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Wednesday, 24 April, 2024
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पीएम मोदी के गढ़ वाराणसी में BJP और सहयोगी दलों ने जीती प्रतिष्ठा की जंग, सभी 8 सीटों पर किया कब्जा

वाराणसी जिले में भाजपा ने 7 सीटें जीती हैं, जबकि एक सीट उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के खाते में आई. इनमें से पांच निर्वाचन क्षेत्र पीएम मोदी की लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं.

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नई दिल्ली: 2014 से प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र रहे वाराणसी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जबर्दस्त सफलता हासिल की है. 2017 की तरह ही इस बार भी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने वाराणसी जिले की सभी आठ सीटों पर कब्जा जमाया है.

इनमें से पांच विधानसभा क्षेत्र मोदी की लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं.

भाजपा ने जिले की सात सीटों—अजगरा, सेवापुरी, शिवपुर, वाराणसी कैंट, वाराणसी उत्तर, वाराणसी दक्षिण और पिंडरा—पर जीत हासिल की, जबकि रोहनिया पर उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) के प्रत्याशी ने कब्जा जमाया.

जिले में जीतना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का मुद्दा बन गया था क्योंकि मोदी का लोकसभा क्षेत्र इसी में आता है. प्रधानमंत्री मोदी, जो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए पिछले साल वाराणसी पहुंचे थे—ने प्रचार के आखिरी दो दिन भी वहीं बिताए थे और रोड शो किया था.

सड़क के बुनियादी ढांचे, बिजली के तारों को भूमिगत करने और फुटपाथों के निर्माण आदि के मामले में प्रधानमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का काम भी हाल ही में पूरा हुआ है.

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स्थानीय विधायकों के खिलाफ सत्ता-विरोधी भावना चिंता का विषय थी लेकिन पार्टी ने मोदी के रोड शो, रैलियों और जनसंपर्क कार्यक्रमों पर भरोसा करके इससे उबरने की दिशा में बड़ा प्रयास किया.

भाजपा ने मोदी के दौरे की तैयारियों के सिलसिल में वाराणसी के गुलाब बाग इलाके में एक वॉर रूम बनाया था, जहां से ही पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधन और सार्वजनिक रैलियों का प्रबंधन किया गया.

वॉर रूम का काम केवल सुगबुगाहटों को तेज करना ही नहीं था, बल्कि इसने बाकी निर्वाचन क्षेत्रों से उपयोगी जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी भी निभाई, जहां पिछले दो चरणों में यानी 3 और 7 मार्च को मतदान होना था. इसने पार्टी कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को एकजुट करने में भी अहम भूमिका निभाई.

सहयोगी और वाराणसी दक्षिण सीट की जंग

भाजपा ने यहां 2017 में छह सीटें जीती थीं, बाकी दो उसके गठबंधन सहयोगियों अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) ने जीती थीं.

इस बार, एसबीएसपी ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन किया था. अनुप्रिया पटेल की अध्यक्षता वाला अपना दल (सोनेलाल) एनडीए के साथ ही रहा, लेकिन उनकी मां कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाले अपना दल (कामेरावादी) ने सपा के साथ हाथ मिला लिए थे.

हालांकि, सपा और भाजपा दोनों के ही गठबंधनों ने सभी आठ निर्वाचन क्षेत्रों में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी लेकिन दक्षिण वाराणसी सीट—जिसे भाजपा 1989 के बाद से हमेशा जीतती रही है—में मुकाबला सबसे ज्यादा कड़ा हो गया था. भाजपा के श्यामदेव रॉय चौधरी ने यहां 1989 से 2012 तक लगातार सात बार जीत हासिल की थी. हालांकि, 2017 में उनकी जगह नीलकंठ तिवारी ने ले ली. तिवारी ने भी उस साल भाजपा की टिकट पर यह सीट जीती.

इस बार भी तिवारी ही भाजपा के उम्मीदवार थे और उन्होंने मृत्युंजय महादेव मंदिर के पुजारी कामेश्वर नाथ दीक्षित को 10,000 से अधिक मतों से हराया.

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, जिसे अक्सर मोदी का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ कहा जाता है, भी वाराणसी दक्षिण सीट के अंतर्गत आता है. विधानसभा चुनावों से पूर्व, भाजपा ने ‘काशी और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर’ के विकास को न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में एक अनुकरणीय मॉडल के तौर पर रेखांकित किया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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