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Thursday, 28 March, 2024
होमविदेशचीन ने अरुणाचल को भारत का हिस्सा बताने वाले 30,000 विश्व के नक्शे खत्म किए

चीन ने अरुणाचल को भारत का हिस्सा बताने वाले 30,000 विश्व के नक्शे खत्म किए

किंगदाओ अखबार ने शानडोंग प्रांत स्थित किंगदाओ शहर के अधिकारियों और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के हवाले से कहा, 'कुल 28,908 गलत मानचित्रों के 803 बॉक्स जब्त कर नष्ट किये गये.

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बीजिंग: चीनी अधिकारियों ने अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा और ताइवान को एक देश के रूप में बताने वाले 30,000 विश्व मानचित्रों को नष्ट कर दिए हैं. चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत कहता है, जबकि भारत इस दावे को खारिज करता है. ताइवान स्वशासित प्रायद्वीप है, जिसे बीजिंग अपनी मुख्यभूमि के साथ फिर से जोड़ने की प्रतिबद्धता जताता है.

किंगदाओ अखबार ने शानडोंग प्रांत स्थित किंगदाओ शहर के अधिकारियों और प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय के हवाले से कहा, ‘कुल 28,908 गलत मानचित्रों के 803 बॉक्सों को जब्त किया गया और नष्ट कर दिया गया. हाल के वर्षो में इतनी बड़ी संख्या में सामग्री नष्ट की गई है.’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘लगभग 30,000 गलत विश्व मानचित्रों को किंगदाओ में सीमा शुल्क अधिकारियों ने क्षतिग्रस्त कर दिया, जिसमें ताइवान को एक देश और चीनी-भारतीय सीमा का गलत चित्रण किया गया था.’

विश्व की सबसे ज्यादा आबादी वाले और सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भारत और चीन के बीच 3,448 किलोमीटर के सीमा क्षेत्र को लेकर दशकों पुराना विवाद है. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत बताता है जबकि भारत अक्साई चीन में अपना दावा करता है.

चीन अरुणाचल प्रदेश जाने वाले किसी भी विदेशी आगंतुकों का विरोध करता है. 2017 में, जब तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने चीन का दौरा किया था तो, चीन ने राज्य के छह शहरों के नाम दोबारा रखे थे.

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ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘किंगदाओ सरकार ने मानचित्रों की जांच के बाद पाया कि समस्याग्रस्त मानचित्र चीन और दक्षिण तिब्बत और ताइवान द्वीप के सही क्षेत्र को नहीं दिखाता है.’

रिपोर्ट के अनुसार, ‘मानचित्रों को अनहुई प्रांत में एक कंपनी द्वारा पेश किया गया था और किसी अनिर्दिष्ट देश में इसे भेजा जाना था.’

इस कार्रवाई का उद्देश्य ‘राष्ट्रीय संप्रभुता पर लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना और इस तरह के मानचित्रों के पहचान करने की क्षमता को बढ़ाना है.’

चाइना फॉरेन अफेयर्स विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय कानून विभाग के एक प्रोफेसर लियु वेनजोंग ने कहा, ‘चीन ने मानचित्र बाजार में जो किया, वह पूरी तरह से कानूनी और जरूरी था, क्योंकि किसी भी देश के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सबसे महत्वपूर्ण चीज होती है. ताइवान और दक्षिण तिब्बत दोनों चीन क्षेत्र के भाग हैं जो अटूट है और अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित है.’

उन्होंने कहा, ‘अगर गलत मानचित्र का देश के अंदर या बाहर प्रसार हो जाए, तो यह लंबे समय के लिए चीन की क्षेत्रीय अखंडता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.’

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