(सज्जाद हुसैन)
इस्लामाबाद, 14 जून (भाषा) लाहौर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन और लाहौर बार एसोसिएशन ने पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय से आम नागरिकों के खिलाफ सैन्य मुकदमों को लेकर सात मई के फैसले पर पुनर्विचार करने और उन्हें रद्द करने का अनुरोध किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में शनिवार को यह जानकारी दी गई।
‘डॉन’ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को दायर की गई दो अलग-अलग याचिकाओं से पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जवाद एस ख्वाजा ने भी इसी तरह की याचिका दायर की थी।
उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ ने सात मई को पाकिस्तान सेना अधिनियम के उन प्रमुख प्रावधानों को बहाल कर दिया था जो सैन्य अदालतों में आम नागरिकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देते हैं।
न्यायालय ने 23 अक्टूबर 2023 के अपने पहले के फैसले को पलटने के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें उसकी पांच न्यायाधीशों वाली पीठ ने आम नागरिकों के खिलाफ सैन्य मुकदमों को अवैध और असंवैधानिक करार दिया था।
देश में नौ मई, 2023 को उस समय दंगे भड़के थे, जब जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में उनके समर्थकों ने सार्वजनिक संपत्ति को कथित तौर पर नुकसान पहुंचाया था और देश में रक्षा प्रतिष्ठानों पर हमला किया था।
पुनरीक्षण याचिकाओं में आग्रह किया गया है कि सात मई का फैसला पाकिस्तान के संविधान और कानूनों का उल्लंघन है।
पाकिस्तान की एक अदालत ने नौ मई, 2023 को राजधानी में हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए एक विधायक सहित पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के 11 समर्थकों को पिछले महीने सजा सुनाई थी।
इससे पहले दिसंबर 2024 में सैन्य अदालतों ने दंगों के दौरान सैन्य प्रतिष्ठानों पर हिंसक हमलों में शामिल होने के कारण 85 आम नागरिकों को दो साल से 10 साल तक जेल की सजा सुनाई थी। खान अगस्त 2023 से कई मामलों में जेल में हैं।
भाषा सिम्मी माधव
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