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संघ कार्यकर्ता ने मांगा केजरीवाल के लिए वोट, लगाया उनके समर्थन वाला होर्डिंग

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की घोषणा बस होने ही वाली है ऐसे में भाजपा समर्थक दीपक मदान अरविंद केजरीवाल के समर्थन में उतर आए हैं और राजधानी की सड़कों पर पोस्टर भी लगवाए हैं.

दिल्ली में आरएसएस कार्यकर्ता ने लगवाए केजरीवाले के समर्थन वाले पोस्टर साभार: कुलदीप शर्मा ट्विटर हैंडल

नई दिल्ली: आरएसएस, बजरंग दल और भाजपा का एक कार्यकर्ता दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन खुलेआम कर रहा है. इस कार्यकर्ता ने केजरीवाल के समर्थन में राजधानी की सड़कों पर बड़े-बड़े होर्डिंग भी लगवाए हैं जिसमें उसने लिखा है ‘देश मांगे नरेंद्र मोदी, दिल्ली मांगे केजरीवाल.’

पोस्टर के बारे में दिप्रिंट ने जब मदान से बात की तो उन्होंने बताया कि भले ही वो आरएसएस, बजरंग दल और भाजपा से जुड़े रहे हों, लेकिन वह अरविंद केजरीवाल की कार्यप्रणाली से काफी खुश हैं. जिस तरह से दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में केजरी सरकार ने काम किया है वह उनके हिमायती बन गए हैं. हालांकि वह दिल्ली सरकार द्वारा बिजली-पानी मुफ्त किए जाने के खिलाफ हैं. दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने वह चार कारण भी बताए जिसकी वजह से वह अरविंद केजरीवाल का समर्थन कर रहे हैं.

राजधानी दिल्ली में बस अब विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है. राजनीतिक पार्टियां अपनी अपनी पार्टियों को जीत दिलाने के लिए तरह-तरह की लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा भी शुरू कर चुकी हैं ऐसे में खुद को भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस का कार्यकर्ता बताने वाले दिल्ली के पश्चिम बिहार के मां लक्ष्मी अपार्टमेंट के प्रधान दीपक मदान की यह हरकत दिल्ली के मतदाताओं को भी चौंका रही है.

मदान कहते हैं कि भले ही मैं बचपन से आरएसएस से जुड़ा रहा हूं, लेकिन दिल्ली चुनाव आरएसएस तो नहीं लड़ रहा और ना ही बजरंग दल इसमें शामिल हैं. ऐसे में उनके द्वारा केजरीवाल को समर्थन दिए जाने में कोई हर्ज़ नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘दिल्ली में भाजपा को नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट नहीं मांगने चाहिए. पीएम मोदी केंद्र में सरकार चलाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प हैं, लेकिन दिल्ली को देने के लिए भाजपा के पास कोई विकल्प नहीं है.’

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उन्होंने ये दावा भी किया कि वो पिछले डेढ़ साल से दिल्ली में फ्री एंबुलेंस सेवा दे रहे हैं और इस दौरान उन्होंने पाया कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं काफ़ी बेहतर हुई हैं. उनके मुताबिक एंबुलेंस की आवाज़ सुनते अस्पताल के लोग मरीज़ को अंदर ले जाने के लिए दौड़े चले आते हैं.

मदान ने ये भी कहा कि वो दिल्ली सरकार की मुफ़्त की स्कीमों का समर्थन नहीं करते. लेकिन उनके मुताबिक दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में जैसा काम हुआ है उस मामले में कोई इस सरकार से टक्कर नहीं ले सकता है.

आपको बता दें कि मदान का पोस्टर वो पहला मौका नहीं है जब दिल्ली की राजनीति को लेकर नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल के बीच सीधी लाइन खींची गई हो. आम चुनाव 2019 में बुरी तरह से मुंह की खाने वाली केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) नतीज़ों के तुरंत बाद ‘दिल्ली में तो केजरीवाल’ का नारा उछाला था.

आप ने दिल्ली में ‘विकल्पहीन’ भाजपा को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा और दिल्ली के चुनाव को पूरी तरह से केजरीवाल के चेहरे पर आधारित स्थानीय मुद्दों पर आधारित चुनाव बनाने की कोशिश की है.

भाजपा की ‘विकल्पहीनत’ पर चटखारे लेते हुए पार्टी ने 2 जनवरी को एक ट्वीट किया था जिसमें भाजपा के सभी सात सीएम पद उम्मीदवारों को बधाई दी गई. ट्वीट में लिखा था, ‘गौतम गंभीर, मनोज तिवारी, विजय गोयल, हरदीप सिंह पुरी, हर्षवर्धन, विजेंद्र गुप्ता और साहेब सिंह वर्मा जैसे भाजपा के सभी सातों सीएम पद उम्मीदवारों को नए साल की बधाई.’

ज़ाहिर सी बात है कि चुनाव अभियान से जुड़े ऐसे पोस्टर से आप ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि 2015 के विधानसभा चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा के पास अरविंद केजरीवाल के मुकाबले कोई विकल्प नहीं है. पिछली बार आख़िरी क्षण में केजरीवाल के ख़िलाफ़ चेहरा बनाई गई पुड्डुचेरी के राज्यपाल वर्तमान राज्यपाल किरण बेदी को भी बुरी तरह से मुंह की खानी पड़ी थी.

कमोबेश कांग्रेस की स्थिति और बुरी है क्योंकि पार्टी ने अंतिम क्षणों में सुभाष चोपड़ा को पार्टी का अध्यक्ष तो बनाया लेकिन दिल्ली में केजरीवाल के सामने सीएम पद का चेहरा देने की स्थिति में नहीं है. हालांकि, 2015 के चुनाव में 70 में एक भी सीट न जीत पाने वाली कांग्रेस को इस बात का भरोसा है कि चुनाव बाद दिल्ली में वो किंगमेकर होगी और बिना पार्टी से गठबंधन किए आप सरकार बनाने की स्थिति में नहीं होगी.

आपको बता दें कि 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 70 में 67, भाजपा को 3 सीटें मिली थीं लेकिन दिल्ली को बेहतरीन मुख्यमंत्री देने का दावा करने वाली कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. ऐसी संभावना है कि दिल्ली के चुनाव फरवरी महीने में हो सकते हैं.

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