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Friday, 19 April, 2024
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‘कांग्रेस मुक्त’ भारत नहीं होगाः इस एक लक्ष्य के साथ आज से कांग्रेस का ‘चिंतन शिविर’ शुरू

उदयपुर में चलने वाली इस 3 दिवसीय बैठक में 450 से ज्यादा पदाधिकारी भाग ले रहे हैं. 2013 के बाद, पार्टी का यह पहला विचार मंथन सत्र है. इस दौरान पार्टी के संगठन में बदलाव और मुख्य रूप से 2024 में भाजपा की ध्रुवीकरण की राजनीति का मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने पर ध्यान दिया जाएगा.

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उदयपुर : कई राज्यों में चुनावी हार के बाद कमजोर हो चुकी कांग्रेस पार्टी का तीन दिवसीय ‘नव संकल्प चिंतन शिविर’ शुक्रवार से शुरू हो रहा है. लगभग एक दशक में पहली बार आयोजित इस शिविर से कांग्रेस को उम्मीद है कि वह खुद को राजनीतिक गर्त से बाहर निकालने में कामयाब रहेगी. इसके लिए शिविर में न केवल विचार-मंथन किया जाएगा बल्कि एक कारगर रणनीति भी तैयार की जाएगी.

उदयपुर में आयोजित किए जा रहे इस शिविर में पार्टी के 450 से ज्यादा पदाधिकारी शामिल हैं. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज सुबह ट्रेन से उदयपुर पहुंचे रहे हैं.

लगातार चुनावी हार के बाद खुद को पुनर्गठित और पुनर्जीवित करने की कोशिशों में लगी पार्टी के लिए यह बैठक एक महत्वपूर्ण समय पर हो रही है. हाल ही में मार्च में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित किए गए थे, जिसमें कांग्रेस की हालत चिंताजनक नजर आई.

कांग्रेस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि तीन दिवसीय बैठक में पार्टी के भीतर जरूरी बदलाव करने, 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए खुद को तैयार करने और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से कारगर ढंग से मुकाबला करने के लिए रणनीति बनाने पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा.

कांग्रेसियों ने गुरुवार सुबह से ही राजस्थान के इस सुरमय शहर में धीरे-धीरे पहुंचना शुरू कर दिया था. कम से कम 80 वरिष्ठ नेता ट्रेन से दिल्ली से उदयपुर तक की यात्रा में गांधी के साथ बने रहे. इनमें छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव मनिकम टैगोर, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह अलवर, पूर्व सांसद अजय कुमार और दिल्ली के पूर्व विधायक अनिल चौधरी शामिल हैं.

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ये सभी गुरुवार शाम 7.35 बजे दिल्ली के सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशन से चेतक एक्सप्रेस में सवार होकर शुक्रवार सुबह करीब 8 बजे उदयपुर पहुंच जाएंगे. कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पार्टी के लिए कम से कम एक कोच को बुक किया गया था.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को उदयपुर में पत्रकारों से बातचीत की | सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

पार्टी के इतिहास में यह अब तक का चौथा चिंतन शिविर है. इस तरह का चिंतन शिविर आखिरी बार 2013 में जयपुर में आयोजित किया गया था. इससे पहले के दो शिविर 1998 और 2003 में शिमला में आयोजित किए गए थे.


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शिविर की जरूरत क्यों

शिविर के आगाज से पहले प्रेस वार्ता में कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने नवसंकल्प के पीछे छह-सात वजह गिनाईं.

सुरजेवाला ने कहा, देश में आर्थिक असमानता, अर्थव्यवस्था में तेजी से गिरावट, कीमतों का बढ़ना, महंगाई, बेरोजगारी, किसानों के अधिकारों को कम करना, संस्थानों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी / एसटी) का प्रतिनिधित्व और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दे इसका कारण हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम जानते हैं कि देश हमसे अपनी संगठनात्मक निपुणता, क्षमता, योग्यता की समीक्षा करने और मौजूदा स्थिति और चुनौतियों के लिए खुद को ढालने की उम्मीद करता है.’

राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा, ‘संविधान की धज्जियां उड़ाईं जा रही हैं. देश में हिंसा का माहौल है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, इन सभी ने देश के लिए अपनी जान दे दी. अफसोस होता है जब सरकार पूछती है कि कांग्रेस ने 70 साल में क्या किया? कांग्रेस मुक्त भारत नहीं होगा. बल्कि ऐसी बात करने वालों से देश कभी न कभी खुद मुक्त हो जाएगा.’

पुनर्गठित संगठन और गठबंधन पर चर्चा

आयोजन से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिविर में चर्चा के लिए प्रस्ताव और एजेंडा तैयार करने के लिए छह समन्वय पैनल बनाए. ये पैनल हैं – राजनीतिक, संगठन, अर्थव्यवस्था, किसान और कृषि, सामाजिक न्याय और युवा सशक्तिकरण.

कांग्रेस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि सोमवार को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में इन पैनल द्वारा प्रस्तुत प्रस्तावों के आधार पर सबसे अहम चर्चा संगठन में आरक्षण, निर्वाचित पदों के तौर-तरीकों और आने वाले दिनों में राजनीतिक तौर पर पार्टी की गठबंधन रणनीतियों पर होगी.

गठबंधन पर चर्चा के बारे में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी ‘कांग्रेस की कीमत पर कोई गठबंधन नहीं करेगी’

नेता ने बताया, ‘राहुलजी पहले ही साफ कर चुके हैं कि टीआरएस (तेलंगाना राष्ट्र समिति) के साथ गठबंधन नहीं होगा. आम आदमी पार्टी को लेकर भी पार्टी ज्यादा उत्सुक नहीं है. बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे अन्य राज्यों में हमें ऐसा फैसला करना होगा जिससे इन राज्यों में कांग्रेस के संगठन को नुकसान न पहुंचे.’

एक अन्य नेता ने कहा कि संगठन के पदों पर 50 साल से कम उम्र के नेताओं के लिए आरक्षण और टिकट वितरण पर चर्चा होने की संभावना है.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था, पार्टी के संसदीय बोर्ड को बहाल करने और चुनावों के लिए एक परिवार-एक-टिकट नीति पर भी चर्चा होने की उम्मीद है.

संगठन के भीतर और टिकट वितरण के दौरान अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर भी निर्णय लिया जा सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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