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Wednesday, 24 April, 2024
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तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने बजट से पहले कहा—देश IAS नहीं चलाते हैं, राजनेताओं को जवाबदेह होना चाहिए

तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने दिप्रिंट को दिए खास इंटरव्यू में कहा कि 13 अगस्त का पेश किया जाने वाला राज्य का बजट एक विजन डॉक्यूमेंट होगा, जो पिछले कुछ वर्षों के ‘अप्रासंगिक’ केंद्रीय बजट से अलग होगा.

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चेन्नई: तमिलनाडु में 13 अगस्त को पेश किए जाने वाले बजट से पहले राज्य के वित्त मंत्री पलानीवेल त्याग राजन—या पीटीआर जिस नाम से उन्हें आमतौर पर जाना जाता है—ने बुधवार को पार्टी मुख्यालय में दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि राज्य कैबिनेट की तमाम बैठकों में इस पर चर्चा की गई कि सभी नीतिगत निर्णयों के नतीजों के लिए राजनीतिक नेतृत्व को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘हम एक लोकतंत्र हैं, न कि आईएएस द्वारा संचालित कोई देश. हम निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा संचालित हैं जिन्हें जनता चुनती है.’

पीटीआर ने कहा कि जब नतीजे अच्छे हों तो राजनीतिक नेतृत्व को श्रेय दिया जाना चाहिए और जब खराब हों तो नेतृत्व को जवाबदेही स्वीकार करनी चाहिए और इसकी कीमत चुकानी चाहिए. वित्त मंत्री ने कहा कि वर्तमान द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार के नेतृत्व में तमिलनाडु में अगले बजट और शासन शैली से यह उम्मीद की जा सकती है कि इनमें पिछली अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) की सरकार की तुलना में बहुत अंतर होगा.

उन्होंने कहा, ‘हम इतने बड़े राज्य को कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिए पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था पर लौटेंगे.’

एम.के. स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके की गत मई में 10 साल बाद सत्ता में वापसी हुई है.

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इतने लंबे अंतराल के बाद सत्ता में आने के बाद डीएमके सरकार लोगों के बीच एक अच्छा प्रभाव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, और जून में घोषित आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी) का गठन, ऐसा ही एक उपाय है.

नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर एस्थर डुफ्लो, आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन, केंद्र सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, विकास अर्थशास्त्री प्रो. ज्यां द्रेज और पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव एस. नारायण जैसे सम्मानित पैनलिस्ट के साथ ईएसी के गठन पर अच्छी प्रतिक्रिया भी मिली है.

पीटीआर ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोई औपचारिक व्यवस्था नहीं है. डुफ्लो के सुझाव पर परिषद ने अधिक अनौपचारिक कार्यशैली अपनाई है. उन्होंने कहा कि मुख्य फोकस समावेशी आर्थिक विकास पर है, जो द्रविड़ आंदोलन के सिद्धांतों में अंतर्निहित है.

त्याग राजन ने कहा, ‘हम सही तरह की वृद्धि चाहते हैं, न कि उस तरह की जो अरबपतियों और गरीब लोगों के बीच खाई बढ़ाती हो.’

यद्यपि परिषद की औपचारिक बैठक शायद ही कभी बुलाई गई हो, राज्य के वित्त मंत्री हर हफ्ते कम से कम एक या दो सदस्यों के साथ करीब एक घंटे बात करते हैं.

त्याग राजन ने बताया कि जल्द ही आने जा रहा बजट शासन शैली में बदली प्राथमिकताओं को दर्शाएगा. साथ ही जोड़ा कि ‘पिछली सरकार (एआईएडीएमके) से विरासत में मिली वित्तीय स्थिति’ और अर्थव्यवस्था पर कोविड के प्रभाव के बावजूद यह एक विजन डॉक्यूमेंट होगा जो मौजूदा सरकार के दर्शन, दृष्टिकोण और कार्यान्वयन के तरीके को स्पष्ट करेगा.

उन्होंने आगे कहा कि यह ‘पिछले पांच-छह वर्षों’ के केंद्रीय बजट से भी अलग होगा, जो उनके मुताबिक, ‘अप्रासंगिक रहा है.’

बजट से चार दिन पूर्व तमिलनाडु वित्तीय स्थिति पर एक श्वेतपत्र भी जारी करेगा, जिसे पीटीआर और ईएसी के कुछ सदस्यों की तरफ से तैयार किया गया है. दस्तावेज की जरूरत के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि सीएम स्टालिन एक पारदर्शी सरकार सुनिश्चित करना चाहते थे जो लोगों के साथ मिलकर काम करे और ‘पिछली सरकार के विपरीत’ उन्हें हालात से अवगत कराती रहे.


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‘केंद्रीय बजट वास्तविक नीतिगत फैसलों से परे’

राज्य के आगामी बजट के संदर्भ में त्याग राजन ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यह केंद्रीय बजट की तरह न हो जिसने, उनके मुताबिक, केंद्र सरकार की तरफ से घोषित वास्तविक नीतिगत निर्णयों को परे रख दिया है.

उन्होंने कहा, ‘पिछले पांच-छह सालों में केंद्र सरकार के आम बजट अप्रासंगिक रहे हैं क्योंकि बजट में जो कहा जाता है वह लोगों के जीवन पर असर डालने वाले फैसलों की तुलना में एक-दूसरे से एकदम अलग होता है.’

राज्य के मंत्री ने इस संबंध में नोटबंदी के केंद्र के फैसले पर अमल, राष्ट्रीय स्तर पर कोविड लॉकडाउन लागू होने, कॉर्पोरेट टैक्स के रोलबैक और माल और सेवा कर (जीएसटी) को लागू किए जाने के तरीके को उदाहरण के तौर पर सामने रखा.

उन्होंने कहा, ‘हम इस तरह नहीं करना चाहते. हम अपने बजट का उपयोग आर्थिक दर्शन, राजनीतिक मूल्यों और कार्रवाई योग्य कदमों को एक साथ समाहित करने के लिए करना चाहते हैं.’

अपनी स्पष्ट सोच के लिए ख्यात त्याग राजन ने 28 मई को वित्त मंत्री के रूप में अपने पहले भाषण में कहा था कि जीएसटी परिषद—जिसके गठन को 2016 में मंजूरी मिली थी—एक रबर स्टाम्प प्राधिकरण बनती जा रही है.

उन्होंने बताया कि अभी तक जीएसटी परिषद की जिन दो बैठकों में उन्होंने हिस्सा लिया है, उनमें स्पष्ट तौर पर यही समझ नहीं आया कि कौन से निर्णय सक्रिय ढंग से परिषद की तरफ से लिए जाने हैं, किसे अन्य की तरफ से लिया जाएगा, कौन-सी मंजूरी परिषद की तरफ से दी जानी है और क्या सिर्फ इसकी सूचना के लिए है.

उन्होंने सवाल उठाया, ‘यदि परिषद इतनी ही महत्वपूर्ण है और फिर आठ महीने से बैठक तक नहीं हुई है, तो ये दोनों तथ्य एक-दूसरे से कहां मेल खाते हैं?’

जीएसटी पर अमल के कारण राजस्व में कमी के लिए राज्यों को जुलाई में केंद्र की तरफ से दिए गए 75,000 करोड़ रुपये के मुआवजे के बारे में बात करते हुए त्याग राजन ने बताया कि यह एक ‘मैकेनिकल’ आंकड़ा था जिसका कोई मतलब नहीं था.

तमिलनाडु के वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि अन्य राज्यों (जैसे केरल, पंजाब और छत्तीसगढ़) के वित्त मंत्रियों ने इस बात को भी रेखांकित किया था कि राजस्व बकाये की गणना गलत थी.


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‘कोविड का दीर्घकालिक असर’

अर्थव्यवस्था पर कोविड के असर के बारे में बात करते हुए त्याग राजन ने दिप्रिंट को बताया कि दूसरी कोविड लहर के दौरान ईएसी ने सरकार को कई अनमोल इनपुट दिए, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों पर ध्यान केंद्रित करना, मानसिक स्वास्थ्य और संभावित तीसरी लहर के कारण संभावित जोखिम का आकलन करना शामिल था.

उन्होंने बताया कि इसी इनपुट के आधार पर मदुरै में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया जिसमें एंटीबॉडी पेनेट्रेशन, वैक्सीन कवरेज, और जिले में ज्यादा जोखिम वाली के जनसांख्यिकीय मानचित्र को एक साथ मिलाकर एक मैप तैयार किया गया, जिससे सबसे ज्यादा संभावित जोखिम का पता लगाकर उसके अनुरूप उपयुक्त कदम उठाए जा सकें.

नई सरकार एक तरफ जहां बजट पेश करने की तैयारी कर रही है, वही कोविड की संभावित तीसरी लहर से निपटने की तैयारियों में भी जुटी है.

कोविड के दीर्घकालिक सामाजिक और आर्थिक असर के बारे में बताते हुए त्याग राजन ने कहा कि बाल विवाह का ट्रेंड बढ़ा है और राज्य में मातृ मृत्यु दर में भी वृद्धि हुई है, जिसकी उन्होंने कहा कि अनदेखी नहीं की जा सकती. उन्होंने कहा कि कई छोटे कारोबार बंद हो चुके हैं, उन्हें फिर से खड़ा करने की गुंजाइश भी नहीं है, बाल श्रम बढ़ने के साथ स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या भी काफी बढ़ी है.

हालांकि, हालात की एकदम भयावह तस्वीर पेश न करने के प्रति सावधानी बरतते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि इस बजट—जिसे ‘संशोधित’ बजट (चुनाव से पहले अन्नाद्रमुक द्वारा प्रस्तुत अंतरिम बजट में संशोधन के साथ) कहा जा रहा है—और फरवरी 2022 में आने वाले मुख्य बजट में कोशिश होगी कि इसे सुधारात्मक उपायों के लिए वित्तीय जरूरतों के मद्देनजर बनाया जाए.

उन्होंने कहा, ‘अंतत: तो हम एक बहुत समृद्ध राज्य हैं. खास तौर पर हमारी प्रति व्यक्ति आय काफी अच्छी है और साथ ही सामाजिक विकास संकेतक के मामले में भी हम बेहतर स्थिति में हैं.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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