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Thursday, 18 April, 2024
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MP के लोकल बॉडी इलेक्शन में BJP को भले ही लीड मिली हो, पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बन सकती है खतरा

इन 19 नगर निकायों में से 6 नगर पालिकाएं हैं और 13 सिटी काउंसिल हैं. इन 6 नगर पालिकाओं में से 4 बीजेपी ने और 2 कांग्रेस ने जीती हैं जबकि 13 नगर परिषदों में से बीजेपी ने सात जीती हैं जबकि बाकी की 6 कांग्रेस ने जीती है.

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नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के 19 नगरीय निकायों के चुनाव में बीजेपी ने 12 पर तो कांग्रेस ने 7 पर कब्जा जमा लिया है. नगरीय निकाय चुनावों का रिजल्ट सोमवार को घोषित किया गया.

इन 19 नगर निकायों में से 6 नगर पालिकाएं हैं और 13 सिटी काउंसिल हैं. इन 6 नगर पालिकाओं में से 4 बीजेपी ने और 2 कांग्रेस ने जीती हैं जबकि 13 नगर परिषदों में से बीजेपी ने सात जीती हैं जबकि बाकी की 6 कांग्रेस ने जीती है.

कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के गढ़ राघोगढ़ में जीत दर्ज की है. लेकिन आदिवासी बाहुल्य वाले पीथमपुर में इसकी जीत काफी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह नगर पालिका बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा के गढ़ धार में पड़ता है. ख़ास बात यह भी है कि बीजेपी ने जनजातीय बहुल पीतमपुर को छोड़कर धार, बड़वानी और मनावर में जीत दर्ज की है जहां भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने विजिट किया था.

मध्यप्रदेश के दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले 20 जनवरी को राज्य में होने वाला यह अंतिम चुनाव था.

मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने सोमवार को मिली इस जीत को पीएम मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नीतियों का परिणाम बताया.

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बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, “इन परिणामों से स्पष्ट है कि हम आगे हैं, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि ये स्थानीय निकाय चुनाव हैं, जहां सारा शासन और प्रशासन हमारे हाथों में है, फिर भी कांग्रेस ने आठ निकायों में अच्छा प्रदर्शन किया है.”

उन्होंने आगे कहा, “इससे पता चलता है कि भाजपा को विधानसभा चुनावों में कड़ी मेहनत करने की जरूरत है जहां मतदाताओं की संख्या लाखों में है. विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं इसलिए पार्टी को कड़े मुकाबले का सामना करना पड़ेगा, जो हमारे लिए चिंता का विषय है.”

स्थानीय निकायों के चुनाव में बीजेपी में 16 मेयर के चुनाव में नौ पर सफलता पाई थी पर सात में उसे सीट गंवानी पड़ी थी.

उल्लेखनीय जीत

दिग्विजय के गृह क्षेत्र राघोगढ़ में, कांग्रेस ने 24 में से 16 वार्ड जीते, शेष भाजपा के खाते में गए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री विक्रम वर्मा का गढ़ धार जिला भाजपा के लिए थोड़ा निराशाजनक साबित हुआ क्योंकि कांग्रेस ने 17 वार्डों में जीत दर्ज करते हुए पीथमपुर नगरपालिका पर कब्जा कर लिया. 12 वार्डों में जीती भाजपा के पास पिछली बार 22 पार्षद थे और नगर पालिका पर भी उसका कब्जा था.

विक्रम वर्मा की पत्नी नीना, धार से विधायक हैं, लेकिन पार्टी में गुटबाजी के कारण जिले में भाजपा को नुकसान हुआ है. हालांकि, यह बड़वानी, सेंधवा और मनावर के साथ-साथ कांग्रेस से धार नगरपालिका को जीतने में कामयाब रही.

बड़वानी मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल और भाजपा के राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी का निर्वाचन क्षेत्र है. 24 वार्डों में से बीजेपी ने 14 और बाकी पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. सेंधवा नगरपालिका में, भाजपा ने 19 वार्ड जीते और कांग्रेस ने पांच जीते. मनावर में, भाजपा ने नौ वार्ड जीते जबकि कांग्रेस ने छह वार्ड जीते.

पिछले साल हुए स्थानीय निकाय चुनाव में 16 में से नौ मेयर चुनाव में बीजेपी को सफलता मिली थी. लेकिन कांग्रेस जबलपुर, छिंदवाड़ा, रीवा, मुरैना और ग्वालियर में कुल पांच महत्वपूर्ण मेयर के पदों पर कब्जा करने में कामयाब रही.


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आदिवासी इलाकों पर फोकस

भाजपा धार, बड़वानी और मनावर नगर पालिकाओं, सभी आदिवासी बहुल क्षेत्रों को कांग्रेस से छीनने में कामयाब रही. पार्टी के नेताओं ने यह भी बताया कि इन क्षेत्रों को कवर करने वाली भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को कोई लाभ नहीं हुआ.

भाजपा महासचिव भगवानदास सबनानी ने दिप्रिंट को बताया, “कांग्रेस ने पिछले चुनावों में आदिवासी बहुल सीटों पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था, जिसके कारण 2018 में कमलनाथ की सरकार बनी, लेकिन हमने इन तीन आदिवासी बहुल नगर पालिकाओं को उनसे छीन लिया है. यह आदिवासी समुदाय के लिए किए गए हमारे काम का नतीजा है.”

नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य भाजपा नेता ने कहा: “हमें इतना खुश होने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमने पीथमपुर को खो दिया, वह भी एक आदिवासी बहुल क्षेत्र में. हमारे आदिवासी सांसद सुमेर सिंह सोलंकी अपने वार्ड में पार्टी को जीत नहीं दिला पाए और यह भी चिंता का विषय है.’

आदिवासी सीटों का महत्व

2013 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने आदिवासियों के लिए आरक्षित 47 सीटों में से 37 पर जीत हासिल की थी, जिससे शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. 2018 में, भाजपा की संख्या इन सीटों पर घटकर 16 रह गई, जबकि कांग्रेस ने 31 सीटें जीतीं और कमलनाथ की सरकार बनी.

तब से, भाजपा ने आदिवासी बहुल क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए सभी पड़ावों को पार कर लिया है. 2021 में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 1857 के विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राजा शंकर शाह और उनके पुत्र रघुनाथ शाह के शहादत दिवस के मौके पर जबलपुर में एक कार्यक्रम में भाग लिया. बाद में उसी वर्ष, मोदी ने भोपाल में आदिवासी दिवस के मौके पर 15 नवंबर को एक रैली को संबोधित किया.

पिछले साल, पीएम ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था, जो कि श्योपुर जिले के आदिवासी बहुल इलाके में है. चौहान ने अपनी ओर से आदिवासियों के लिए बिरसा मुंडा स्वरोजगार योजना और आदिवासियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने वाली तांत्या मामा आर्थिक कल्याण योजना शुरू की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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