के बीच में ही है. लोगों में अभी रमन सिंह का क्रेज बरकरार है. सीएम बघेल के सामने संकट है कि उनके ही क्षेत्र की दुर्ग लोकसभा सीट को दोबारा जीतना और अन्य सीटों पर जीत हासिल करना. वहीं रमन सिह के सामने 11 में से 10 सीटें जीतकर इतिहास दोहराने की चुनौती है.

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