scorecardresearch
Saturday, 20 April, 2024
होमराजनीतिदिल्ली के नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है केजरीवाल सरकार- अमित शाह

दिल्ली के नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है केजरीवाल सरकार- अमित शाह

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च के आखिरी हफ्ते में दिल्ली में तीन नगर निगमों के विलय के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार पर तीन नगर निगमों- उत्तरी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है.

उन्होंने राज्यसभा में दिल्ली मुंसिपल कॉरपोरेशन (अमेंडमेंट) बिल 2022 पर चर्चा करते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी के सौतेले व्यवहार के कारण दिल्ली में तीनों नगर निगम ठीक से काम नहीं कर रहे हैं

बिल का मकसद दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 में संशोधन करके दिल्ली के तीन नगर निगमों को एक इकाई में विलय करना है. दिल्ली विधानसभा द्वारा 2011 में अधिनियम में संशोधन किया गया था ताकि दिल्ली के नगर निगम को उत्तर, दक्षिण और पूर्व में विभाजित किया जा सके. लोकसभा ने इस बिल को 30 मार्च को पास किया था.

अमित शाह का कहना है कि तीनों नगर निगम एक इकाई में विलय करने की आवश्यकता है ताकि यह सही तरीके से काम कर सके.

उन्होंने आगे कहा कि ‘आप के सौतेले व्यवहार का नतीजा यह हुआ कि नगर निगम के कर्मचारियों में असंतोष है और तीनों इकाइयां एक शहर का हिस्सा होने के बावजूद अलग-अलग तरीकों से काम कर रही हैं.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

तीनों नगर निगम के महत्व पर बात करते हुए शाह ने कहा कि पिछले दस सालों में इनके कर्मचारियों ने 250 से ज्यादा विरोध प्रदर्शन किए हैं.

गृहमंत्री ने तीनों नगर निगमों को एक साथ विलय करने पर जोर देते हुए कहा कि इससे रणनीतिक योजना और संसाधनों के ढंग से उपयोग के लिए एक मजबूत तंत्र सुनिश्चित किया जा सकेगा.

गैरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च के आखिरी हफ्ते में दिल्ली में तीन नगर निगमों के विलय के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी.

इसमें विधेयक में ‘विशेष अधिकारी’ की नियुक्ति का प्रावधान है जो नए निगम की पहली बैठक होने तक अंतरिम में पार्षदों की निर्वाचित शाखा के कार्यों का अनिवार्य रूप से निर्वहन करेगा. विधेयक में एमसीडी के कामकाज को नियंत्रित करने वाले संशोधित अधिनियम में निदेशक, स्थानीय निकायों की धारा को पूरी तरह से हटाने का प्रस्ताव है.


यह भी पढ़ें: ‘घिनौनी व्यवस्था को रोकिए’: उमा भारती ने MP की शराब नीति पर हमले तेज़ किए, CM चौहान पर साधा निशाना


share & View comments