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Friday, 19 April, 2024
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‘निराश कार्यकर्ता, पार्टी-सरकार डिस्कनेक्ट’- राज्य चुनाव से पहले मप्र में भाजपा नेता अलर्ट पर

इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक में भाजपा की हार ने मध्य प्रदेश में खतरे की घंटी बजा दी है, जहां शिवराज सिंह चौहान सरकार 'सत्ता विरोधी और थकान' से जूझ रही है.

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नई दिल्ली: इस महीने की शुरुआत में कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की हार ने इस साल के अंत में होने वाले चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश में खतरे की घंटी बजा दी है, दिप्रिंट को पता चला है पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच निराशा, पुराने नेताओं और नए के बीच झगड़े, वरिष्ठ नेताओं द्वारा शुक्रवार को एक बंद कमरे में हुई बैठक में उठाए गए मुद्दों में से कुछ हैं. बताया जा रहा है कि बीजेपी नेताओं ने राज्य में सरकार और उसके मंत्रियों और पार्टी संगठन और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ते अलगाव के बारे में भी बात की है.

224-सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा में जहां 2019 से भाजपा का शासन था. 2018 में हुए चुनावों में पार्टी ने जहां 104 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं 10 मई को हुए चुनावों में यह संख्या घटकर 66 पर पहुंच गई है. जबकि कांग्रेस ने 135 सीटों के साथ स्पष्ट बहुमत हासिल किया है.

अब सभी की निगाहें मध्य प्रदेश पर हैं, जो एक भाजपा शासित राज्य भी है, जहां राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के साथ इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.

शिवराज सिंह चौहान, जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार कार्य कर रहे हैं, एक राज्य भाजपा पदाधिकारी जो अपना नाम नहीं लेना चाहते हैं ने बताया कि, चौहान को इसबार एंटी-इनकंबेंसी से जूझना पड़ेगा. पार्टी के नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि इसके बावजूद उन्हें चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए “सर्वश्रेष्ठ दांव” माना जाता है.

मप्र में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों की समीक्षा के लिए राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक की.

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बीजेपी सांसद उपाध्यक्ष भगननदास सबनानी ने दिप्रिंट को बताया कि सीएम ने कार्यकर्ताओं से राज्य में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए कहा था, यह दावा करते हुए कि कर्नाटक और एमपी में परिदृश्य अलग हैं. चौहान का हवाला देते हुए, सबनानी ने कहा, “जब जनता दल (सेक्युलर) का वोट कर्नाटक में कांग्रेस को स्थानांतरित हो गया, तो उसे जीतने में मदद मिली, मप्र की राजनीति द्विध्रुवीय है और हमारी कल्याणकारी योजनाएं जीत के लिए पर्याप्त हैं.”

‘कार्यकर्ता हमारी संपत्ति हैं’

बैठक में मौजूद भाजपा नेताओं में से एक ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया कि “पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पार्टी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने की आवश्यकता के मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि मंत्री जो जिला के प्रभारी हैं यात्रा के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं से नहीं मिलेंगे.”

नाम न लिखने का अनुरोध करने वाले नेता ने कहा: “उन्होंने [विजयवर्गीय] कैडर के बीच उत्साह की कमी के मुद्दे पर प्रकाश डाला … उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता हमारी संपत्ति हैं और अगर कोई है जो चुनाव में पार्टी (बीजेपी) को हरा सकता है, तो वह कांग्रेस नहीं बल्कि हमारे कार्यकर्ताओं की नाराजगी और निराशा हो सकती है.”

इस स्थिति से निपटने के लिए विजयवर्गीय ने सुझाव दिया कि किसी भी प्रभारी के किसी जिले में जाने से पहले कार्यकर्ताओं को उनके यात्रा कार्यक्रम की जानकारी दी जानी चाहिए.

बीजेपी नेता दिप्रिंट ने बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा था कि मंत्री भोजन करने के लिए कार्यकर्ताओं के घर भी जा सकते हैं, जो न केवल कार्यकर्ताओं को उनकी शिकायत को दूर करने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें प्रेरित भी करेगा.

भाजपा नेता ने आगे कहा कि प्रदेश पार्टी अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने राज्य द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी नीतियों के साथ-साथ भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई कल्याणकारी नीतियों को रेखांकित करते हुए जनता तक पहुंचने की आवश्यकता पर बल दिया था.

भाजपा नेता के अनुसार शर्मा ने कहा था कि बूथ सुदृढ़ीकरण का कार्य पार्टी द्वारा बड़ी सफलता के साथ किया गया है. हालांकि, राज्य के क्षेत्रीय महासचिव (संगठन), अजय जामवाल ने कहा, “पार्टी नेतृत्व को पार्टी कार्यकर्ताओं और राज्य सरकार के बीच अलगाव के साथ-साथ संगठनात्मक मजबूती में कमी के बारे में आगाह किया.”

बैठक में मौजूद एक दूसरे भाजपा नेता और विधायक ने भी नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि: “जामवाल जी ने कहा कि पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं और पार्टी के नए कार्यकर्ताओं के बीच एक दूरी है… उन्होंने पार्टी को इसके बारे में आगाह भी किया था कि जमीन पर कार्यकर्ताओं के उत्साह की कमी देखी जा रही है .”

विधायक के अनुसार, जामवाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पार्टी कागज पर मजबूत थी, बूथ-मजबूत करने के उपायों जैसे बूथ कार्यकर्ताओं के डेटा को डिजिटाइज़ करने के बाद, उन्होंने सुझाव दिया कि पदाधिकारियों को कार्यकर्ताओं के साथ मैदान में जुड़ना चाहिए, जिनके नाम कागजों पर हैं धरातल पर नहीं दिखते हैं.

बैठक में मौजूद एक तीसरे नेता ने दिप्रिंट को बताया कि “बैठक का नब्बे प्रतिशत प्रधानमंत्री [नरेंद्र] मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के अवसर पर केंद्रीय नेतृत्व द्वारा नियोजित किए जा रहे एक महीने के अखिल भारतीय आउटरीच कार्यक्रम पर चर्चा करने में बिताया गया था. राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ के साथ राज्य में एक महीने तक चलने वाले संगठन कार्यक्रम की योजना पेश करते हुए, जिसमें नए मतदाताओं से जुड़ने और उनके क्षेत्र में सोशल मीडिया इनफ्लूएंसर्स से मिलने और एक ‘मिस्ड कॉल पहल’ भी शामिल है…”

नेता ने कहा: “जिले में अपने कार्यक्रमों के दौरान भी, सीएम कार्यक्रम से पहले या बाद में कुछ कार्यकर्ताओं से मिलने पर जोर दे रहे हैं, ताकि उनकी चिंताओं को दूर किया जा सके और उन्हें प्रेरित किया जा सके.”


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‘चौहान बेस्ट बेट’

विभिन्न जाति समूहों को खुश करने के लिए एक हिंदुत्व नैरेटिव को आगे बढ़ाने से लेकर स्कूली पाठ्यक्रम में भगवान परशुराम पर पाठ और मंदिर के पुजारियों को मानदेय – खासकर महिला समूहों को टार्गेट करना, विशेष रूप से लाड़ली बहना योजना की घोषणा करके, जो महिलाओं को 1,000 रुपये मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करती है. चौहान सरकार आगामी चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.

मध्य प्रदेश के बारे में भाजपा की चिंता समझ में आती है क्योंकि चौहान भाजपा के पुराने रक्षकों में से एकमात्र राज्य के मुख्यमंत्री हैं जो अभी भी कमान संभाले हुए हैं. इस साल के अंत में उत्तर भारत के तीन प्रमुख राज्यों  राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में चुनाव होने हैं, इनमें मध्य प्रदेश एकमात्र राज्य है जहां भाजपा सत्ता में है.

कर्नाटक में हारने के बाद पार्टी मध्य प्रदेश में हार का जोखिम नहीं उठा सकती, क्योंकि दोनों राज्यों में कई समानताएं हैं.

दोनों राज्यों में, बीजेपी ‘ऑपरेशन लोटस’ से सत्ता में आई थी – एक शब्द जिसका इस्तेमाल सत्ता को मजबूत करने के लिए अन्य दलों से इंजीनियरिंग दलबदल की पार्टी रणनीति को संदर्भित करने के लिए किया जाता था. गुटबाजी एक और प्रमुख मुद्दा है जो दोनों राज्यों को परेशान कर रहा है.

2018 के चुनावों के बाद, कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और चार निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ मध्य प्रदेश में सरकार बनाई थी, जिसने 230 सदस्यीय विधानसभा में 116 के बहुमत के निशान को पार करने में मदद की थी. कांग्रेस नेता कमलनाथ सीएम बने. हालांकि, मार्च 2020 में, कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और अपने 22 वफादार विधायकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे बीजेपी को सरकार बनाने में मदद मिली.

एक चौथे भाजपा नेता ने कहा, चौहान के पक्ष में एकमात्र कारक यह है कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की तरह उनपर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे हैं और उन्हें ऐसे किसी मामलों में ” बदनाम नहीं किया गया है.” हालांकि, शुक्रवार की राज्य कार्यकारी समिति की बैठक में मौजूद नेताओं के अनुसार, ऐसी आशंका है कि कैडर में आलस, पार्टी और सरकार के बीच अलगाव आगामी चुनावों में पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकता है.

इस बीच, दूसरे भाजपा नेता और विधायक, जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है, ने विजयवर्गीय को यह कहते हुए उद्धृत किया कि “अब, [परिवर्तन] नेतृत्व पर सोचने का समय नहीं है … शिवराज दूसरों की तुलना में सबसे अच्छा दांव हैं.”
उनके सुर में सुर मिलाते हुए चौथे बीजेपी नेता ने कहा, “अब शासन का समय समाप्त हो गया है, अब समय आ गया है कि जितना संभव हो हमें अपनी कमियों को जल्द से जल्द दूर करना होगा.”

(संपादन- पूजा मेहरोत्रा)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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