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Friday, 29 March, 2024
होमराजनीतिभारी बहुमत से जीते मोरबी हादसे में लोगों को बचाने वाले बीजेपी नेता कांतिलाल अमृतिया

भारी बहुमत से जीते मोरबी हादसे में लोगों को बचाने वाले बीजेपी नेता कांतिलाल अमृतिया

कांतिलाल अमृतिया पांच बार विधायक रहे हैं और उन्होंने 1995 से 2017 के बीच मोरबी सीट से हर चुनाव जीता था. पुल हादसे के बाद बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक बृजेश मेरजा की बजाय उन्हें टिकट देने का फैसला किया था.

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नई दिल्ली: गुजरात की मोरबी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार कांतिलाल अमृतिया 62,000 वोटों के एक बड़े अंतर से जीत गए. यहां चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही पुल हादसे में कम से कम 135 लोगों की मौत हुई थी. इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी अमृतिया मोरबी हादसे के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए नदी में कूदने की वजह से काफी सुर्खियों में रहे थे.

मतगणना के रुझानों से साफ हो गया था कि बीजेपी की तरफ से अपने मौजूदा विधायक और श्रम एवं रोजगार मंत्री बृजेश मेरजा की जगह पांच बार के पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को मैदान में उतारने का पार्टी का दांव सफल होता नजर आ रहा है. अमृतिया 2017 में इसी सीट पर कांग्रेस हार गए थे.

चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक कांतिलाल अमृतिया को 1,14,538 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी जेराजभाई पटेल को 52,459 वोट मिले. जेराभाई पटेल अपना सांतवां चुनाव लड़ रहे थे, अब तक एक बार भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हुए.

पुल ढहने के बाद लोगों को बचाने के लिए मच्छू नदी में कूदने का अमृतिया का वीडियो सुर्खियों में छाने के बाद बीजेपी ने मोरबी से उन्हें मैदान में उतारने का फैसला किया.

गौरतलब है कि कथित तौर पर घटिया स्तर के मरम्मत कार्य और जरूरत से ज्यादा भीड़ की वजह से 150 साल पुराने सस्पेंशन ब्रिज ‘झुल्तो पुल’ का टूटना विपक्ष के लिए एक बड़ी चर्चा का विषय बन गया था. विपक्ष ने इस घटना को भाजपा सरकार के कुशासन और विफलताओं के प्रतीक के तौर पर पेश किया.

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मोरबी सीट को 27 साल से बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 2017 में तीन साल के एक संक्षिप्त अंतराल को छोड़कर मोरबी सीट पर भाजपा ही काबिज रही है. 2017 में वह इस सीट पर कांग्रेस से हार गई थी. हालांकि, 2020 के विधानसभा उपचुनाव में उसने कांग्रेस से यह सीट फिर छीन ली थी.

मोरबी में 1 दिसंबर को पहले चरण के मतदान के दौरान वोट पड़े थे.


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हादसे के समय हीरो बने अमृतिया पांच बार विधायक रहे

हालांकि, अमृतिया 1995 के बाद से लगातार पांच बार भाजपा की टिकट पर मोरबी सीट जीतते रहे हैं, लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में राज्य के सियासी समीकरणों को बदलकर रख देने वाला पाटीदार कोटा आंदोलन के बाद वह कांग्रेस के बृजेश मेरजा (हालांकि, वो खुद भी बाद में भाजपा में शामिल हो गए) से हार गए थे.

मेरजा ने जून 2020 में भाजपा का दामन थामा, जिसके बाद उसी वर्ष के आखिरी में मोरबी सीट पर उपचुनाव कराने की जरूरत पड़ी. इस चुनाव में मेरजा ने फिर से जीत हासिल की लेकिन भाजपा के टिकट पर.

भाजपा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया था कि मेरजा इस बार भी मोरबी से पार्टी का टिकट पाने की दौड़ में सबसे आगे थे. लेकिन पुल ढह जाने और इसका कांट्रेक्ट लेने वाले ओरेवा ग्रुप की तरफ से मरम्मत के काम में बरती गई लापरवाही को लेकर उठ रहे सवालों के बीच इस बारे में फिर से विचार करने की जरूरत महसूस की गई. भाजपा के शीर्ष नेताओं ने महसूस किया कि मौजूदा परिस्थितियों में अमृतिया पर दांव लगना ही ज्यादा बेहतर होगा.

भाजपा ने यह सुनिश्चित करने की हरसंभव कोशिश की थी कि 30 अक्टूबर के हादसे का उसकी चुनावी संभावनाओं पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े. यही वजह है कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कई केंद्रीय और राज्य भाजपा के मंत्रियों के साथ मोरबी में अमृतिया के लिए प्रचार करने पहुंचे थे.

(अनुवादः रावी द्विवेदी | संपादनः फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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