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Thursday, 28 March, 2024
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MP में चल रहा है CM vs Ex-CM, शिवराज और कमलनाथ खेल रहे हैं ‘कौन से वादे पूरे किए?’ वाला खेल

भाजपा नेताओं ने कहा कि चौहान के पूर्ववर्ती नाथ पर हमला पार्टी की रणनीति का 'आक्रामक बने रहने' का हिस्सा है, कांग्रेस ने कहा कि सरकार की कमियों पर सवाल उठाना विपक्ष की भूमिका है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं और ऐसे में यहां भाजपा-कांग्रेस की प्रतिद्वंद्विता ने एक व्यक्तिगत मोड़ ले लिया है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ एक-दूसरे की सरकारों पर बार-बार आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं.

अगर चौहान नाथ से सवाल कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने जनता से किए वादों को कितना पूरा किया, तो नाथ इस बात पर पलटवार कर रहे हैं कि बाद की सरकार ने उनके द्वारा किए गए जनहित के वादों को पूरा क्यों नहीं किया.

सवालों के चल रहे दौर ने कांग्रेस के सदस्यों को आश्चर्यचकित कर दिया है कि सीएम ने, “विपक्ष की भूमिका” क्यों ली है, वहीं भारतीय जनता पार्टी ने सीएम चौहान का बचाव करते हुए दावा किया है कि यह “आक्रामक बने रहने के लिए” पार्टी की रणनीति है.

2018 के राज्य चुनावों में कांग्रेस के जीतने के बाद नाथ एक साल से अधिक समय तक मध्य प्रदेश के सीएम रहे, लेकिन 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह में उन्हें बाहर कर दिया गया, जिसके बाद भाजपा मुख्यमंत्री के रूप में चौहान के साथ सत्ता में आई.

चौहान और नाथ के बीच चल रहे वाकयुद्ध की शुरुआत 28 जनवरी को उज्जैन में एक कार्यक्रम में हुई थी, जब उन्होंने  मीडिया से कहा था कि वह पूर्व सीएम से हर दिन सवाल पूछेंगे, विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के तरीके के रूप में खुद की सरकार खड़ी है.

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नाथ के नेतृत्व वाली 15 महीने की कांग्रेस सरकार के, “विफल वादों” पर प्रकाश डालते हुए, चौहान ने पूछा: “उन्होंने (कांग्रेस) ने अपने घोषणापत्र में गेहूं, चना, सरसों और धान जैसी फसलों को सूचीबद्ध किया था और बोनस (खरीद मूल्य पर) का वादा किया था. क्या एक व्यक्ति को भी 15 महीने में इतना बोनस मिला?”

राज्य की प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के प्रमुख नाथ ने उसी दिन ट्विटर पर पलटवार करते हुए कहा, “मैंने सुना है कि शिवराज जी मुझसे सवाल कर रहे हैं कि हमने कौन से वादे पूरे किए हैं और कौन से नहीं कर पाए हैं. केवल अस्थिर दिमाग का व्यक्ति ही इस तरह के सवाल पूछ सकता है.”

उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री का काम सवाल पूछना नहीं, जनहित की योजनाओं को लागू करना है. अगर हमारी घोषणाएं (योजनाएं) जनहित में हैं तो आपको इसे लागू करना चाहिए.

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, ‘अपने सवालों को कुछ महीनों के लिए सहेज कर रखिए. जनता आपको (सीएम की) कुर्सी से हटा देगी और आपको सवाल पूछने के लिए काफी समय देगी. मुझे लगता है कि आप उसी के लिए नेट प्रैक्टिस कर रहे हैं.”

तब से उनका वाकयुद्ध कहें यहां वाक वार दोनों का आदान-प्रदान जारी है.

इस बीच, भाजपा नेताओं ने चौहान की ओर से वाकयुद्ध को पार्टी की रणनीति के रूप में समझाया है, “आक्रामक बने रहने के लिए है, ताकि विपक्ष के आरोपों का जनता पर कोई प्रभाव न पड़े”

भाजपा मध्यप्रदेश यूनिट के जेनरल सेक्रेटरी ने दिप्रिंट से कहा, “अगर हम स्थानीय निकाय चुनावों और उपचुनावों को देखें, तो मोमेंटम हमारे साथ है. लेकिन कांग्रेस यहां अन्य राज्यों की तुलना में उतनी कमजोर नहीं है. कांग्रेस आक्रामक है, इसलिए उनके झूठ का पर्दाफाश करने के लिए मुख्यमंत्री सीधे सवाल पूछ रहे हैं- कि आप (कांग्रेस) बताएं कि आपने कितने वादे पूरे किए.”

उन्होंने कहा, “इस तरह, हम विपक्ष के आरोपों से लड़ सकते हैं और जनता के बीच आक्रामक दिख सकते हैं और अपनी छवि सुधार सकते हैं.”

एक दूसरी पार्टी के नेता, जो चौहान सरकार में मंत्री भी हैं, ने दिप्रिंट को बताया कि “सरकार चलाने के दो तरीके हैं – या तो आपका काम बोलता है या आप बोलते हैं”.

उन्होंने आगे कहा कि “राजनीति में, केवल छवि काम करती है. आजकल काम करने के बाद भी यदि आप विपक्ष के आरोपों को हावी होने देते हैं तो आपकी छवि नकारात्मक हो जाती है.”

हालांकि, कांग्रेस के मध्य प्रदेश प्रवक्ता के.के. मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया, “सरकार से सवाल करना विपक्ष की भूमिका है. भाजपा सरकार द्वारा पूरे नहीं किए गए कई वादों का पर्दाफाश करने की जरूरत है, लेकिन सीएम उन्हें पूरा करने के बजाय विपक्ष पर सवाल उठा रहे हैं. यह मज़ाकीय है.”

एक दूसरे कांग्रेस नेता ने भी दिप्रिंट को बताया कि पार्टी की रणनीति सरकार की कमियों पर सवाल उठाते रहने की थी, ताकि भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों से पहले नैरेटिव गढ़ कर आगे न बढ़ सके.


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चौहान के नाथ से सवाल

29 जनवरी को, चौहान ने ट्विटर पर एक हिंदी दोहे के साथ फिर से नाथ पर निशाना साधा, “कल, मैंने कमलनाथ से एक सवाल पूछा और वह भड़क गए और कहा कि ‘क्या कोई सीएम सवाल पूछता है?”

उन्होंने भोपाल में मीडिया से बात करते हुए खुद की एक क्लिप डालते हुए जोड़ा, “आप जनता को गुमराह करना जारी रखे हुए हैं और हमें सवाल भी नहीं पूछना चाहिए?”

सप्ताह के अंत में पत्रकारों से बात करते हुए, चौहान ने एक और सवाल किया: “कमलनाथ ने दुग्ध संघों के माध्यम से दुग्ध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर का बोनस देने का वादा किया था. क्या सवा साल में रत्ती भर भी दिया?

एक दिन बाद एमपी के सीएम ने ट्वीट किया: “कमलनाथ मेरे सवालों से भाग रहे हैं. उन्होंने कितने वादे किए लेकिन एक भी पूरा नहीं किया. वह हर दिन नए झूठ बोल रहे हैं.”

नाथ ने सोमवार को अपनी ओर से चौहान से पूछा, ”शिवराज जी, आप एक बार फिर अपने झूठ की गठरी लेकर आए हैं. आपने भाजपा के ‘नारी शक्ति संकल्प पत्र’ में घोषणा की थी कि ‘हम जननी एक्सप्रेस 108 एंबुलेंस की संख्या दोगुनी करेंगे, ताकि मां और बच्चे को स्वास्थ्य केंद्रों तक पर्याप्त परिवहन सुविधा उपलब्ध कराई जा सके.”

नाथ आश्चर्यचकित थे और उन्होंने पूछा, “लेकिन हर दिन राज्य में एंबुलेंस की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं की मौत की खबरें आ रही हैं. इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है शिवराज जी?”

नाथ ने एक दिन पहले भी इस विषय पर ट्वीट किया था, जिसमें एमपी के सीएम से “मुख्यमंत्री पद की गरिमा को ध्यान में रखने” का आग्रह किया था.

इस बीच, चौहान ने सोमवार को कृषक कन्या विवाह सहायता योजना के बारे में भी नाथ से सवाल किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार द्वारा घोषित की गई थी, जिसके तहत छोटे किसानों की बेटियों की शादी के लिए 51,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जानी थी.

उन्होने पूछा, “क्या हुआ उसका?”

मंगलवार को एमपी के सीएम ने पिछली कांग्रेस सरकार पर एक और निशाना साधा.

चौहान ने आरोप लगाया, ”ग्राम सभा की सिफारिश पर (कांग्रेस द्वारा) किसानों के लिए फसल बीमा योजना का वादा किया गया था… लेकिन पैसा नहीं दिया गया क्योंकि योजना का आधार ऐसा बना दिया गया कि किसानों को पैसा नहीं मिले.”

उन्होंने कहा, “भाजपा सरकार में दो साल में किसानों के खाते में 17 हजार करोड़ रुपये जमा किए गए, लेकिन कांग्रेस के राज में उनके साथ धोखा हुआ. इसका जवाब कमलनाथ को देना होगा. कमलनाथ बार-बार कहते हैं कि मैं झूठ बोल रहा हूं, लेकिन आपके झूठ की गठरी में वजन है और अब आप जनता को गुमराह करने निकले हैं.

नाथ ने मंगलवार को अपने ही एक सवाल का जवाब दिया: “मैं आपसे (चौहान) पूछता हूं कि आपने अपने विजन पेपर में वादा किया था कि आप दालों की 100% खरीद सुनिश्चित करेंगे. क्या आपकी सरकार किसानों से 100% दाल खरीद रही है? बेमतलब की बयानबाजी छोड़ो, किसानों की तरफ देखो और उनसे जो वादा किया था उसे पूरा करो.”

चौहान पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा: “मैं किसान भाइयों से कहना चाहता हूं कि वे चिंता न करें. शिवराज जी अभिनीत फिल्म (सरकार) में छह महीने और बाकी हैं, उसके बाद हम सब सत्य के मार्ग पर चलेंगे और मध्यप्रदेश को महान बनाएंगे.”

दूसरी ओर, मुख्यमंत्री ने भोपाल में राज्य के अधिकारियों की एक बैठक में कांग्रेस पर अपना ताजा आरोप लगाया, जहां उन्होंने दावा किया, “कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में कहा था कि वह एक नई फसल बीमा योजना लाएगी, लेकिन कमल नाथ ने पुरानी बीमा राशि का भुगतान भी नहीं किया. हमने सत्ता में आने के बाद किसानों को पुराने प्रीमियम के 2,200 करोड़ रुपये जमा किए.”


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‘झूठ का मुकाबला’ कैसे करें

मतदाताओं के बीच सत्ता विरोधी भावनाओं के कारण भाजपा हार का मुंह नहीं देखना चाहती है, राज्य के मंत्री ने कहा, “एक मुख्यमंत्री के लिए बात करना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना काम करना”.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री और पार्टी के नेता बसवराज बोम्मई का उदाहरण देते हुए, सांसद मंत्री ने दावा किया, “वह केवल विपक्ष की रणनीति का मुकाबला करने के लिए काम तो कर रहे हैं लेकिन करारा जवाब देने में नाकाम साबित हो रहे हैं.  इससे उनकी छवि खराब हुई है.”

भाजपा की मध्य प्रदेश इकाई के एक महासचिव भगवानदास सबनानी ने कहा: “मुख्यमंत्री के लिए सवाल पूछना अप्रत्याशित नहीं है. विपक्ष के झूठ का मुकाबला सच से ही हो सकता है. विपक्ष का काम सवाल पूछना है, झूठ फैलाना नहीं.”

पिछले महीने बीजेपी नेता और बोम्मई सरकार में कानून मंत्री जे.सी. मधुस्वामी ने सीएम पर तंज कसते हुए पार्टी नेताओं से कहा था कि वे विपक्ष के आरोपों पर मूक दर्शक बने न रहें, बल्कि आक्रामक तरीके से जवाब दें.

उन्होंने कहा, “यह दुखद है कि हम विपक्ष के आरोपों के मूक दर्शक बने हुए हैं. बल्कि इस वक्त हमें अपने अंदर झांकना चाहिए कि कहीं ये आरोप सही तो नहीं है. उनसे सवाल करने के बजाय हम खुद से सवाल करने की जरूरत है.”

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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