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Tuesday, 23 April, 2024
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चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में BJP को मिली सफलता, एक वोट अमान्य घोषित होने पर AAP ने लगाया धांधली का आरोप

भाजपा की सरबजीत कौर बनी चंडीगढ़ की मेयर, ‘टिक मार्क’ के कारण आप का एक वोट अमान्य पाया गया, आप के एक पार्षद पर सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव के लिए भाजपा के पक्ष में क्रॉस वोटिंग करने का संदेह है.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 दिसंबर को घोषित निगम चुनावों में निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी (आप) की तुलना में कम सीटें जीतने के बावजूद शनिवार को चंडीगढ़ नगर निगम में तीनों शीर्ष पदों—मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर—पर कब्जा जमा लिया.

मेयर के चुनाव, जिसके लिए निर्वाचित पार्षदों ने अपना वोट डाला, में भाजपा प्रत्याशी सरबजीत कौर ने चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए गए महेश इंदर सिंह द्वारा आप का एक वोट अमान्य करार दिए जाने के बाद जीत हासिल की. महेश इंदर खुद भाजपा पार्षद हैं. मत पत्र के पीछे एक टिक मार्क होने के कारण वोट को अमान्य करार दिया गया जबकि यह गोपनीय और अनाम होना चाहिए. इससे नाराज आप ने धांधली का आरोप लगाते हुए दोबारा चुनाव कराने की मांग की.

लेकिन सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव को लेकर कुछ अलग ही रहस्य बना हुआ है, यह पद भी भाजपा की झोली में आया है, जो यह दर्शाता है कि आप के कम से कम एक उम्मीदवार ने पाला बदलकर क्रॉस वोटिंग की है.

चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के नतीजों ने 27 दिसंबर को त्रिशंकु सदन की स्थिति बना दी थी, जिसमें आप को शहर के 35 वार्ड में से 14 वार्ड में जीत मिली और भाजपा ने 2016 में पिछले चुनाव में मिली 20 सीटों के मुकाबले 12 सीटों पर ही सफलता हासिल की.

कांग्रेस ने आठ सीटें जीतीं, लेकिन बाद में उसकी एक पार्षद हरप्रीत कौर बबला भाजपा में शामिल हो गईं. चुनावी रिकॉर्ड के मुताबिक, शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने एक वार्ड में जीत हासिल की थी.

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सदन में चंडीगढ़ से भाजपा की लोकसभा सदस्य किरण खेर सहित 36 पदेन सदस्य हैं.


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भाजपा की जीत, आप ने किया हंगामा

कांग्रेस के सात और एसएडी का पार्षद शनिवार को हुए मतदान से बाहर रहे. इसलिए निकाय में शीर्ष तीन पदों के चुनाव में वोट डालने के लिए प्रभावी तौर पर 28 सदस्य मौजूद थे—इसमें 14 भाजपा के 14 आप के थे.

मेयर पद के लिए दोनों दलों के पक्ष में 14-14 वोट पड़े, लेकिन आप उम्मीदवार अंजू कात्याल के समर्थन में एक वोट अमान्य पाए जाने के बाद भाजपा उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया गया.

चंडीगढ़ नगर निकाय में अपने सदस्यों वाले तीन राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं ने दिप्रिंट से बातचीत में इसकी पुष्टि की कि जिस मत पत्र को अमान्य घोषित किया गया उसमें टिक मार्क जैसा चिह्न बना हुआ था.

हालांकि, आप नेताओं ने ऐसे मतदान की गोपनीयता बरकरार रखने संबंधी नियमों का हवाला देते हुए उम्मीदवार का नाम जाहिर करने से परहेज किया.

सीनियर डिप्टी मेयर पद के लिए भाजपा के दलीप शर्मा ने आप प्रत्यासी प्रेम लता को स्पष्ट तौर पर 13 के मुकाबले 15 वोट से हराया, जो उस स्थिति में ही संभव है जब किसी आप पार्षद ने क्रॉस वोटिंग की हो.

तीसरे सबसे बड़े पद यानी डिप्टी मेयर के तौर पर जीत हासिल करने के लिए भाजपा उम्मीदवार अनूप गुप्ता किस्मत के धनी साबित हुए. दोनों ही प्रत्याशियों को 14-14 वोट मिले और फिर ड्रॉ के माध्यम से तय किए गए नतीजे में सफलता भाजपा प्रत्याशी के हाथ लगी. अनूप गुप्ता ने आप के राम यादव को हराया.

चुनावों के बाद आप के पार्षदों ने विजयी उम्मीदवारों को सदन को संबोधित करने से रोका, जिस पर पहले तो मार्शल बुलाए गए और फिर बाद में पुलिस को बुलाना पड़ गया.

‘लोकतंत्र की हत्या की’

आप के पंजाब और चंडीगढ़ मामलों के प्रभारी जरनैल सिंह ने भाजपा पर मेयर चुनाव में ‘लोकतंत्र की हत्या’ करने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘शहर के लोगों ने सबसे ज्यादा 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जिताया. मेयर चुनाव में आप की जीत तय थी लेकिन भाजपा ने जनता के फैसले का अपमान करके जानबूझकर आप का वोट ‘अमान्य’ घोषित करके रद्द कर दिया और जबरन अपना मेयर बना दिया.’

पंजाब के लिए पार्टी के सह-प्रभारी राघव चड्ढा ने मीडिया से कहा, ‘मैं पंजाब के लोगों को बताना चाहता हूं कि चंडीगढ़ में आप को जानबूझकर सत्ता से दूर रखने के लिए भाजपा, एसएडी और कांग्रेस के बीच एक अघोषित समझौता हुआ था.’

इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए दिप्रिंट ने फोन कॉल और व्हाट्सएप मैसेज के जरिये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष (चंडीगढ़) अरुण सूद से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन रिपोर्ट प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं आया था.

जरनैल सिंह और राघव चड्ढा दोनों ने सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव में अपनी पार्टी के एक पार्षद द्वारा क्रॉस वोटिंग करने की संभावना पर सीधे तौर पर किसी टिप्पणी से परहेज किया.

आप के आरोपों को भ्रामक करार देते हुए कांग्रेस नेता अभिषेक दत्त, जो चंडीगढ़ निकाय चुनावों में पार्टी के प्रचार अभियान के प्रभारी थे, ने कहा, ‘अमान्य वोट स्पष्ट तौर पर पूर्व नियोजित था. हर पार्षद जानता है कि ये वोट गोपनीय होते हैं. मत पत्र फाड़ने या कोई अतिरिक्त चिन्ह लगाने से यह अमान्य हो जाता है. आप पार्षद के उस एक अवैध वोट ने मेयर की कुर्सी भाजपा को दिला दी. फिर सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव में भी सबसे अधिक संभावना यही है कि उसी आप पार्षद ने क्रॉस वोटिंग की हो. लोगों को भ्रामक जानकारी देने और आधारहीन आरोप लगाने के बजाये आप को उस पार्षद को निलंबित कर देना चाहिए.

यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस ने मतदान से परहेज क्यों किया, पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि भाजपा प्रत्याशी को वोट देने से पार्टी की छवि खराब होती क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर वह मुख्यत: भाजपा के खिलाफ ही लड़ रही है. वहीं, आप प्रत्याशी को वोट देने से पंजाब चुनाव से पहले एक अजीब स्थिति उत्पन्न हो जाती, जहां आप ही प्रमुख विपक्षी दल है.

सुरक्षित जगहों पर भेजे गए थे पार्षद

स्वतंत्र रूप से यह पता लगाने का कोई तरीका नहीं है कि मेयर चुनाव के लिए जिस पार्षद का वोट अमान्य करार दिया गया था, क्या उसने ही सीनियर डिप्टी मेयर के चुनाव में दूसरी पार्टी के पक्ष में पाला बदलते हुए क्रॉस वोटिंग की थी.

इसके अलावा, मौजूदा समय में कोई दल-बदल विरोधी कानून भी नहीं है जो चंडीगढ़ नागरिक निकाय की परिषद पर लागू होता हो.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी अन्य पार्षदों को अपने साथ लाने के लिए मनाने की उम्मीद लगभग खो चुकी थी और चंडीगढ़ नगर निगम में विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए तैयार थी, लेकिन फिर कांग्रेस के बबला के भाजपा में शामिल होने से चीजें बदल गईं. उन्होंने कहा कि इससे कांग्रेस और आप दोनों में ही हलचल मच गई.

दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक जहां कांग्रेस ने अपने सभी विजयी पार्षदों को जयपुर भेज दिया था, वहीं आप ने 2 और 3 जनवरी को अपने पार्षदों को अलग-अलग समूहों में दिल्ली और हिमाचल प्रदेश भेजा था. इतने करीबी अंतर के बाद भाजपा भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती थी, और एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी ने अपने पार्षदों को शिमला भेजा था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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