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Thursday, 18 April, 2024
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तार से घसीटा, सिर कुचला गया- ममता के बंगाल में चुनाव के बाद की खूनी कहानियां

बीजेपी का दावा है कि बंगाल में मारे गए 17 में से 12 लोग उसके कार्यकर्ता थे. राज्य में हिंसा का एक पैटर्न है, जिसमें राजनीतिक विचारधारा लगभग हमेशा ही पड़ोसी को पड़ोसी के मुकाबले खड़ा कर देती है.

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रैना, जमालपुर, गालसी: कोलकाता में हिंसा 2 मई को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के नतीजे आते ही शुरू हो गई थी.

35 वर्षीय बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार, जो नॉर्थ कोलकाता में मूर्तियां बनाने का काम करते थे, इसका शिकार होने वाले सबसे पहले लोगों में से थे.

उनके बड़े भाई बिस्वजीत सरकार ने दिप्रिंट को बताया कि देर रात 30- 35 लोग, जिनमें महिलाएं भी थीं, अभिजीत को उसके घर से खींचकर ले गए. वो उसे कुत्तों के आश्रय और पशु चिकित्सा इकाई के बाहर से खींचते हुए ले गए, जिसे वो सड़क से उठाए गए बीमार कुत्तों के लिए चला रहा था.

बिस्वजीत ने कहा, ‘हमलावरों ने केबल के तार से उसके गले में फंदा बनाकर डाला और इस गली से खींचते हुए ले गए (उसके घर के सामने से), उसके तीन पालतू कुत्ते उसके साथ गए’. उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे भाई और उसके कुत्तों को पीट-पीटकर मार डाला गया. उन्होंने मुझपर भी हमला किया लेकिन उनका मुख्य निशाना अभिषेक था क्योंकि वो बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर जाना जाता था’.

बिस्वजीत ने सिसकते हुए कहा कि सब हमलावर पड़ोसी ही थे और ‘कुछ बाहर के लोग थे’. उन्होंने ये भी बताया कि उनके ‘भाई का शव अभी भी मुर्दाघर में है’. कोलकाता पुलिस ने दिप्रिंट को बताया कि बिस्वजीत जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

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उसी रात, कोलकाता से 120 किलोमीटर दूर, बर्धमान ज़िले के समसपुर गांव में पुराने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) कार्यकर्ता गणेश मलिक, गांव में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और बीजेपी के बीच, जो सब पड़ोसी ही थे, सुलह सफाई की कोशिश कर रहे थे.

उनकी पत्नी चंपा मलिक ने दिप्रिंट को बताया कि मलिक अपने बेटों के लिए डरते थे, जो वहां मौजूद थे लेकिन वो ऐसे झगड़ों के नतीजों से भी बखूबी वाकिफ थे. 60 वर्षीय मलिक खुद भी राजनीतिक हिंसा का शिकार हो चुके थे और 2007 में वाम मोर्चे के शासन के दौरान उन्होंने तीन महीने अस्पताल की इंटेंसिव केयर यूनिट में गुज़ारे थे.

टीएमसी कार्यकर्ता रात करीब 8.30 बजे घर से निकले थे. दो घंटे के बाद चंपा और उनके पति के भाई अशोक मलिक को उनका खून में नहाया हुआ शव, कथित रूप से बीजेपी नेता स्वरूप मलिक के घर के बाहर पड़ा हुआ मिला- उनके शरीर को काट डाला गया था और सिर कुचल दिया गया था.

Ganesh Malik’s wife Champa Malik and brother Ashok Malik | Photo: Madhuparna Das/ThePrint
गणेश मलिक की पत्नी चंपा मलिक और उनके भाई अशोक मलिक | फोटो: मधुपर्णा दास/दिप्रिंट

ये दो लोग, उन 17 राजनीतिक कार्यकर्ताओं में थे, जो चुनाव बाद की उस हिंसा में मार डाले गए, जिसने 2 मई को चुनावी नतीजे आने के बाद पश्चिम बंगाल को हिला दिया है.

हिंसा का ज़्यादा असर बीजेपी पर हुआ है और पार्टी का दावा है कि मरने वालों में 12 लोग उसकी पार्टी के कार्यकर्ता थे. सत्तारूढ़ ने भी अपने चार लोग गंवा दिए हैं जबकि इंडियन सेक्युलर फ्रंट ने कहा है कि उसका भी एक कार्यकर्ता मारा गया है.

पश्चिम बंगाल के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हिंसा में अब कमी आ गई है. अधिकारी ने कहा, ‘हम हर ज़िले में काम कर रहे हैं और चौकसी बनाए हुए हैं’. उन्होंने आगे कहा, ‘अभी तक 17 मौतों की पुष्टि की जा चुकी है, दो या तीन मौतों की और खबर थी लेकिन वो राजनीतिक हत्याएं नहीं थीं’.

एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने कहा कि अब वो इन मामलों में गिरफ्तारियां कर रहे हैं. उन्होंने बताया, ‘छापे मारे जा रहे हैं. हम पहले ही 19 लोगों को गिरफ्तार कर चुके हैं. जल्द ही और भी पकड़े जाएंगे’.

दिप्रिंट ने कोलकाता के अलावा, चार और विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया- गालसी, रैना, जमालपुर और सोनारपुर दक्षिण- जहां आठ पीड़ित रहते थे और पाया कि उन सबकी मौत के पीछे एक ही अंदाज़ था- जीत के जलूस, ताने, पत्थरबाज़ी, पलटवार और पड़ोसियों के बीच बदले की कार्रवाई, जिसके नतीजे में हत्याएं हुईं.

एक बड़ा कारण और भी था- पुलिस की गैर-मौजूदगी. जमालपुर और रैना पुलिस थानों में स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने इस बात को माना कि वो हिंसाग्रस्त इलाकों में नहीं पहुंचे थे.


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भाजपा बनी निशाना

बीजेपी जो मुख्यमंत्री को चुनौती देने वालों में सबसे प्रमुख थी, हिंसा का सबसे ज़्यादा शिकार हुई है.

मरने वाले 12 लोगों के अलावा, इसके बहुत से कैडर बुरी तरह घायल हैं और बहुत से लोग छिपे हुए हैं, जिन्हें अपने घरों या गांवों को छोड़कर निकलना पड़ा है.

मरने वालों में एक 45 वर्षीय बीजेपी कार्यकर्ता हरन अधिकारी भी थे, जिन्हें उनके 70 वर्षीय पिता नकुल अधिकारी और 14 वर्षीय बेटे दीप अधिकारी की आंखों के सामने काट डाला गया.

Haran Adhikari’s 70-year-old father Nakul Adhikari and 14-year-old son Deep Adhikari | Photo: Madhuparna Das/ThePrint
हरन अधिकारी के 70 वर्षीय पिता नकुल अधिकारी और हरन का 14 वर्षीय बेटा दीप अधिकारी | फोटो: मधुपर्णा दास/दिप्रिंट

हरन के भाई शंकर अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें उनके घर से बस 50 मीटर की दूरी पर मार डाला गया, जो साउथ 24 परगना ज़िले के सोनारपुर गांव में है.

शंकर ने कहा, ‘उन्होंने मेरे भाई की गरदन, घुटने और नाक तोड़ दीं. उनका चेहरा मुश्किल से पहचाना जा रहा था’. शंकर ने आगे कहा, ‘हमारा एक भाई अब आईसीयू में है’.

उनके पिता नकुल अधिकारी ने बताया हमलावर उनके पड़ोसी ही थे. उन्होंने ये भी कहा, ‘उन्होंने मेरे बेटे को पहले भी धमकाया था क्योंकि वो जय श्री राम का नारा लगाया करता था. वो सब भाग गए हैं’.

बीजेपी का दावा है कि उनके बहुत से कार्यकर्ता कथित रूप से उत्तरी बंगाल के ज़िलों तथा जंगलमहल क्षेत्र में और कुछ मालदा में मारे गए.

जहां एक ओर पार्टी हिंसा का शिकार रही है, वहीं इसके कैडर पर भी हत्याएं करने और फिर डरकर अपने घरों से भागने के आरोप लग रहे हैं.


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हिंसा की विवेचना

बंगाल हिंसा का एक पैटर्न है. गांवों में पड़ोसी ही पड़ोसी को मार डालता है, जिसके पीछे राजनीतिक विचारधारा के मतभेद या कोई पुरानी रंजिश होती है, जो खूनी रूप ले लेती है.

पूर्वी बर्धमान ज़िले में भी यही देखा गया, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल ने सभी 16 सीटें जीत ली हैं.

हिंसा की चिंगारी 2 मई की दोपहर के शुरू में ही भड़क उठी थी, जब टीएमसी ने तेज़ी से बढ़त बना ली थी.

रैना के हिजोलना गांव में, जो कभी वाम दलों का गढ़ हुआ करता था, टीएमसी कैडर जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आया, चूंकि उन्हें भारी जीत नज़र आ रही थी. उनमें से कुछ लोगों ने बीजेपी कार्यकर्ताओं के घरों के सामने डांस भी किया.

55 वर्षीय तृणमूल कार्यकर्त्ता भोलानाथ सांत्रा ने आरोप लगाया, ‘जश्न के बाद हम घर वापस आ गए. एक घंटे बाद, 10-15 लोगों के एक समूह ने, जो सीपीएम छोड़कर बीजेपी में गए थे, धारदार हथियारों के साथ हमारे घर पर चढ़ाई कर दी, और हमारी बुरी तरह पिटाई की’. उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे तीन बेटे, उनकी पत्नियां, मेरे भाई और मैं बुरी तरह घायल हुए. मेरा बड़ा बेटा तो आईसीयू में है’.

भोलानाथ ने कहा कि हमलावरों का ताल्लुक सीपीआई(एम) नेताओं के उसी परिवार से है, जिन्होंने 15 साल पहले उनकी बांई टांग और दाहिना हाथ काट दिया था. टीएमसी कार्यकर्ता अब नकली टांग के सहारे चलते हैं और ताज़ा हिंसा के बाद उनके सर पर कम से कम 14 टांके आए हैं.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘वो परिवार अब बीजेपी में शामिल हो गया है’. दिप्रिंट ने कथित हमलावरों के घरों का दौरा किया, लेकिन वहां कोई नहीं था.

हमले ने ऐसी घटनाओं का सिलसिला शुरू कर दिया जिसका नतीजा कई हत्याओं की सूरत में सामने आया.

Bholanath Santra (right) at Hijolna village. Seven of his family members were allegedly attacked. He also lost his left leg and right hand to allegedly CPI(M) atrocities | Photo: Madhuparna Das/ThePrint
हिलोजना गांव में भोलानाथ सांत्रा (दाएं). उनके परिवार के कथित तौर पर सात लोगों पर हमला किया गया. सीपीआई(एम) के अत्याचारों के कारण उन्होंने अपना बायां पैर और दायां हाथ पहले ही गंवा दिया है | फोटो: मधुपर्णा दास/दिप्रिंट

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हत्याओं का सिलसिला

भोलानाथ सांत्रा और उनके परिवार पर हुए हमले के बाद समसपुर गांव के टीएमसी कार्यकर्ताओं ने, जो हिजोलना से कोई 15 किलोमीटर दूर है, स्थानीय बीजेपी नेताओं की तलाश शुरू कर दी.

शाम होते-होते कथित रूप से बीजेपी नेता स्वरूप मलिक के घर के बाहर हिंसा भड़क उठी थी.

यही वो जगह थी, जहां गणेश मलिक को मार डाला गया था.

अगले दिन 3 मई को मलिक की हत्या की खबर फैलते ही, वो सब गांववासी जो बीजेपी कार्यकर्ता के तौर पर पहचाने जाते थे, अपने घर छोड़कर निकल गए.

वहां कोई बीजेपी कार्यकर्ता न मिलने पर टीएमसी कैडर कथित रूप से जमालपुर के नबग्राम की ओर बढ़ गए.

सुबह करीब 11 बजे कम से कम 20 तृणमूल कार्यकर्ता धारदार हथियारों के साथ कथित रूप से आशीष खेत्रपाल के घर में घुस गए, जो बीजेपी के शक्ति केंद्र (जिसे पांच बूथों को मिलाकर बनाया गया था) के प्रमुख थे.

एक स्थानीय व्यक्ति सुमंता पागड़े ने बताया कि जब आशीष को पीटा जा रहा था, तो उनकी मां काकुली खेत्रपाल ने हमलावरों को रोकने की कोशिश की लेकिन कथित रूप से उन्हें भी मार डाला गया.

बृहस्पतिवार को जब दिप्रिंट गांव पहुंचा, तो वहां पर सिर्फ सुमंता मौजूद थे.

उन्होंने कहा, ‘इसे बीजेपी का गांव कहा जाता है. मैं यहां कुछ सामान लेने आया हूं और शाम से पहले निकल जाऊंगा’. पुलिस की एक टीम गांव में तैनात कर दी गई है.’

वहां पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि काकोली का बेटा, पति और देवर जो घायल हुआ था, अब यहां से गायब हैं. उनकी झोंपड़ी में अभी भी हिंसा के निशान मौजूद हैं.

BJP worker Kakoli Kshetrapal’s now abandoned home | Madhuparna Das/ThePrint
भाजपा कार्यकर्ता काकोली क्षेत्रपाल का घर | फोटो: मधुपर्णा दास/दिप्रिंट

बीजेपी के बर्धमान ज़िला महाचसिव सुनील गुप्ता ने बताया, ‘काकुली दी का शव तीन दिन से मुर्दाघर में रखा है. अंतिम क्रिया के लिए कोई उसे लेने नहीं आया है’.

तृणमूल के जमालपुर ब्लॉक अध्यक्ष महबूब खान ने दिप्रिंट को बताया कि बदले की कार्रवाई में बीजेपी के लोगों ने उनके तीन कार्यकर्ताओं को मार डाला.

उन्होंने आरोप लगाया, ‘काकुली की मौत के बमुश्किल दो घंटे के अंदर तीन तृणमूल कार्यकर्ताओं –बिभास बाग, शाहजहां शाह और श्रीनिवास घोष को बीजेपी के हथियारबंद लोगों ने उसी गांव में मार डाला’.

4 मार्च को टीएमसी कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर बदला चुकाते हुए पास के श्रीपुर गांव में 20 वर्षीय बालाराम मांझी की पीट-पीटकर हत्या कर दी. बालाराम बीजेपी युवा मोर्चा का सदस्य था जबकि उसके पिता मृत्युंजय माझी एक सक्रिय बीजेपी वर्कर हैं.

उन्होंने कथित रूप से गालसी में बीजेपी ज़िला संयुक्त सचिव जॉयदीप चटर्जी के घर में घुसकर तोड़फोड़ की और उनकी पत्नी और बेटे पर हमला किया. चटर्जी ने किसी अज्ञात जगह से दिप्रिंट को फोन पर बताया, ‘पुलिस अधिकारियों ने मुझे घर छोड़ देने के लिए कहा था, मैं छिपा हुआ हूं’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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