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Friday, 19 April, 2024
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प्रवेश से रोकने पर 8 सांसदों ने लक्षद्वीप प्रशासक के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन का नोटिस दिया

सांसदों का शिष्टमंडल द्वीप पर जाना चाहता था ताकि जनवरी 2021 के बाद से प्रशासक प्रफुल पटेल द्वारा सुझाए गए बहुत से विवादास्पद नियमों के बारे में तथ्यों की जांच कर सके.

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नई दिल्ली: लक्षद्वीप में दाखिल होने की अनुमति न दिए जाने के बाद आठ सांसदों ने शुक्रवार शाम द्वीप के प्रशासक प्रफुल खोड़ा पटेल के खिलाफ विशेषाधिकार उल्लंघन नोटिस जारी किया है. पटेल पर जन प्रतिनिधियों के प्रति ‘निरादर’ दिखाने और उन्हें द्वीप पर जाने से ‘जान-बूझकर रोकने’ का आरोप लगाया है, जो भारत का हिस्सा है.

सांसदों का शिष्टमंडल, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), केरल कांग्रेस (एम) और केरल में सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट के सहयोगी, लोकतांत्रिक जनता दल के सांसद शामिल हैं, द्वीप का दौरा करना चाहता था, ताकि जनवरी के बाद से प्रफुल द्वारा सुझाए गए बहुत से विवादास्पद नियमों के बारे में तथ्यों की जांच कर सके और लोगों पर उनके असर को देख सके.

अपने निष्कर्षों के आधार पर सांसदों ने ज़मीनी स्थिति के बारे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक रिपोर्ट पेश की होती.

लक्षद्वीप में इन विवादास्पद नीतियों के खिलाफ स्थानीय निवासियों तथा इलाके के राजनेताओं की ओर से, जिसमें पड़ोसी राज्य केरल भी शामिल है, भारी हंगामा देखने को मिल रहा है.

मसौदा नीतियों में शामिल हैं- लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण अधिनियम, जिसमें प्रशासक को अधिकार दिया गया है कि नगर नियोजन या किसी अन्य विकास कार्य के लिए द्वीपवासियों को उनकी संपत्ति से हटाया या विस्थापित किया जा सकता है, जनवरी 2021 में लाया गया आसामाजिक गतिविधि रोकथाम अधिनियम, जिसके तहत सार्वजनिक रूप से कारण बताए बिना, किसी भी व्यक्ति को एक साल तक हिरासत में रखा जा सकता है, पशु संरक्षण कानून जिसमें गौहत्या की मनाही है, और पंचायत कानून जिसके तहत दो से ज़्यादा बच्चे रखने वाला व्यक्ति ग्राम पंचायत का सदस्य नहीं चुना जा सकता.

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6 सांसदों ने राज्य सभा में नोटिस दिया, 2 ने लोकसभा में

आठ में से छह सांसदों- इलामारम करीम, बिनॉय विश्वम, एमवी श्रेयस कुमार, वी शिवदासन के सोमप्रसाद और जॉन ब्रिटास ने, जो सभी राज्य सभा सदस्य हैं, प्रक्रिया एवं कार्य-संचालन नियमों के रूल 187 के तहत, उच्च सदन के सेक्रेटरी जनरल को नोटिस जारी किया है.

इस बीच, सीपीआई(एम) के एएम आरिफ और केरल कांग्रेस (एम) के टॉमस चेज़िकादन ने अपने नोटिस, लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य-संचालन नियमों के रूल 222 के तहत लोकसभा के सेक्रेटरी जनरल को दिए हैं.

करीम ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमने प्रशासन से कहा था कि हम सभी कोविड प्रोटोकोल्स का पालन करेंगे, जिसमें निगेटिव आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पेश करने और द्वीप में पहुंचने पर सात दिन के अनिवार्य क्वारेंटीन की बात शामिल थी. लेकिन हमारे पहले आवेदन को कोविड प्रतिबंधों का हवाला देते हुए ख़ारिज कर दिया गया, और प्रशासन ने हमारे दूसरे पत्र का कोई जवाब नहीं दिया’.

सीपीआई(एम) सांसद ने कहा कि सांसदों को देश के किसी हिस्से में जाने न देना, संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन है.

‘ये असंवैधानिक है. कोविड महामारी के दौरान, सितंबर 2020 और इस साल जनवरी में, संसद के दो सत्र बुलाए गए थे. उनमें एकमात्र ज़रूरत ये थी कि सत्र में शिरकत करने वाले हर व्यक्ति को, जिसमें पीएम, उपराष्ट्रपति और सांसद शामिल थे, अपनी जांच करानी होगी. हम भी अपनी जांच कराने को तैयार थे लेकिन फिर भी हमें अनुमति नहीं दी गई.’

लेकिन, लक्षद्वीप कलेक्टर एस असकर अली ने कहा कि फिलहाल कोविड स्थिति की वजह से बाहर से किसी को भी द्वीप पर आने की इजाज़त नहीं दी जा रही है.

अली ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोविड स्थिति में सुधार होने पर, हम इसकी समीक्षा करेंगे’.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी ने, जो लक्षद्वीप के प्रभारी हैं, दिप्रिंट से कहा, ‘विशेषाधिकार उल्लंघन का नोटिस देना, सांसदों का अधिकार है. ये संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन प्रशासन का रुख़ बिल्कुल सीधा है- कोविड को लेकर कड़ी पाबंदियां लगी हुई हैं. अभी बाहर के किसी व्यक्ति को द्वीप में आने की अनुमति देना व्यवहारिक नहीं है’.

लेकिन, एनसीपी सांसद मोहम्मद फैज़ल ने कहा कि सांसदों का संवैधानिक अधिकार है कि किसी भी विवादास्पद मुद्दे या नीतियों से पैदा होने वाली ज़मीनी स्थिति का अध्ययन करने के लिए, वो देश के किसी भी हिस्से का दौरा कर सकते हैं.

फैज़ल ने कहा, ‘आप सांसदों को द्वीप पर जाने की इजाज़त से कैसे इनकार कर सकते हैं? खासकर, जब वो कह रहे हैं कि वो तमाम कोविड प्रोटोकोल्स का पालन करेंगे’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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