नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) भारतीय फ़ुटबॉल में चल रहे संकट के बीच खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने बृहस्पतिवार को आई लीग टीमों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की और उनकी शिकायतें सुनने के बाद आगे का रास्ता निकालने के लिए सभी हितधारकों के बीच ‘रचनात्मक बातचीत’ का आग्रह किया।
बैठक में 14 आई-लीग क्लबों के सात प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में खेल सचिव और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के महानिदेशक हरि रंजन राव और संयुक्त सचिव कुणाल भी शामिल हुए।
एक विश्वसनीय सूत्र ने पीटीआई को बताया, ‘‘खेल मंत्री ने आई-लीग प्रतिनिधियों की बात ध्यान से सुनी और फिलहाल साइ को हस्तक्षेप करने और हितधारकों से बातचीत करने का निर्देश दिया। वह अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ), इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) और आई-लीग के अधिकारियों के बीच रचनात्मक बातचीत चाहते हैं। ’’
आई-लीग क्लबों ने बुधवार को एआईएफएफ द्वारा बुलाई गई बैठक से दूरी बनाए रखी थी। यह बैठक घरेलू लीग के संचालन के लिए राष्ट्रीय संस्था द्वारा नया व्यावसायिक साझेदार नहीं खोज पाने के कारण उत्पन्न संकट से निपटने के लिए बुलाई गई थी।
यह बैठक फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलपमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) और एआईएफएफ की साझेदारी टूटने के बाद हुई।
आई-लीग क्लबों ने एक ऐसे लीग साझेदार की मांग की है जो दोनों लीग का प्रबंधन करे। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शीर्ष स्तरीय आईएसएल और आई लीग के दोनों डिवीजनों का प्रबंधन एक ही संस्था द्वारा किया जाए।
एआईएफएफ द्वारा नए व्यावसायिक साझेदार की तलाश पर उच्चतम न्यायालय की नजर है जिसने अक्टूबर में संस्था के नए संविधान को मंजूरी दी थी।
एआईएफएफ और एफएसडीएल के बीच समझौता इस साल दिसंबर में समाप्त होने वाला था लेकिन दोनों के बीच समझौता नहीं हो पाने के बाद 2025-26 आईएसएल सत्र को स्थगित कर दिया गया।
गत विजेता मोहन बागान जैसे क्लबों ने अपनी ट्रेनिंग रोक दी है। संदेश झिंगन और सुनील छेत्री जैसे शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों ने एआईएफएफ से गतिरोध खत्म करने का आग्रह किया है क्योंकि सैकड़ों फुटबॉलरों और सहयोगी कर्मचारियों की आजीविका अधर में लटकी हुई है।
खिलाड़ियों ने सोमवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि इस स्थिति को लेकर उनका गुस्सा और निराशा हताशा में बदल गई है।
भाषा नमिता सुधीर
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