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Thursday, 28 March, 2024
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तालिबान नेता शाहीन ने कहा-भारत को अफगानिस्तान के पूर्व शासकों के साथ संबंध नहीं रखने चाहिए

तालिबान प्रवक्ता सुहैल शाहीन का कहना है कि अगर भारत अपना दूतावास फिर से खोलने की योजना बनाता है और अधूरी परियोजनाएं पूरी करने की इच्छा जताता है तो सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी.

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नई दिल्ली: दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख और आधिकारिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन का कहना है कि भारत को काबुल में तालिबान सरकार के साथ राष्ट्रीय और पारस्परिक हित के आधार पर संबंध स्थापित करने चाहिए और पूर्व की अशरफ गनी सरकार के साथ सभी संबंध खत्म कर देने चाहिए.

तालिबान नेता ने दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि भारत को अफगानिस्तान के लोगों के साथ गहरे संबंध बनाने की कोशिश करनी चाहिए और काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि तालिबान भारतीय राजनयिकों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है.

शाहीन ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने कई बार साफ किया है कि काबुल में कार्यरत सभी राजनयिकों को सुरक्षा प्रदान करना हमारी प्रतिबद्धता है. यह हमारी जिम्मेदारी है और हमने इसे साबित भी किया है. काबुल में कई दूतावास काम कर रहे हैं और हमने उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई है. इसमें भारत भी शामिल है वो चाहे तो अपना दूतावास खोल सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर वे अपनी परियोजनाएं पूरी करनी चाहें या फिर कोई नई पहल करना चाहते हों तो उनका (भारत का) स्वागत है. भारत को पूर्व काबुल प्रशासन से कोई संबंध नहीं रखना चाहिए और न ही अपने संबंधों को उन अधिकारियों के नजरिये के आधार पर तय करना चाहिए जो अभी अपने परिवारों के साथ पश्चिमी देशों में रह रहे हैं. इसके बजाये उस अफगानिस्तान के लोगों के साथ संबंध रखने चाहिए, वे वहां थे, वहां हैं और वे वहीं रहेंगे. इसलिए यह उनके लिए अच्छा है. हम दो स्वतंत्र सरकारें और राष्ट्र हैं और हमारे बीच संबंध राष्ट्रीय हित के आधार पर और समानता और आपसी हित के आधार पर होने चाहिए.’

भारत ने अगस्त 2021 में काबुल में अपना दूतावास बंद कर दिया था जब तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था. इससे पहले, भारत ने मजार-ए-शरीफकंधारहेरात और जलालाबाद में अपने वाणिज्य दूतावासों को भी बंद कर दिया था.

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तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद से भारत ने खाद्यान्न, दवाओं से लेकर अन्य आवश्यक वस्तुओं तक अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और राहत सामग्री की कई खेप भेजी हैं.


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‘आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल नहीं करने देंगे’

शाहीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को लेकर तालिबान की उस प्रतिबद्धता को भी दोहराया जो उसने दोहा समझौते के तहत जताई थी, जिस पर फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका ने हस्ताक्षर किए थे.

शाहीन ने कहा, ‘हम कहते रहे हैं कि कोई भी अफगानिस्तान की धरती का दुरुपयोग नहीं करेगा, हम इसी में अपना राष्ट्रीय हित देखते हैं और दोहा समझौते के मुताबिक यह हमारी प्रतिबद्धता भी है. हमें लगता है कि अगर ऐसा कुछ हुआ तो इससे अन्य लोगों के बजाये अफगानिस्तान और अफगानिस्तान के लोगों को ही अधिक नुकसान होगा.’

तालिबान प्रवक्ता ने कहा, ‘विदेशी एजेंडा कभी हमारा एजेंडा नहीं था. हमारा एजेंडा शुरू से ही अपने देश को आजाद कराना और अफगानिस्तान के लोगों द्वारा समर्थित सरकार बनाना था. वो हो गया…अब शांति और सुरक्षा है और सहायता की जरूरत है. अब समय आ गया है कि अन्य देश यहां आएं और आर्थिक परियोजनाएं शुरू करें जो उनके और हमारे लोगों दोनों के लिए ही फायदेमंद होंगी.’

उन्होंने कहा कि यही एक वजह है कि तालिबान सरकार ने हाल ही में पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई, क्योंकि यही ‘सबके लिए अच्छा’ होगा.

शाहीन ने कहा, ‘हम दोहा समझौते के आधार पर अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता चाहते हैं, हम उसका पालन कर रहे हैं और उसके लिए, हमने पाकिस्तान और पाकिस्तानी तालिबान के बीच मध्यस्थता की है. यह सभी के लिए अच्छा है.’

तालिबान प्रवक्ता ने यह भी कहा, ‘हम चाहते हैं कि अफगानिस्तान व्यापार का केंद्र बने और एक ऐसा माहौल तैयार करे जहां सभी देश व्यापार करें और अच्छे संबंध विकसित होने का फायदा पड़ोसी देशों और इस पूरे क्षेत्र को मिले.’

अफगान लड़कियों के लिए स्कूल फिर खोलने पर विचार करेगी समिति

23 मार्च को अफगानिस्तान में तालिबान की अंतरिम सरकार ने घोषणा की कि लड़कियों के लिए सभी हाई स्कूल बंद हो जाएंगे और यह आदेश उस सुबह स्कूल खुलने के कुछ घंटों के भीतर ही जारी किया गया. इस कदम की दुनियाभर में व्यापक आलोचना के बीच तालिबान को लगता है कि युवा अफगान लड़कियों के फिर से स्कूल लौटने के लिए ‘अनुकूल वातावरण’ होना चाहिए.

शाहीन ने कहा, ‘खास तौर पर लड़कियों के लिए सेकेंडरी स्कूल फिर से खोलने के मुद्दे पर ही विचार करने के लिए एक राजनीतिक समिति (मजहबी विद्वानों की) का गठन किया गया है और मुझे उम्मीद है कि वह इसे जल्द सुलझा लेगी.’

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘मैं शिक्षा की अहमियत समझता हूं और कहता रहा हूं कि शिक्षा लड़कों और लड़कियों दोनों का अधिकार है और मेरी सरकार भी यही बात कह रही है. मुद्दा सिर्फ अनुकूल माहौल और हिजाब का है. क्योंकि हम एक इस्लामी समाज हैं, हमने 20 साल तक अपनी आजादी कीए लड़ाई लड़ी है, हमारे लोग हमसे यही उम्मीद कर रहे हैं. यह हमारे लोगों की भी मांग है. हमने वह वादा किया है, और हमें उसे पूरा करना है.’

इस तथ्य पर जोर देते हुए कि तालिबान अफगान लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ नहीं है, शाहीन ने कहा कि तालिबान बस यही चाहता है कि वे खासकर लड़कियों के लिए चलने वाले स्कूलों में जाएं.

उन्होंने कहा, ‘हम शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम एक उपयुक्त वातावरण बनाएंगे और मुझे उम्मीद है कि मजहबी विद्वानों की ये समिति इस मुद्दे का निर्णायक हल निकालेगी. अनुकूल माहौल से मेरा मतलब सह-शिक्षा से नहीं है बल्कि लड़कियों के विशेष स्कूल होंगे और वे शॉल का या हिजाब का इस्तेमाल कर सकती है, पूरे इस्लामिक और यहां तक कि गैर-इस्लामिक देशों में भी इस्तेमाल किया जाता है.’

उन्होंने कहा, ‘फैसला जल्द आएगा. समिति का गठन किया गया है और उसका एकमात्र लक्ष्य और कार्य इस मुद्दे का समाधान तलाशना है जो हमारे लोगों की मांग भी है.’

उन्होंने कहा कि अभी अफगानिस्तान में निजी और सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में 100,000 से अधिक छात्राएं पढ़ रही हैं और शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में महिला शिक्षकों के पद के लिए 3,000 रिक्तियां निकाली हैं.

तालिबान को मान्यता मिले, प्रतिबंध हटें

शाहीन के मुताबिक, तालिबान शासन ने पश्चिमी देशों की तरफ से लागू प्रतिबंधों को उठाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैधता हासिल करने के लिए दोहा सौदे के तहत जरूरी उन सभी शर्तों का पालन किया है जो वह कर सकता था.

उन्होंने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनी मानवीय सहायता को राजनीतिक मांगों से नहीं जोड़ना चाहिए. यदि उनके बीच कोई मतभेद है, तो हम उनके बारे में बात करने और मतभेदों को सुलझाने के लिए तैयार हैं ताकि किसी समझौते पर पहुंच सकें. लेकिन उन्हें भुखमरी का इस्तेमाल अपने राजनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नहीं रणनीतिक तौर पर नहीं करना चाहिए.’

शाहीन ने कहा, ‘प्रतिबंधों को हटा लिया जाना चाहिए और हमारे कानून निवेशकों के अनुकूल हैं और हम अन्य देशों के निवेश का स्वागत करते हैं, साथ ही हम अपने इस्लामी मूल्यों और परंपराओं पर कायम रहते हुए अपने लोगों के मूल अधिकारों के लिए काम कर रहे हैं.’

उन्होंने यह भी कहा कि तालिबान जल्द ही एक स्थायी सरकार और एक पूर्ण कैबिनेट स्थापित करने की दिशा में बढ़ रहा है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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