scorecardresearch
Friday, 29 March, 2024
होम2019 लोकसभा चुनावरडार तकनीक पर पीएम ने ज़ाहिर की अपनी अज्ञानता, इंटरव्यू में बालाकोट से जुड़ी अहम जानकारी सार्वजनिक की

रडार तकनीक पर पीएम ने ज़ाहिर की अपनी अज्ञानता, इंटरव्यू में बालाकोट से जुड़ी अहम जानकारी सार्वजनिक की

मोदी को अपने ताज़ा दावे के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है. इस दावे में उन्होंने कहा कि बादल छा जाने पर रडार की क्षमता घट जाती है.

Text Size:

नई दिल्ली: पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा दी गई ‘बादल सिद्धांत’ से जुड़ी जानकारी से फेसबुक और ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बवाल मचा हुआ है. ‘बादल सिद्धांत’ बालाकोट हमले से जुड़ा हुआ है. इतना ही नहीं, उन्होंने 27 फरवरी वाले साहसी हवाई हमले से पहले के क्षणों और रणनीति का महत्वपूर्ण विवरण भी सार्वजनिक कर दिया. ऐसा करने में उन्होंने उन दावों का भी खंडन कर दिया जो सरकारी आला अधिकारियों ने किए थे.

शनिवार को न्यूज़ नेशन को दिए गए एक इंटरव्यू में मोदी ने कहा कि ख़राब मौसम के बावजूद उन्होंने हवाई हमले की अनुमति दे दी थी क्योंकि उन्हें लगा कि बादलों की वजह से पाकिस्तानी रडार भारतीय विमानों को पकड़ नहीं पाएंगे. पीएम का यह बयान तब वायरल होने लगा जब भाजपा के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे ट्वीट किया गया और बाद में डिलीट कर दिया गया.

इस बयान को लेकर ट्विटर पर जमकर वाद-विवाद हुआ. क्योंकि चाहे कितना भी ख़राब मौसम हो रडार पर जहाज़ का पता चल जाता है. इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने इस बात तक का ख़ुलासा कर दिया कि हवाई हमले पर चर्चा हुई है और विशेषज्ञ इसके लिए समय चाहते थे. मोदी ने ये भी कहा कि बिना किसी शक के पाकिस्तानी एफ- 16 को मार गिराया गया था जिसमें दो पायलटों की जानें गई थीं.

पीएम ने स्वीकार किया कि एक्सपर्ट किसी और दिन हमले के पक्ष में थे

एक तरफ जहां सबका ध्यान ‘बादल सिद्धांत’ पर है, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने सबको बता दिया कि एयर स्ट्राइक से पहले सरकार ने 25 फरवरी की रात नौ बजे ऑपरेशन से जुड़ा एक रिव्यू रखा था. मोदी ने बताया कि 12 बजे हुई अगली मुलाकात में बादल छाए होने की दिक्कत सामने आई. पीएम ने कहा, ‘हमारे समाने एक दिक्कत थी, अचानक से मौसम ख़राब हो गया था. आपको याद होगा कि बहुत तेज़ बारिश हो रही थी… मैं पहली बार ये बता रहा हूं. मुझे नहीं पता कि हमारे अधिकारियों को कैसा लगेगा.’

पीएम मोदी ने स्वीकार किया कि इस बात को लेकर शक था कि क्या भारतीय एयर फोर्स ऐसे मौसम में विमान उड़ाने में सक्षम होगी की नहीं. पीएम ने कहा, ‘लगभग विशेषज्ञों का विचार यही था कि ‘साहब, तारीख़ बदल दें क्या? मेरे दिमाग़ में दो चीज़ें आईं- एक तो गोपनीयता. तब तक ये एक गोपनीय बात थी लेकिन अगर कोई बात बाहर आ जाती तो हम ये नहीं कर पाते… दूसरी, मैं एक ऐसा व्यक्ति नहीं हूं जो तकनीक और विज्ञान से जुड़ी इन बातों को समझता है. लेकिन मैंने कहा कि बादल और बारिश से फायदा भी है. हम रडार से बच सकते हैं.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़ें : भूल जाइए बालाकोट, अगर पायलटों की संख्या की बात करें तो पाकिस्तान भारत से बहुत आगे है


उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने कहा मेरी हल्की समझ ये है कि ये बादल हम सबके लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं. हम सब असमंजस की स्थिति में थे. फिर मैंने कहा कि बादल हैं, जाइए.’ पीएम के बयान से साफ है कि ‘विशेषज्ञ’ इस अभियान में देरी चाहते थे लेकिन फिर भी इसे अंजाम दिया गया. ये साफ नहीं है कि किसी एक्सपर्ट (जिनमें एयर फोर्स के अलावा अधिकारी भी शामिल हैं) ने उन्होंने समझाने की कोशिश की थी कि भारी बादल छाए होने की स्थिति में भी रेडार सिग्नल पकड़ सकते हैं. या ऐसी कोई कोशिशि नहीं की गई.

बालाकोट हमले के बाद दिप्रिंट के एयरफोर्स के आला अधिकारियों से बात हुई थी. उन्हें इस बात का गर्व था कि हमले से जुड़ी गोपनियता पूरी तरह के क़ायम रही. इसके बावजूद कि इसमें कई एयर बेस शामिल थे और लगभग 5000 एयरमैन इसका हिस्सा थे और उन्हें पता था कि कुछ बड़ा होने जा रहा है. एयरफोर्स को भी इस बात का डर था कि किसी तरह की देरी से ये जानकारी लीक हो सकती है.

प्रधानमंत्री ने किया नौसैनिक अभ्यास का खुलासा

प्रधानमंत्री के साक्षात्कार से नए विवरण उभर कर सामने आए हैं. हालांकि, इस रहस्योद्घाटन से ये पता चलता है कि भारतीय नौसेना ने एयर स्ट्राइक में भाग लिया था. मोदी ने यह बात ऑन रिकॉर्ड बताई थी कि भारतीय नौसैनिक जहाजों ने पाकिस्तान को विश्वास दिलाने के लिए कई बार मूवमेंट किए. इन मूवमेंट के जरिए भारतीय नौसैनिक जहाजों ने भ्रम पैदा किया कि उनकी योजना कराची पर हमला करने की थी. लेकिन भारतीय शीर्ष सरकारी अधिकारी यह महत्वपूर्ण जानकारी नहीं देने का लगातार प्रयास करते रहे हैं.

पाकिस्तान ने तब कई रक्षात्मक कदम उठाए थे जिनमें अपना पूरा बेड़ा भारत के खिलाफ ऑपरेशनल तैनाती पर रखा था.

लेकिन एयर स्ट्राइक के बाद भारत के एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कुछ चुनिंदा पत्रकारों के साथ मुलाकात की थी और पाकिस्तान पर युद्ध में लिप्त होने का आरोप लगाया था. उन्होंने पाकिस्तान पर यह आरोप भी लगाया कि वह दुनिया को बता रहा है कि युद्ध निकटस्थ है. शीर्ष अधिकारी ने इस बात से भी इनकार किया कि कोई भी नौसैनिक जहाज पाकिस्तान के खिलाफ तैनात किया गया था. दरअसल उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की तरफ जहाज का मूवमेंट नहीं था.

नौसेना के सूत्रों ने इस बात से भी इनकार किया था कि पाकिस्तान के खिलाफ कोई तैनाती थी. केवल 27 फरवरी को पाकिस्तान द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक के बाद नौसेना ने कहा कि उसने केवल अपनी संपत्ति को हाई अलर्ट पर रखा था.

हालांकि, शनिवार को अपने साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि भारतीय नौसेना के जहाज वास्तव में बालाकोट हमलों से पहले तैनात किए गए थे. प्रधानमंत्री ने कहा ‘हमने समुद्र में बहुत सारे मूवमेंट किए. हमारे सभी नौसैनिक युद्धपोत है. पाकिस्तान ने कराची में कई दिनों तक ब्लैकआउट किया था. उन्होंने सोचा था कि हमला कराची में होगा. वे जहाजों के मूवमेंट से भ्रमित थे.’


यह भी पढ़ें : इस ‘बालाकोट चुनाव’ में भी महाराष्ट्र के ‘मिलिटरी गांव’ की सुध नहीं ली जा रही


प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय पक्ष ने जानबूझकर एक भ्रम पैदा किया कि बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय) लक्ष्य था.

मोदी ने कहा, ‘तीन चार दिनों तक पाकिस्तान किसी और जगह की बात करता रहा (बहावलपुर में जेएम शिविर है). यहां तक कि वे लोग यह दिखाने के लिए भी ले गए कि यह कितना शांतिपूर्ण है और छात्र यहां अध्ययन करते हैं. हम कहते थे कि सारी गड़बड़ी यहीं से होती है. हमारे विमान का एक सेट वहां चला गया. पाकिस्तान ने यह सोचा था कि वे बहावलपुर के लिए आ रहे हैं. उन्होंने कभी महसूस नहीं किया कि हम कहीं और जा रहे हैं.

एक और नया विवरण जो सामने आया वह था हमले का समय. भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने मीडिया को बताया था कि ऑपरेशन सुबह 3.30 बजे शुरू हुआ था. लेकिन मोदी ने कहा कि यह वास्तव में 2.55 बजे शुरू हुआ था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘हमने 1.30 बजे अपना मूवमेंट शुरू किया. हमारा समय 2.55 बजे का था. यह सबसे अच्छा समय था. हमें उपग्रह के समय को ध्यान में रखना था ताकि हम उसमें फंस न जाएं. तीन बजकर बीस मिनट पर मुझे रिपोर्ट मिली कि सब ठीक से हो गया है.

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments