नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) देश में खेल के हितधारकों के प्रतिनिधियों के साथ खेल मंत्री मनसुख मांडविया की आगामी बैठक में ‘लचीला’ रुख अपनाने की कोशिश करेगा। यह बैठक वर्तमान संकट से बाहर निकलने का रास्ता खोजने के लिए बुलाई गई है।
खेल मंत्रालय यह बैठक उच्चतम न्यायालय के निर्देशों पर बुला रहा है। इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के वाणिज्यिक अधिकारों के लिए एआईएफएफ द्वारा जारी किए गए निविदा को कोई खरीदार नहीं मिला, जिसके बाद भारतीय फुटबॉल में अराजकता का माहौल है।
भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में बुधवार को छह बैठकें निर्धारित की गई हैं, जिनमें आईएसएल क्लबों, आई-लीग क्लबों और एफएसडीएल के साथ अलग-अलग चर्चाएं शामिल हैं।
एआईएफएफ इस बात पर सहमत हो सकता है कि अगर उसे सरकार से वित्तीय समर्थन का आश्वासन मिलता है, तो वह निविदा के अनुसार वाणिज्यिक भागीदार द्वारा अगले पांच वर्षों के लिए भुगतान की जाने वाली 37.5 करोड़ रुपये की वार्षिक न्यूनतम गारंटी राशि या सकल राजस्व के पांच प्रतिशत की राशि को कम करने पर विचार कर सकता है।
अगर न्यूनतम गारंटी भुगतान राशि कम की जाती है, तो एआईएफएफ राष्ट्रीय टीमों को फंड देने और विभिन्न टूर्नामेंट आयोजित करने के लिए सरकार से वित्तीय सहायता चाहेगा।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने ‘पीटीआई’ से कहा, ‘‘एआईएफएफ एक साल में 1700 मैच और 21 चैंपियनशिप आयोजित करता है। राष्ट्रीय टीमों की तैयारी के लिए उसे कोष की जरूरत होती है और आईएसएल उसकी आय का मुख्य स्रोत रहा है। इसके अलावा, तीन महिला टीमें (सीनियर, अंडर 20 और अंडर 17) और पुरुषों की अंडर 17 टीम ने पहली बार एशियाई कप के लिए क्वालीफाई किया है।’’
भाषा आनन्द सुधीर
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