होम 2019 लोकसभा चुनाव बुंदेलखंड के भाजपाई नेताओं को चुनाव से क्यों है ‘परहेज’

बुंदेलखंड के भाजपाई नेताओं को चुनाव से क्यों है ‘परहेज’

नेता उम्मीदवार बनने की चाहत में हाथ पैर मार रहे हैं, वहीं बुंदेलखंड में कई नेता चुनावी मैदान से बच रहे हैं और चुनाव न लड़ने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं.

NEW DELHI, INDIA - JULY 18: Minister of Water Resources Uma Bharti at Parliament House on the opening day of the Monsoon Session on July 18, 2016 in New Delhi, India. A total of 25 bills, including the crucial GST Bill, are expected to come up for consideration and passage during the monsoon session. (Photo by Arvind Yadav/Hindustan Times via Getty Images)
बीजेपी नेता उमा भारती की फाइल फोटो.

भोपाल/झांसी: लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे तमाम राजनीतिक दल जिताऊ उम्मीदवारों के नाम पर मंथन और ऐलान करने में लगे हैं, वहीं कई क्षेत्रों में उम्मीदवारों को लेकर खींचतान मची हुई है. हर नेता उम्मीदवार बनने की चाहत में हाथ पैर मार रहा है, मगर बुंदेलखंड में कई नेता चुनाव लड़ने से परहेज कर रहे हैं और सार्वजनिक तौर पर चुनाव न लड़ने की इच्छा तक जता चुके हैं. इन नेताओं के चुनाव न लड़ने के ऐलान ने नई बहस छेड़ दी है.

बुंदेलखंड को वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गढ़ के तौर पर देखा जा रहा है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 13 जिलों में फैले इस इलाके में मध्य प्रदेश के चार संसदीय क्षेत्र सागर, दमोह, खजुराहो व टीकमगढ़ हैं तो उत्तर प्रदेश के झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर और बांदा संसदीय क्षेत्र हैं. इन सभी क्षेत्रों पर भाजपा का कब्जा है.

वर्तमान में बुंदेलखंड के आठ संसदीय क्षेत्रों में से दो संसदीय क्षेत्रों- झांसी से सांसद उमा भारती और टीकमगढ़ से सांसद वीरेंद्र खटीक केंद्र सरकार में मंत्री हैं. खटीक को जहां भाजपा ने एक बार फिर चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है, वहीं उमा भारती ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. उमा भारती सार्वजनिक तौर पर बयान दे चुकी हैं कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी और गंगा नदी के लिए काम करेंगी.

हाल ही में उमा भारती ने ट्वीट कर और बयान देकर साफ कर दिया है कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी. इस संदर्भ में उमा भारती पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को पत्र भी लिख चुकी हैं.


यह भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश: बुंदेलखंड की 4 नदियों का पानी इंसानों के पीने लायक नहीं

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


उमा भारती का कहना है कि वह जब केंद्र सरकार में मंत्री थी तभी उन्होंने तय कर लिया था कि वह अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी.

उन्होंने कहा, ‘यह प्रचारित किया जा रहा है कि मैं सीट बदलवाना चाहती हूं, जबकि ऐसा नहीं है. हां, मैं वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ूंगी. अभी तो 59 वर्ष की हूं, अगले चुनाव के समय मेरी आयु 63 साल होगी.’

एक तरफ जहां भाजपा की दिग्गज नेता उमा भारती ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है तो दूसरी ओर दमोह और खजुराहो संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के दावेदार व पूर्व मंत्री मुकेश नायक ने भी चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. नायक ने सोशल मीडिया पर एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने साफ कहा है कि वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते, विधानसभा चुनाव में नजर आए जातिवाद ने उन्हें बेहद दुखी किया है, लिहाजा चुनाव नहीं लड़ेंगे. नायक हाल ही में विधानसभा का चुनाव पन्ना जिले के पवई विधानसभा क्षेत्र से हारे हैं.

इसी तरह मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव दमोह, खजुराहो, सागर संसदीय क्षेत्र से दावेदारी ठोक रहे थे, मगर उन्होंने दावेदारी वापस ले ली है.

भार्गव ने सोशल मीडिया पर लिखा है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लालकृष्ण आडवाणी के वंशवाद के विरुद्ध दिए गए बयान के बाद मुझे अपराधबोध हो रहा है. इतने बड़े संकल्प को लेकर पार्टी राष्ट्रहित में एक युद्ध लड़ रही है और सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए उस संकल्प सिद्धि के रास्ते में रुकावट बनूं, भाजपा का कार्यकर्ता होने के नाते मेरा स्वाभिमान मुझे इसकी इजाजत नहीं देता.’

भार्गव ने आगे लिखा, ‘दमोह, सागर, खजुराहो लोकसभा क्षेत्र से विचारार्थ मेरा नाम केंद्रीय चुनाव समिति को भेज गया है. मैंने कुछ दिन पूर्व ही सार्वजनिक तौर पर कहा था कि परिवारवाद का कलंक लेकर मैं राजनीति नहीं करना चाहता हूं. अत: वंशवाद और परिवारवाद के खिलाफ राष्ट्रहित और पार्टी हित में लोकसभा की दावेदारी से मैं स्वयं को पृथक करते हुए अपनी दावेदारी वापस लेता हूं.’


यह भी पढ़ें : क्या सत्यव्रत चतुर्वेदी के बाहर जाने से बुंदेलखंड में कांग्रेस का खेल बिगड़ जाएगा!


बुंदेलखंड के राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है, ‘आगामी लोकसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण है और नेताओं की जीत-हार उनके पिछले पांच साल के कामकाज पर भी निर्भर करेगी. अभिषेक भार्गव ने वंशवाद के आरोप से बचने के लिए टिकट नहीं मांगा, मगर उमा भारती व मुकेश नायक वास्तविकता से वाकिफ हैं और उन्हें जमीनी हकीकत का एहसास है, लिहाजा उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया.’

Exit mobile version