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Saturday, 20 April, 2024
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अपनी पार्टी में अंतर्कलह को भूल भूपेश बघेल सरकार को नाकामियां गिनाएगी भाजपा: विष्णु देव साय

छ्त्तीसगढ़ के नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय का कहना है कि उनके सामने प्रदेश में आने वाले चुनाव में एक बड़ी चुनौती संगठन के सभी धड़ों को साथ लेकर चलना है लेकिन वो इसमें कामयाब रहेंगे.

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रायपुर: पिछले डेढ़ वर्षों में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार कई मोर्चों पर विफल रही है लेकिन भाजपा उसका फायदा नही उठा पाई. यह कहना है छ्त्तीसगढ़ के नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय का.

दिप्रिंट से बातचीत करते हुए छत्तीसगढ के नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णे देव साय ने कहा, ‘बघेल सरकार की असफलताओं को भारतीय जनता पार्टी जनता तक नहीं पहुंचा पाई लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.’

‘लॉकडाउन के बाद पार्टी को जनता के बीच जाकर राज्य सरकार के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाना पड़ेगा जिससे कांग्रेस सरकार की असफलताओं को जनता तक पहुंचाया जा सके.’

साई कहते हैं, ‘भूपेश बघेल सरकार अपनी पार्टी के एक भी लोक लुभावन वादे को पूरा नहीं कर पाई है. डेढ़ साल से ज्यादा हो गया है लेकिन सरकार अपना वादा पूरा करने में असफल रही है. चाहे वह शराबबंदी हो, किसानों की कर्ज माफी, धान खरीद का उचित दाम या फिर युवाओं को बेरिजगरी भत्ता, बघेल सरकार पूरी तरह से विफल रही है. कोरोना लॉकडाउन के बाद भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर आएंगे और एक बड़ा संघर्ष भरा आंदोलन छेड़ा जाएगा.’

छ्त्तीसगढ़ के नवनियुक्त भाजपा अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णु देव साय का कहना है, ‘उनके सामने प्रदेश में आने वाले चुनाव में एक बड़ी चुनौती संगठन के सभी धड़ों को साथ लेकर चलना है.’ ‘और वो इसमें कामयाब रहेंगे.’ उन्होंने कहा.

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साय का मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी तीसरी पारी नेता से ज्यादा कार्यकर्ता कामयाब बनाएंगे.

विष्णु देव साय को छ्त्तीसगढ़ भाजपा की कमान तीसरी बार मिली है. इससे पहले 2006 से 2010 और 2014 में करीब आठ महीनों के लिए उन्हें दो बार अध्यक्ष बनाया गया था. उनके प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा ने 2008 में छ्त्तीसगढ़ विधानसभा और 2009 का लोकसभा चुनाव जीता था.

दिप्रिंट से बात करते हुए साय ने कहा, वो अपनी नई कार्यकारिणी भी जल्द ही बना लेना चाहते हैं जिससे आने वाले दिनों में संगठन को बघेल सरकार के खिलाफ संघर्ष छेड़ने में मज़बूती के साथ खड़ा किया जा सके.’

साय ने माना कि 2018 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का ग्राफ जरूर बढ़ा लेकिन यह भी पंचायत और नगरीय निकायों के चुनावों में धुल गया. साय का मानना है कि स्थानीय निकाय चुनावों में उनकी पार्टी का परफॉर्मेंस बहुत कमजोर नहीं था लेकिन मैनेजमेंट और जनता के बीच सरकार के खिलाफ संघर्ष में कमी रही.


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संगठन में गुटबाजी एक चुनौती

इस सवाल पर कि पार्टी में व्याप्त गुटबाजी को वे कैसे रोकेंगे तो उन्होंने सीधे तौर पर यह मानने से परहेज किया कि संगठन में गुटबाजी है लेकिन साथ ही यह भी कहा, ‘नेता से ज्यादा बड़ा कार्यकर्ता होता है जिसके सहारे पार्टी चलती है.’

साय कहते हैं, ‘सभी बड़े नेताओं के मार्गदर्शन में पार्टी चलाएंगे. चाहे वे डॉक्टर रमन सिंह हों या फिर ब्रिजमोहन अग्रवाल या सरोज पाण्डेय या फिर रामविचार नेताम.

‘ये सभी नेता मेरे वरिष्ठ हैं, मैं सभी के साथ मिलकर काम करूंगा. पहले भी किया है और आगे भी करूंगा. मुझे पता है सभी मेरे वरिष्ठ मुझे सहयोग करेंगे.’

साय ने सीधे तौर पर नहीं कहा कि लेकिन इशारों में यह माना कि पार्टी के अंदर गुटबाजी है. उन्होंने कहा, ‘पार्टी में एक ही गुट है कमल गुट. परिवार में तो सब होता ही रहता है लेकिन पार्टी का कार्यकर्ता एकजुट हैं जिसके सहारे हम आगे बढ़ेंगे. दूसरी समस्याएं भी दूर कर ली जाएंगी.’

जल्द बनाना चाहते हैं अपनी कार्यकारणी

प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष अपनी कार्यकारिणी जल्द गठन कर भूपेश बघेल सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना चाहती है.  लेकिन पार्टी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘साय के ऐसा कहने के पीछे संगठन पर पूरी कमांड हासिल करने की मंशा है. वे अपने समर्थकों को संगठन के अहम पदों पर नियुक्त करना चाहते हैं.’

साय ने कहा, ‘कार्यकारिणी का गठन जितनी जल्द हो जाए उतना ही ठीक है. हालांकि इसका कोई समय निर्धारित नहीं किया जा सकता. संगठन के पदों पर नियुक्ति के लिए चयन सभी बड़े नेताओं की राय, क्षेत्रीय और जातीय आधार को भी ध्यान में रखकर किया जाएगा. इसके अलावा कई जिला अध्यक्षों की नियुक्ति करना है और इसे भी जल्द कर लिया जाएगा.


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सौदान सिंह की अहमियत बनी रहेगी

पूर्व में प्रदेश प्रभारी रहे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सौदान सिंह का मध्य प्रदेश प्रदेश और छ्त्तीसगढ़ की राजनीति में अच्छा खासा दखल रहा है. प्रदेश के पार्टी नेताओं का कहना है की पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के 15 साल के शासन में सौदान सिंह की पूरी तूती बोलती थी. जब किसी नेता या नौकरशाह को भी अपना विशेष काम कराना होता था तो सौदान सिंह का दरबार एक सशक्त माध्यम होता था.

सौदान सिंह की छ्त्तीसगढ़ भाजपा में धाक बरकरार रहने की पुष्टि स्वयं साय करते हुए कहते हैं, ‘वे हमारे मार्गदर्शक हैं, उनकी राय शुमारी तो हमेशा रहेगी. सौदान सिंह हमारे बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं और उनका सहयोग प्रदेश के सभी अध्यक्षों के लिए जरूरी है. मुझे पूरा यकीन है कि सौदान सिंह और प्रदेश के प्रभारी अनिल मित्तल का जिस प्रकार से पूर्व में सहयोग मिलता रहा वैसे ही आगे भी मिलता रहेगा.’

प्रदेश के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि विष्णु देव साय के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वो पार्टी के सभी गुटों को एक साथ लाने का प्रयास करेंगे लेकिन सफलता की कोई गारंटी नहीं होगी.

वरिष्ठ पत्रकार और प्रदेश की राजनीति में अच्छी पकड़ रखने वाले उचित शर्मा का कहना है, ‘भाजपा को यदि भूपेश बघेल सरकार का मजबूती से सामना करना है तो साय को एकजुटता के लिए पहल करना ही पड़ेगा. पिछले डेढ़ साल में भाजपा एक सशक्त विपक्ष के रूप में भी उभर नहीं पाई है. भजपा अपनी गुटबाजी के चलते कांग्रेस सरकार की नाकामियां भी जनता तक नहीं ले जा सकी है. विधानसभा चुनाव 2018 के बाद सत्ता से बेदखल हो जाने के बाद भाजपा कई धड़ों में बंटी हुई है.’

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