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Wednesday, 24 April, 2024
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MVA रैली में पीएम पर बरसे उद्धव ठाकरे, कहा- न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है BJP

महाराष्ट्र के पूर्व सीएम ने पूछा कि पीएम की डिग्री के बारे में पूछने पर जुर्माना क्यों लगाया गया, जबकि अजीत पवार ने आरोप लगाया कि एमवीए की रैली नहीं होने के लिए हालिया सांप्रदायिक हिंसा को 'सोच समझकर अंजाम' दिया गया था.

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मुंबई: महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन की पहली संयुक्त रैली में रविवार शाम को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी शैक्षिक डिग्री को लेकर निशाना साधा.

छत्रपति संभाजी नगर में बोलते हुए, ठाकरे ने कहा कि अगर पीएम विपक्ष से सवाल पूछ सकते हैं, तो वह अपने कॉलेज की डिग्री के बारे में सवालों का जवाब क्यों नहीं दे सकते?

ठाकरे ने कहा, “यह कैसी डिग्री है, जिसके बारे में पूछने पर 25 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है?”

उनकी ये टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट के शुक्रवार के फैसले के संदर्भ में थी, जिसने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के 2016 के एक आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें गुजरात यूनिवर्सिटी को पीएम की डिग्रियों की जानकारी देने के लिए कहा गया था. अदालत ने जानकारी मांगने के लिए दिल्ली के सीएम केजरीवाल पर 25,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

ठाकरे ने कहा, “प्रधानमंत्री के पास ऐसी कौन सी डिग्री है जो वह किसी को नहीं दिखा सकते? पीएम को तो छोड़िए, कॉलेज को भी उनके वहां पढ़ने पर गर्व होना चाहिए. फिर वह कॉलेज क्यों नहीं बोल सकता?”

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उन्होंने आगे कहा, “जब मैं मुख्यमंत्री बना और राकांपा के जयंत पाटिल मेरी सरकार में मंत्री बने, तो हम दोनों को मुंबई में हमारे अल्मा मेटर बालमोहन विद्यामंदिर ने सम्मानित किया क्योंकि उन्हें लगा कि यह हमारे संस्थान के लिए गर्व का पल है.”

ठाकरे, जो शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) के प्रमुख हैं, ने आगे आरोप लगाया कि “वे (भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार) भी न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं”.

उन्होंने चेतावनी दी, “उन्हें ध्यान देना चाहिए कि इजराइल में क्या हो रहा है. उनके (मोदी के) दोस्त (इजरायल के पीएम बेंजामिन) नेतन्याहू ने ऐसा ही करने की कोशिश की (देश की न्यायपालिका में बदलाव का प्रस्ताव) और इजरायल के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्हें पीछे हटना पड़ा.”

ठाकरे ने कहा, “यह (भारत) एक लोकतंत्र है और मतदाताओं को यहां पीएम को नियंत्रित करना चाहिए.”

रविवार की एमवीए की पहली रैली थी – जिसमें शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी और कांग्रेस शामिल रहे, पूरे महाराष्ट्र में लोगों को संबोधित करने और राज्य में पिछले साल गठबंधन सरकार को कैसे गिराया गया था, इस बारे में बात करने के लिए ये योजना बनाई गई थी.

इस कार्यक्रम में ठाकरे ने भाजपा को “भ्रष्टवादी (भ्रष्ट) जनता पार्टी” कहकर उसका मज़ाक उड़ाया, यह इंगित करते हुए कि भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले लोग पार्टी में शामिल हो रहे हैं.”

उन्होंने शनिवार को मोदी की इस टिप्पणी पर भी निशाना साधा कि ऐसा करने के लिए उनकी “छवि खराब हो रही थी” और “लोगों ने सुपारी” ली है.

ठाकरे ने पूछा, “ये सब कौन कर रहा है? केंद्रीय जांच एजेंसियां विपक्षी नेताओं से पूछताछ कर रही हैं और उन्हें भ्रष्ट बता रही हैं. भाजपा अपने को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों को खत्म करना चाहती है. उन्हें लगता है कि किसी को उनसे कोई सवाल नहीं करना चाहिए. पीएम मोदी से सवाल किया जाए तो वे कहते हैं कि पूरे ओबीसी समुदाय पर हमला हो रहा है. फिर विपक्ष का क्या?”


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‘सांप्रदायिक हिंसा की साजिश’

एमवीए रैली का आयोजन औरंगाबाद की घटना के कुछ दिनों बाद किया गया, जिसे छत्रपति संभाजीनगर के रूप में नया नाम दिया गया था. ये स्थान हाल ही में रामनवमी के त्योहार के दौरान झड़पों की चपेट में आ गया था और स्थिति तनावपूर्ण बन गई.

ठाकरे ने पूरे महाराष्ट्र में दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा ‘हिंदू जन आक्रोश मोर्चा’ की रैलियां निकालने पर सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा गठबंधन पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा, ‘‘जब देश के पास शक्तिशाली प्रधानमंत्री हैं, तब भी आपको जन आक्रोश की रैलियां निकालने की जरूरत महसूस होती है? (वीर) सावरकर ने देश की आज़ादी के लिए और मोदी को प्रधानमंत्री न बनाने के लिए कठोर कारावास और कष्ट सहे. क्या आप सावरकर के ‘अखंड भारत’ (हिंदू राष्ट्र) के सपने को पूरा करेंगे?’’

सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता और कार्यकर्ता थे जिन्होंने हिंदुत्व के हिंदू राष्ट्रवादी दर्शन को जन्म दिया.

एमवीए रैली को विपक्ष के नेता अजीत पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं बालासाहेब थोराट और अशोक चव्हाण ने भी उठाया था.

पवार ने रविवार से शुरू हुई सावरकर गौरव यात्रा रैली निकालने के लिए भाजपा और शिवसेना पर सवाल उठाया और मूर्तियों का अपमान करने के लिए उन्हें पाखंडी करार दिया.

सावरकर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी के विरोध में शिवसेना और भाजपा संयुक्त रूप से रैली का आयोजन कर रहे हैं.

पवार ने पूछा, ‘‘सावरकर के बारे में जो भी कहा गया, वह अब सुलझ गया है. हम गौरव यात्रा के खिलाफ नहीं हैं लेकिन जब महात्मा (ज्योतिराव) फुले और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसी मूर्तियों का पूर्व राज्यपाल (भगत सिंह कोश्यारी) द्वारा अपमान किया गया तो वे चुप क्यों थे?’’

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हालिया सांप्रदायिक हिंसा को यह सुनिश्चित करने के लिए ‘‘अंजाम दिया गया’’ था कि एमवीए की रैली न हो. पवार ने कहा, ‘‘यह सब यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया था कि बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान कैसे हटाया जाए.’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टी भाजपा को रोकने के लिए एमवीए में शामिल हुई थी और अब गठबंधन को कोई हिला नहीं सकता.

चव्हाण ने कहा, “जिस तरह से एमवीए सरकार को गिराया गया वह लोकतंत्र के लिए खतरा है. उद्धव ठाकरे एक अच्छे नेता थे जो सभी को साथ लेकर चलते थे. क्या आप उन लोगों को माफ कर देंगे जिन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिरा दिया और राहुल गांधी को केवल सवाल पूछने के लिए सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया?’’

(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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