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Tuesday, 3 December, 2024
होमराजनीतिअगर भाजपा सत्ता में लौटी तो झारखंड में NRC होगा लागू, ‘घुसपैठियों’ को निकालेंगे बाहर : बाबूलाल मरांडी

अगर भाजपा सत्ता में लौटी तो झारखंड में NRC होगा लागू, ‘घुसपैठियों’ को निकालेंगे बाहर : बाबूलाल मरांडी

झारखंड में दो चरणों में नवंबर में चुनाव होने हैं. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा अध्यक्ष ने उन दावों को खारिज कर दिया कि वे पार्टी के सीएम पद के उम्मीदवार हैं, उन्होंने कहा कि ये चुनाव ‘झारखंड को बचाने’ के लिए हैं.

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नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्य इकाई के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि राज्य में जनसांख्यिकी परिवर्तन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. उन्होंने वादा किया कि नवंबर में होने वाले झारखंड चुनाव के बाद अगर भाजपा की सरकार सत्ता में आती है तो वह राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) बनाने की प्रक्रिया को लागू करेगी और बाहर से राज्य में प्रवेश करने वालों को वापस भेजेगी.

दिप्रिंट को दिए एक विशेष इंटरव्यू में मरांडी ने कहा कि संथाल परगना में कभी 44 प्रतिशत आबादी वाले आदिवासी अब घटकर 28 प्रतिशत रह गए हैं. उन्होंने पार्टी लाइन पर कहा कि पूरे राज्य में 1951 के बाद से आदिवासी आबादी 36 प्रतिशत से घटकर 26 प्रतिशत रह गई है, जबकि मुसलमानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.

नवंबर में होने वाले राज्य चुनाव के लिए अपने अभियान में भाजपा झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार पर कथित तौर पर बांग्लादेशियों को राज्य में घुसने की अनुमति देने और स्थानीय आदिवासियों से शादी करने और इसके जरिए स्थानीय आदिवासी आबादी और रीति-रिवाज़ों में बदलाव करने की अनुमति देने का आरोप लगा रही है.

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा मतदाताओं के बीच ध्रुवीकरण पैदा करने के लिए “जनसांख्यिकी परिवर्तन” के आरोप लगा रही है, बाबूलाल मरांडी ने कहा, “ऐसा नहीं है. झारखंड की जनसांख्यिकी में खतरनाक स्तर पर बदलाव आया है. राज्य में एनआरसी लागू करके इसमें सुधार करने की ज़रूरत है.”

उन्होंने कहा, “हमारी मांग ध्रुवीकरण की नहीं है. जनसांख्यिकी परिवर्तन से सबसे ज्यादा आदिवासी प्रभावित हुए हैं…वह कहां चले गए? राज्य सरकार ने आदिवासियों के कल्याण और सुरक्षा के लिए कई योजनाएं बनाई हैं. इसके बावजूद आदिवासियों की संख्या में कमी आई है. यह कैसे संभव है? यहां तक ​​कि सनातनी हिंदुओं की संख्या में भी कमी आई है.”

उन्होंने कहा, “अगर किसी की आबादी बढ़ी है तो वह मुसलमानों की है. उनकी संख्या मुख्य रूप से संथाल परगना, जैसे पाकुड़ और दुमका, यानी खासकर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से सटे इलाके में बढ़ी है, जिसकी सीमा बांग्लादेश से लगती है. इसलिए हमारी सरकार उनकी पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने के लिए एनआरसी लाएगी. पहचान ज़रूरी है, वरना आदिवासियों को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता.”

उन्होंने कहा, “जनसांख्यिकी में निरंतर परिवर्तन झारखंड की रोटी, माटी और बेटी पर हमला है.”

‘सोरेन दंपति बंटी और बबली’

राज्य में वापसी के लिए भाजपा द्वारा विधानसभा चुनाव से पहले उठाए जा रहे मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर बाबूलाल मरांडी ने कहा, “भ्रष्टाचार, कुशासन और जनसांख्यिकी परिवर्तन के मुद्दे हेमंत सोरेन की सरकार को हरा देंगे, जो अब राज्य में भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गए हैं.”

पूर्व सीएम ने कहा, “भ्रष्टाचार ने राज्य को हर स्तर पर जकड़ लिया है, यहां तक ​​कि स्थानीय स्तर पर भी, जहां आम आदमी अपनी समस्याएं लेकर पहुंचता है, लोगों को काम करवाने के लिए पैसे खर्च करने पड़ते हैं. बिना रिश्वत के राज्य में कोई काम संभव नहीं है. हेमंत सोरेन की पूरी सरकार पांच साल तक राज्य को लूटने में लगी रही. कोई विकास नहीं हुआ और सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी को हुआ है.”

इंटरव्यू के दौरान मरांडी ने हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को “बंटी” और “बबली” और झारखंड मुक्ति मोर्चा को “मुद्रा मोचन मोर्चा” भी कहा. मरांडी ने कहा, “पांच साल में उन्होंने अपने वादे पूरे नहीं किए और अब चुनाव से पहले महिलाओं के लिए योजनाएं शुरू करके वादे कर रहे हैं. यह फिल्म बंटी और बबली की तरह लोगों को लूटने जैसा है.”

उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने पांच साल तक लोगों के लिए कुछ नहीं किया. चुनाव की तारीख की घोषणा से पहले हेमंत सोरेन ने महिलाओं को 1,000 रुपये देने शुरू कर दिए. जब ​​हमने भाजपा (केंद्र) सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के दौरान राज्य की बहनों और माताओं के लिए 2,100 रुपये देने की घोषणा की, तो राज्य सरकार ने निर्वाचन आयोग को अपनी योजना के तहत मानदेय 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये करने के बारे में लिखा और इसे राज्य कैबिनेट ने पारित कर दिया. मैं पूछना चाहता हूं कि सोरेन लोगों को कितना ठगेंगे. आपने पांच साल में महिलाओं की मदद क्यों नहीं की?”


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‘आदिवासियों के लिए काम करती है भाजपा’

बाबूलाल मरांडी के 2019 के झारखंड चुनाव हारने के बाद भाजपा ने उन्हें राज्य का विपक्ष का नेता बनाने की कोशिश की थी. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें विधानसभा में विपक्ष का नेता नहीं बनने दिया. इसके बाद भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर मरांडी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.

पिछले चुनाव में भाजपा ने आदिवासियों का समर्थन क्यों खो दिया और वह समर्थन वापस पाने के लिए कैसे तैयारी कर रही है, इस पर बाबूलाल मरांडी ने कहा, “लोगों को अब एहसास हो गया है कि झामुमो केवल आदिवासियों के बारे में बात करता है, लेकिन उनके लिए करता कुछ नहीं है. भाजपा आदिवासियों के बारे में बात नहीं करती, लेकिन आदिवासियों के लिए काम करने में विश्वास रखती है. अटल बिहारी वाजपेयी ने झारखंड को राज्य का दर्जा दिया, आदिवासी मंत्रालय बनाया और द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया… झामुमो केवल सत्ता के दलालों के लिए काम करता है और बिचौलिए की तरह काम करता है, ज़मीन, रेत, कोयला और यहां तक ​​कि पत्थर भी बेचता है. उन्होंने सेना की ज़मीन भी बेच दी.”

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त है, मरांडी ने कहा, “पिछले विधानसभा चुनाव में हम उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए थे, लेकिन लोकसभा में बढ़त को देखते हुए पार्टी को इस बार सत्ता मिलने का भरोसा है.”

उन्होंने कहा, “लोकसभा चुनाव में हमें 51 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी. हमारे पार्टी कार्यकर्ता विधानसभा चुनाव में 51 से अधिक सीटें जीतने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.”

‘सीएम नहीं बल्कि झारखंड को बचाने का मामला’

आगामी झारखंड चुनाव में भाजपा की ताकत पर चर्चा करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा, “सबसे बड़ी ताकत संगठनात्मक ताकत है, जिसकी बदौलत पार्टी राज्य के हर बूथ तक पहुंच पाई है, जबकि दूसरी पार्टियां इससे अलग हैं. प्रधानमंत्री मोदी की ‘गरीब कल्याण’ योजना दूसरी सबसे बड़ी ताकत है, जिसका ज़मीनी स्तर पर असर देखने को मिल रहा है. भाजपा सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाकर कहानी को बदलने की कोशिश कर रही है.”

मरांडी ने सीएम का चेहरा होने के सवालों को भी खारिज करते हुए कहा, “यह चुनाव मुख्यमंत्री चुनने का नहीं, बल्कि झारखंड को बचाने का है.”

उन्होंने कहा, “आज झारखंड में अपराध चरम पर है. घुसपैठ ने पूरी जनसांख्यिकी बदल दी है और भ्रष्टाचार चरम पर है. अगर राज्य में यही चलता रहा तो कुछ नहीं बचेगा. अगर हम झारखंड को बचा लेंगे तो बाकी चीज़ें भी अपने आप हो जाएंगी. इसलिए यह चुनाव मुख्यमंत्री के बारे में नहीं है. भाजपा बहुमत मिलने के बाद मुख्यमंत्री का चयन करेगी, लेकिन यह चुनाव झारखंड को उन लोगों से बचाने के लिए है, जिन्होंने झारखंड को ठगा है और लोगों को लूटा है. यह चुनाव तय करेगा कि झारखंड विकसित राज्यों में से एक बन सकता है या नहीं.”

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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